यह तो है आपके लिए बाएँ हाथ का खेल

मनीष शर्मा
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मुर्शिदाबाद का सनकी नवाब कृष्णनगर के राजा ।कृष्णचंद्र को आए दिन किसी न किसी उलझन में डालता रहता था। राजा के दरबार में गोपाल नामक चतुर नाई था, जो उनकी हर उलझन को चुटकी बजाते हुए हल कर देता था।

एक बार उदास होकर राजा उससे बोले- इस बार नवाब ने हमें बड़ा ही बेतुका काम सौंपा है, जिसे तुम भी कुछ नहीं कर पाओगे। गोपाल- महाराज, आप बताएँ तो सही। हो सकता है वह काम मेरे लिए आसान हो। राजा- नवाब ने मुझे पूरी पृथ्वी की लंबाई-चौड़ाई नापकर बताने को कहा है। गोपाल- बस! यह तो मेरे लिए बाएँ हाथ का ही खेल है।

राजा- मजाक मत समझो, यदि यह काम नहीं हो पाया तो नवाब मुझे फाँसी पर लटका देगा। गोपाल- निश्चिंत रहें महाराज! मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूँगा। आप बस मेरे लिए सूती व रेशमी धागे से भरी हुई पच्चीस बैलगाड़ियों की व्यवस्था करा दें। राजा ने वैसा ही करा दिया। कुछ दिन बाद गोपाल उन बैलगाड़ियों को लेकर नवाब के पास पहुँचा।

नवाब- खाली हाथ आए हो या नाप भी लाए हो। गोपाल- हुजूर, नाप साथ में लाया हूँ। इसके लिए आपको बाहर चलना पड़ेगा। इस पर दोनों बैलगाड़ियों के पास पहुँचे। गोपाल- हुजूर, पहली चौदह गाड़ियों में जो धागा है, वह धरती की लंबाई के बराबर है और शेष गाड़ियों में चौड़ाई के बराबर। नवाब- लेकिन यह बात गलत साबित हुई तो? गोपाल-हुजूर, आप जाँच करा लें, गलत हो तो फाँसी पर चढ़ा देना।

यह सुनकर नवाब की जबान पर ताले लग गए। तभी गोपाल बोला- हुजूर, बड़ी मेहनत का काम था, इनाम नहीं देंगे? खिसियाए नवाब ने उसे इनाम देकर विदा कर दिया। वापस लौटकर जब यह बात उसने राजा को बताई तो वह उदासी छोड़ हँसते हुए बोले- वाकई, यह तो बाएँ हाथ का ही खेल था।

दोस्तो, अक्सर हम जिस काम को असंभव या कठिन मानते हैं, वह दूसरे के लिए भी वैसा ही हो, यह जरूरी नहीं। हो सकता है वह काम सामने वाले के लिए बहुत ही आसान हो, बाएँ हाथ का खेल हो, क्योंकि हर व्यक्ति के सोचने-समझने की क्षमता अलग-अलग होती है।

इसलिए यदि आप किसी समस्या का हल नहीं कर पा रहे हैं, तो यह न सोचें कि कोई दूसरा भी उसे हल नहीं कर पाएगा और वह समस्या अनसुलझी रह जाएगी। नहीं, यह संभव नहीं, क्योंकि जैसे हर पहेली का एक हल होता है, वैसे ही हर समस्या का भी एक समाधान होता है।

जरूरी है उसके बारे में निश्चिंत होकर सोचा जाए। सिर पकड़कर बैठने से तो हल होने से रहा। यदि आपको हल नहीं सूझ रहा हो, तो किसी ऐसे व्यक्ति को खोजें जिसके लिए वह उसके बाएँ हाथ का खेल हो। आपको कोई न कोई जरूर मिलेगा, जो असंभव को भी संभव कर दे।

दूसरी ओर, समाज में बाएँ हाथ से काम करने वालों को अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जाता। तभी तो यदि कोई बच्चा बाएँ हाथ से लिखता या काम करता है, तो उसके पालक या परिचित सीधे हाथ से लिखने या काम करने के लिए उस पर जोर डालते हैं। इससे आदत भले ही न बदले, लेकिन बच्चों के दिमाग में हीनभावना जरूर बैठ जाती है कि वे कुछ गलत कर रहे हैं।

इससे वे दब्बू बन जाते हैं। यदि आप भी ऐसी स्थिति गुजर रहे हैं तो अपने मन से यह बात निकाल दें कि खब्बू होना यानी बाएँ हाथ का होना कोई गलत बात है। आप लेफ्ट हैंडर होकर भी बहुत कुछ कर सकते हैं। इसलिए दब्बू बनने की बजाय कोशिश करें कि बेहतर खब्बू बनें।

और अंत में, आज 'इंटरनेशनल लेफ्ट हैंडेड डे' है। दुनिया में बाएँ हाथ से खेलने, काम करने वाले ऐसे बहुत से लोग हुए हैं, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में सफलता के नए-नए कीर्तिमान गढ़कर खुद को दूसरों से ज्यादा बेहतर साबित किया है। क्रिकेट की ही बात करें तो इनमें सौरव गांगुली, ब्रायन लारा, एलन बॉर्डर, वसीम अकरम जैसे कई नाम हमारे दिमाग में आएँगे।

अन्य क्षेत्रों में भी वामहस्त पीछे नहीं रहे, जैसे कि लियोनार्डो द विंची, नेपोलियन, जूलियस सीजर, विंस्टन चर्चिल, हैनरी फोर्ड, चार्ली चैपलिन आदि। तो फिर आप क्यों पीछे रहें। वैसे भी यह तो आपके लिए बाएँ हाथ का ही खेल है। अरे भई, वह उल्टे हाथ से काम करता है। इसका मतलब यह कहाँ से हुआ कि वह उल्टे काम करता है।
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