Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हाईवे की स्पेशल लेन पर चलते हुए खुद चार्ज हो जाएगी आपकी गाड़ी, इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए गजब टेक्निक

हमें फॉलो करें हाईवे की स्पेशल लेन पर चलते हुए खुद चार्ज हो जाएगी आपकी गाड़ी, इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए गजब टेक्निक
, सोमवार, 17 अक्टूबर 2022 (17:00 IST)
charging cars India system : देश में हाल ही के दिनों में इले‍क्ट्रिक गाड़ियों के लिए प्रति रुझान बढ़ा है। कार कंपनियां भी बाजार में एक से बढ़कर इलेक्ट्रिक कारें उतार रही हैं। इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करना एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है।

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए भी तेजी से कार्य चल रहा है। इसके विकल्पों की खोज की जा रही है। इसी बीच एक खोज भी सामने आई है। जिसमें आपकी कार हाईवे पर चलते-चलते चार्ज हो जाएगी।  
 
धनबाद के IIT-ISM में हुए एक रिसर्च के बाद सड़कों पर दौड़ने वाली इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए एक ऐसा हाइब्रिड वायरलेस चार्जिंग सिस्टम डेवलप किया गया है, जिससे ये गाड़ियां चलते-चलते अपने-आप चार्ज हो जाएंगी। इन्हें किसी चार्जिंग स्टेशन पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी और वे लगातार लंबी दूरी तय कर सकेंगी।
 
आईआईटी धनबाद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. प्रदीप कुमार साधु की अगुवाई में लगातार ढाई साल तक हुए रिसर्च के रिजल्ट के आधार पर दावा किया जा रहा है कि इस सिस्टम के इस्तेमाल से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स रिवॉल्यूशन को एक नई गति और दिशा मिलेगी। आईआईटी-आईएसएम ने इसके पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया है।  इसके पहले संस्थान को इस क्षेत्र में छह ग्रांटेड पेटेंट मिल चुके हैं।  
webdunia
ऐसे काम करेगी यह तकनीक : सात सदस्यीय रिसर्च टीम के प्रमुख प्रो. साधु के मुताबिक इस हाइब्रिड रिन्यूएबल ड्रिवेन बाईडायरेक्शनल वायरलेस चार्जिंग सिस्टम के तहत हाईवे में एक अलग लेन तैयार करना होगा। इस लेन में इलेक्ट्रिक क्वायल लगा होगा, जो गाड़ी के इलेक्ट्रिक क्वायल के संपर्क में आकर उसे चार्ज करता रहेगा। इस लेन से गुजरने वाली गाड़ियां स्वत: चार्ज हो जाएंगी।

खास बात यह है कि यह चार्जिंग सिस्टम दिन में सोलर और विंड एनर्जी और रात में इलेक्ट्रिक ग्रिड के जरिए काम करेगा। इतना ही नहीं, इस सिस्टम से अतिरिक्त सोलर एनर्जी जेनरेट होने पर उसे ग्रिड में ट्रांसफर किया जा सकेगा।
 
ट्रायल रहा सफल : कोई गाड़ी एक्स्ट्रा चार्ज हो गई है तो उसे ग्रिड में वापस ट्रांसफर करके पावर क्रेडिट लिया जा सकता है। इस क्रेडिट का उपयोग बाद में वाहन को चार्ज करने के लिए किया जा सकता है।

इस सिस्टम के उपयोग से गाड़ियों की बैटरी का आकार भी कम किया जा सकेगा और इससे अंतत: बैटरी की लागत में कमी आएगी। चार्जिंग के दौरान गाड़ियों से इसकी फीस भी ऑटोमेशन सिस्टम के जरिए वसूल ली जाएगी। इस सिस्टम का प्रयोगशाला परीक्षण पूरा कर लिया गया है।  
 
भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक परंपरागत वाहनों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदलने का लक्ष्य तय किया है। इसके मद्देनजर इस रिसर्च को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। रिसर्च टीम में प्रो. प्रदीप कुमार साधु के अलावा प्रो. निताई पाल, प्रो. कार्तिक चंद्र जाना, अर्जित बाराल, प्रो. अनिर्बान घोषाल, अनिक गोस्वामी, सोनल मिश्रा शामिल हैं। भाषा Edited by Sudhir Sharma

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Russia-Ukraine War: रूसी हमलों के 1 सप्ताह बाद धमाकों से फिर दहला कीव, खेल मैदान और चौराहे को बनाया निशाना