बुद्ध पूर्णिमा पर कैसे करें पूजन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा सबसे बड़ा त्योहार का दिन होता है। इस दिन अनेक प्रकार के समारोह आयोजित किए गए हैं। अलग-अलग देशों में वहां के रीति-रिवाजों और संस्कृति के अनुसार समारोह आयोजित होते हैं।
- दुनिया भर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं।
- इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है।
- श्रीलंकाई इस दिन को 'वेसाक' उत्सव के रूप में मनाते हैं जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है।
- बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ किया जाता है।
- मंदिरों व घरों में अगरबत्ती लगाई जाती है। मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाए जाते हैं और दीपक जलाकर पूजा की जाती है।
- बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं पर हार व रंगीन पताकाएं सजाई जाती हैं।
- बोधिवृक्ष के जड़ में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है।
- वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं।
- इस दिन मांसाहार का परहेज होता है क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे।
- इस दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कर खुले आकाश में छोड़ा जाता है।
- गरीबों को भोजन व वस्त्र दिए जाते हैं।