भगवान बुद्ध और भिक्षु चक्षुपाल की कहानी

Webdunia
एक बार भगवान बुद्ध जेतवन विहार में रह रहे थे, भिक्षु चक्षुपाल भगवान से मिलने के लिए आए थे। उनके आगमन के साथ उनकी दिनचर्या, व्यवहार और गुणों की चर्चा भी हुई।

भिक्षु चक्षुपाल अंधे थे। एक दिन विहार के कुछ भिक्षुओं ने कुछ मरे हुए कीड़ों को चक्षुपाल की कुटी के बाहर पाया और उन्होंने चक्षुपाल की निंदा करनी शुरू कर दी कि उन्होंने इन जीवित प्राणियों की हत्या की। 
 
भगवान बुद्ध ने निंदा कर रहे उन भिक्षुओं को बुलाया और पूछा कि क्या तुमने भिक्षु को कीड़े मारते हुए देखा है। उन्होंने उत्तर दिया- नहीं। 
 
इस पर भगवान बुद्ध ने उन साधकों से कहा कि जैसे तुमने उन्हें कीड़ों को मारते हुए नहीं देखा वैसे ही चक्षुपाल ने भी उन्हें मरते हुए नहीं देखा और उन्होंने कीड़ों को जान बूझकर नहीं मारा है इसलिए उनकी भर्त्सना करना उचित नहीं है। 
 
भिक्षुओं ने इसके बाद पूछा कि चक्षुपाल अंधे क्यों हैं? उन्होंने इस जन्म में अथवा पिछले जन्म में क्या पाप किए। 
 
भगवान बुद्ध ने चक्षुपाल के बारे में कहा कि वे पूर्व जन्म में एक चिकित्सक थे। एक अंधी स्त्री ने उनसे वादा किया था कि यदि वे उसकी आंखें ठीक कर देंगे तो वह और उसका परिवार उनके दास बन जाएंगे। स्त्री की आंखें ठीक हो गईं। पर उसने दासी बनने के भय से यह मानने से इंकार कर दिया। 
 
चिकित्सक को तो पता था कि उस स्त्री की आंखें ठीक हो गई हैं। वह झूठ बोल रही है। उसे सबक सिखाने के लिए या बदला लेने के लिए चक्षुपाल ने दूसरी दवा दी, उस दवा से महिला फिर अंधी हो गई। वह कितना ही रोई-पीटी, लेकिन चक्षुपाल जरा भी नहीं पसीजा। इस पाप के फलस्वरूप अगले जन्म में चिकित्सक को अंधा बनना पड़ा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

महाकुंभ से लौट रहे हैं तो साथ लाना ना भूलें ये चीजें, घर आती है समृद्धि

Mp tourism: मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल जहां जाकर मिलेगा तीर्थ यात्रा का पुण्य लाभ

बुध का शनि की कुंभ राशि में गोचर से होगा 3 राशियों को बंपर लाभ, 3 को होगा नुकसान

सूर्य का शत्रु की राशि कुंभ में गोचर, जानिए क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

शनि का मीन राशि में गोचर: क्या होगा देश दुनिया एवं 12 राशियों पर प्रभाव

सभी देखें

धर्म संसार

असम में मौजूद है नॉर्थ ईस्ट का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, महाशिवरात्रि पर उमड़ता है श्रद्धालुओं का सैलाब

रंग गुलाल और लट्ठमार, बृज में पूरे 40 दिन चलता है फाग का उत्सव, जानिए बृज की होली का इतिहास

Mahashivaratri 2025: महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, आरती और कथा सभी एक साथ

माता यशोदा के बारे में 5 अनसुनी बातें

Aaj Ka Rashifal: 14 फरवरी, वेलेंटाइन डे का राशिफल, जानें कैसे बीतेगा 12 राशियों का दिन

अगला लेख