सूर्यवंशी : फिल्म समीक्षा

सूर्यवंशी उसी तरह की फिल्म है जिस तरह की फिल्में रोहित शेट्टी बनाते हैं। अक्षय कुमार, अजय देवगन, रणवीर सिंह, कैटरीना कैफ जैसे सितारों से सजी यह फिल्म मसाला फिल्म पसंद करने वालों के लिए बनाई गई है।

समय ताम्रकर
शुक्रवार, 5 नवंबर 2021 (13:24 IST)
रोहित शेट्टी को पुलिस किरदार को लेकर फिल्में बनाना पसंद है। उन्होंने अजय देवगन को लेकर सिंघम के दो भाग बनाए। उनके पास दिखाने को और कहानियां थीं और एक ही किरदार बोर न लगे इसलिए उन्होंने सिम्बा नामक किरदार रणवीर सिंह को लेकर गढ़ा। सिंघम जहां सख्त पुलिस ऑफिसर है तो सिम्बा युवा और मजेदार है। अब रोहित ने अक्षय कुमार के रूप में सूर्यवंशी नामक किरदार पेश किया है जो एटीएस के लिए काम करता है। रोहित को आधुनिक दौर का 'मनमोहन देसाई' कहा जा सकता है। मनमोहन देसाई ने सत्तर और अस्सी के दशक में बड़े सितारों को लेकर मसाला फिल्में बनाई थीं जो बेहद सफल रही थी। सफलता के रथ पर सवार रोहित की फिल्में भी एक-जैसी ही रहती हैं, बुनावट में वे फर्क कर देते हैं। 
 
सूर्यवंशी वो फिल्म है जो कोविड के आने के पहले रिलीज होने वाली थी, लेकिन इस महामारी के कारण 19 माह तक अटकी रही। फिल्म के मेकर्स ने ओटीटी के आसान रास्ते को चुनने के बजाय इंतजार करना मुनासिब समझा और बिग स्क्रीन पर ही इस फिल्म को लेकर आए हैं। 
 
सूर्यवंशी की कहानी में थोड़ा रियलिस्टिक टच देने के लिए इसमें मुंबई में 1993 में हुए ब्लास्ट को जोड़ा गया है। इस दर्दनाक घटना में कल्पना यह जोड़ी गई कि उस समय एक हजार किलो आरडीएक्स मुंबई लाया गया था जिसमें से 400 किलो का ही इस्तेमाल हुआ। 600 किलो अभी भी मुंबई में ही है और इसको लेकर पुलिस चिंतित है। 
 
वीर सूर्यवंशी (अक्षय कुमार) ने भी यह बात सुन रखी है और अचानक उसके हाथ कुछ ऐसे सूत्र लगते हैं जिससे साबित हो जाता है कि 600 किलो आरडीएक्स न केवल मौजूद है बल्कि इसके जरिये फिर से मुंबई को थर्रा देने का प्लान है। मुंबई को बचाने के लिए अपने फर्ज को परिवार के ऊपर रखने वाला ऑफिसर सूर्यवंशी इस केस को सुलझाने में जुट जाता है और इसकी वजह से वह अपनी पत्नी का गुस्सा भी झेलता है जो नाराज होकर बेटे के साथ ऑस्ट्रेलिया जाने वाली है। 

 
फिल्म की कहानी रोहित शेट्टी ने ही लिखी है जो रूटीन है, लेकिन इसमें परिवार, फर्ज, देशप्रेम, दोस्ती, हिंदू-मुस्लिम एकता के जो तत्व हैं वो फिल्म को अलग बनाते हैं। इमोशंस, एक्शन और कॉमेडी का फिल्म में अच्छा संतुलन है जिसके चलते पूरे समय फिल्म में आपकी रूचि बनी रहती है। 
 
इस फिल्म में उन लोगों को लताड़ लगाई है जिसके कारण भारत का बंटवारा हुआ था। बताया गया है कि यदि 'कसाब' से हम नफरत करते हैं तो 'कलाम' को प्यार भी करते हैं। बात को बार-बार संतुलित करने की कोशिश की गई है। 
 
रोहित अपने किरदारों की कुछ खास आदतों को बहुत अंडरलाइन करते हैं जिससे दर्शक उनसे प्यार करें। सूर्यवंशी को नाम भूलने की बीमारी है और इस बात का उपयोग पूरी फिल्म में किया है और दर्शकों को हंसाने की कोशिश की गई है। रिया को मलेरिया और सीरिया बोलते सूर्यवंशी नजर आता है और आपको इस बात पर हंसी आती है तो इस तरह के कई दृश्य आपको फिल्म में मिलेंगे। 

 
रोमांस और संगीत के मामले में रोहित का हाथ तंग है। कैटरीना कैफ का किरदार जब भी फिल्म में आता है फिल्म घसीटने लगती है। कैटरीना का किरदार जिस तरह से लिखा गया है वो फिल्म में 'नकारात्मक' नजर आता है। वह अपने पति द्वारा निभाने वाले फर्ज में रूकावट बन कर उभरती है। साथ ही अक्षय और कैटरीना के रोमांटिक सीन और गाने फिल्म की अपील को बहुत कम करते हैं। अक्षय और कैटरीना पर उम्र हावी हो गई है और रोमांटिक दृश्यों में वे मिसफिट लगते हैं। 
 
संगीतकारों से अच्छा संगीत लेने की काबिलियत रोहित में नहीं है तो वे पुराने हिट गानों का इस्तेमाल कर अपनी इस कमजोरी को छुपाते हैं। 'टिप टिप बरसा पानी' और 'छोड़ो कल की बातें' उन्होंने 'सूर्यवंशी' में इस्तेमाल किए हैं। 'छोड़ो कल की बातें' का जिस तरह से उपयोग किया गया है वो काबिल-ए-तारीफ है और दर्शकों को इमोशनल करता है। 
 
फिल्म की स्क्रिप्ट युनूस सेजवाल ने लिखी है जिन्होंने वो सारे फॉर्मूले उपयोग किए हैं जो रोहित शेट्टी की फिल्मों में नजर आते हैं, लेकिन इनका उपयोग सफाई के साथ किया गया है। कॉमेडी, इमोशन और एक्शन दृश्यों का सीक्वेंस अच्छी तरह से जमाया गया है। 
 
रोहित शेट्टी ने न केवल फिल्म की कहानी लिखी है बल्कि निर्देशन, संवाद लेखन और एक्शन भी डिजाइन किए हैं, लेकिन उनकी छाप फिल्म के हर डिपार्टमेंट में नजर आती है चाहे बैकग्राउंड स्कोर हो, सिनेमाटोग्राफी हो या किरदारों का चुलबुलापन हो। उन्होंने सिनेमा के नाम वहां छूट ली है जहां जरूरी थी और फिल्म को तेजी से दौड़ाया है। सारे मसालों का उन्होंने अच्छा उपयोग किया है। लेकिन रोहित को अपने प्रस्तुतिकरण में नयापन लाने की जरूरत है। सिंघम, सिम्बा और सूर्यवंशी एक जैसी लगती हैं। 
 
छोटे रोल में बड़े स्टार का किस तरह से उपयोग करना है ये रोहित से सीखा जाना चाहिए। अजय देवगन और रणवीर सिंह को पॉकेट डाइनामाइट की तरह उन्होंने इस्तेमाल किया है और ये दोनों कलाकार फिल्म में बड़ा धमाका करते हैं। 
 
अक्षय कुमार लंबे समय बाद एक्शन फिल्म में नजर आए हैं। उनकी खूबियों को देख कर ही सूर्यवंशी का किरदार डिजाइन किया गया है और चिर-परिचित पिच पर अक्षय ने चौके-छक्के लगाए हैं। कैटरीना कैफ का रोल ठीक से नहीं लिखा गया है और वे बुझी-सी लगी। वैसे भी रोहित शेट्टी की फिल्मों में फीमेल कैरेक्टर्स के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं होती है और ज्यादातर उनका मजाक ही बनाया जाता है। 
 
जैकी श्रॉफ को कम संवाद और अवसर मिले। निकितन धीर, गुलशन ग्रोवर, जावेद जाफरी, अभिमन्यु सिंह, कुमुद मिश्रा, राजेन्द्र गुप्ता छोटे-छोटे रोल में असर छोड़ते हैं। सिंघम के रूप में अजय देवगन और सिम्बा के रूप में रणवीर सिंह जबदरस्त मनोरंजन करते हैं। सिंघम-सिम्बा-सूर्यवंशी की त्रिमूर्ति एक साथ फायरिंग करते हुए दुश्मनों को मौत के घाट उतारती है तो यह दृश्य मसाला फिल्मों के शौकीनों को रोमांचित कर देता है। 
 
फिल्म की सिनेमाटोग्राफी में अनोखी बात नहीं है। बैकग्राउंड म्यूजिक जोरदार है। तकनीकी रूप से फिल्म औसत से ऊपर है। फिल्म के अंत में सिंघम 3 का इशारा दिया गया है।  
 
सूर्यवंशी ने मुंबई तो बचा लिया है। अब फिल्म इंडस्ट्री को भी फिर से पटरी पर लाने की जवाबदारी भी उसी की है। दिवाली के माहौल में बिग स्क्रीन के जरिये मनोरंजन करना चाहते हैं तो सूर्यवंशी हाजिर है, शर्त ये है कि बहुत ज्यादा उम्मीद से न जाएं।  
 

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