जानें पिछले रेल मंत्रियों के बजट की खास बातें

Webdunia
गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016 (11:56 IST)
नीतीश कुमार (1998-99 और 2001-04) 
नीतीश कुमार एनडीए की वाजपेयी सरकार में दो बार 1998-99 और 2001-04 रेल मंत्री रहे।
उन्होंने अपने रेल बजट में इन बातों का एलान किया था
* रेलवे सेफ्टी और पेंडिंग प्रोजेक्ट्स पर व्हाइट पेपर।
* पुरानी हो चुकी एसेट्स के लिए 17 हजार करोड़ का बजट।
* इंटरनेट टिकट बुकिंग और तत्काल टिकट बुकिंग उन्हीं के कार्यकाल में शुरू हुई।

लालू प्रसाद यादव (2004-09) 
* 2004-09 के बीच रेल मंत्री रहे। दिलचस्प तरीके से बजट भाषण पढ़ते थे।
* पैसेंजर किराया नहीं बढ़ाया। लेकिन मालभाड़े से मिलने वाला रेवेन्यू बढ़ा दिया।
* रेलवे की माली हालत बदल देने के लिए उनके कामकाज की केस स्टडी आईआईएम में पढ़ाई जाने लगी।
लेकिन उनके बाद रेल मंत्री बनीं ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि लालू ने आंकड़ों में हेर-फेर कर बढ़ा हुआ रेवेन्यू दिखाया था।
 
ममता बनर्जी (1999 से 2001 और 2009 से 2011) 
 
सुश्री ममता बनर्जी 1999 से 2001 के बीच एनडीए की सरकार में और 2009 से 2011 के बीच यूपीए की सरकार में रेल मंत्री रहीं।
* दुरंतो ट्रेन और पश्चिम बंगाल के लिए खास योजनाएं।
* किराया नहीं बढ़ाया, लेकिन रेलवे की आर्थिक हालत सुधार नहीं पाईं।
* ममता बनर्जी ने व्हाइट पेपर लाकर दिखाया कि लालू ने रेलवे की सूरत बदल देने का कैसे गलत दावा किया था।
 

दिनेश त्रिवेदी
* ममता के पश्चिम बंगाल की सीएम बनने के बाद यूपीए सरकार में रेल मंत्री बने।
* सबसे पहले रेलवे बोर्ड का ढांचा बदला।
* पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के इच्छा के खिलाफ जाते हुए यह कहकर रेल किराया बढ़ा दिया कि पैसेंजरों को सुविधाएं चाहिए तो रेलवे को किराया बढ़ाना होगा।
* विवाद इतना बढ़ा कि ममता ने तब पीएम रहे मनमोहन सिंह से सिफारिश कर दी कि त्रिवेदी को बर्खास्त किया जाए।
* उनके बाद कुछ महीने के लिए मुकुल रॉय रेल मंत्री बने।
 
सदानंद गौड़ा (2014)   
* मोदी सरकार के पहले रेल मंत्री बने।
* इन्होंने भी रेलवे बोर्ड का ढांचा बदलने की कोशिश की।
* कैबिनेट ने रेलवे में एफडीआई को मंजूरी दे दी थी, लेकिन गौड़ा इसका रोडमैप पेश नहीं कर पाए।
 उनके बारे में कहा गया कि वे बहुत सॉफ्ट थे और रेलवे ब्यूरोक्रेसी से काम नहीं करा पाए।
सुरेश प्रभु (2014 से वर्तमान 
- गौड़ा कुछ ही महीने रेल मंत्री रहे। उन्हें सुरेश प्रभु ने रिप्लेस किया।
- मोदी की पसंद होने के कारण प्रभु की सीधी एंट्री हुई।
- कुछ ही घंटों में उन्होंने शिवसेना छोड़ बीजेपी की मेंबरशिप और मंत्री पद की शपथ ली।
- अपने पहले रेल बजट में उन्होंने किसी भी नई ट्रेन का एलान नहीं किया।
- माल भाड़ा बढ़ाया। लेकिन कुछ टोल फ्री नंबर और ट्रेनों में ई-कैटरिंग जैसी फैसिलिटी शुरू करने का एलान किया।
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