नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के अंतिम बजट में कर्मचारियों के लिए खुशी की खबर है कि बजट में टैक्स स्लैब की सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दी गई है। 5 लाख तक की आय पर पहले 13 हजार रुपए लगते थे। अब नहीं लगेगा कोई टैक्स। इसके अलावा डेढ़ लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट करने पर साढ़े छह लाख रुपए तक आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा। अब 5 लाख रुपए तक की आमदनी रखने वाले इंडिविजुअल टैक्स पेयर्स का पूरा टैक्स फ्री होगा।
इसके अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन 40 हजार रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए किया गया। टैक्स में छूट से मध्यम वर्ग के 3 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा। महिलाओं को बैक में 40 हजार तक के ब्याज पर नहीं लगेगा कोई टैक्स।
पीयूष गोयल ने कहा कि सभी करदाताओं का धन्यवाद। देश के विकास में टैक्सपेयर्स का योदगान। टैक्स पेयर्स से 50 करोड़ लोगों को लाभ मिलता है। साढ़े चार साल में टैक्स कलेक्शन बढ़ा है। इसलिए कुछ फायदा मिडिल क्लास को भी दिया जाए।
दरअसल 2014 से अब तक किसी भी बजट में इनकम टैक्स की लिमिट नहीं बढ़ाई गई थी। नतीजा लोगों को हर साल इनकम टैक्स में छूट मिलने का काफी इंतजार रहता था। इस बार भी कामकाजी लोगों को इनकम टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी की उम्मीदे थी। चुनावी वर्ष होने के नाते उम्मीद भी थी कि सरकार इनकम टैक्स लिमिट में मामूली ही सही लेकिन राहत जरूर दे सकती है लेकिन सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब ढाई लाख से बढ़ाकर पांच लाख की दी है।
सरकार पर पड़ेगा 18500 करोड़ रुपए का बोझ : आयकर छूट की सीमा को दोगुना करने से सरकारी खजाने पर 18,500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। यदि कोई करदाता किसी सरकार की विशेष कर बचत योजना में निवेश करता है तो उसके लिए प्रभावी करमुक्त आय की सीमा एक साल में 6.5 लाख रुपए होगी।
एनपीएस, चिकित्सा बीमा और आवास ऋण के ब्याज भुगतान को जोड़ने पर यह सीमा और बढ़ जाएगी। वित्त मंत्री ने बैंकों और डाक खाकघर की बचत योजनाओं पर मिलने वाले सालना 40000 रुपए तक के ब्याज को स्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस) से छूट दे दी है। अभी छूट 10000 रुपए तक के ब्याज पर थी।