बौद्धिक संपदा अधिकार में करियर

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- जयंतीलाल भंडारी

संपदा दो प्रकार की होती है, गोचर और अगोचर अर्थात स्पर्शनीय और अस्पर्शनीय। भूमि, मकान, आभूषण, नकदी आदि गोचर संपत्ति के प्रमुख उदाहरण हैं जिन्हें देखा और स्पर्श किया जा सकता है लेकिन संपदा की एक श्रेणी ऐसी भी होती है जिसे स्पर्श नहीं किया जा सकता।

इस श्रेणी में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (बौद्धिक संपदा) को शामिल किया जाता है जो गोचर संपत्तियों से अधिक मूल्यवान होती है। बौद्धिक संपदा हालाँकि एक प्रछन्न संपत्ति है परंतु यह गोचर संपत्ति एकत्र करने का महत्वपूर्ण साधन है। बौद्धिक संपदा और अगोचर संपत्त िया ँ मिलकर विश्व अर्थव्यवस्था की सर्वाधिक महत्वपूर्ण संचालक शक्ति बन गई हैं।

हर प्रकार की संपत्ति को सुरक्षा और संरक्षण के सवालों का सामना करना पड़ता है। बौद्धिक संपत्तियों को अलग तरह के खतरों का सामना करना पड़ता है। गोचर संपत्ति को अगर चुराया जा सकता है तो बौद्धिक संपदा की भी नकल किए जाने का अंदेशा रहता है।

बौद्धिक संपदा संरक्षण के क्षेत्र में साहित्यिक चोरी या अवैध तरीके से नकल किया जाना सबसे गंभीर खतरा है क्योंकि इससे किसी बौद्धिक उत्पाद और उसके रचनाकर्ता की मौलिकता और प्रामाणिकता को धक्का पहुँचता है। किंतु इन अगोचर संपत्तियों का संरक्षण इतना आसान नहीं है जितना गोचर संपत्ति का होता है।

यह एक सूक्ष्म लेकिन जटिल मुद्दा है क्योंकि इसका सीधा संबंध किसी व्यक्ति के बौद्धिक कार्यों और इन प्रछन्न अस्तियों के बाजार मूल्य के साथ होता है। यही वजह है कि बौद्धिक संपत्तियों और उनके स्वामियों के हितों के संरक्षण के लिए उचित नीतिगत उपाय और सक्षम तंत्र की आवश्यकता है। इसी तंत्र को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (आईपीआर) के रूप में जाना जाता है।

आईपीआर मुख्य रूप से वैधानिक अधिकार हैं, जो उत्पादक/कार्य के रचनाकर्ता अथवा स्वामी को प्रदान किए जाते हैं ताकि वह एक निश्चित अवधि तक अन्य लोगों को अपने उत्पाद के वाणिज्यिक दोहन से रोक सके। यह अधिकार रचनाकर्ता/आविष्कारकर्ता को उत्पाद/कार्य का मालिक बनाते हैं।

बौद्धिक संपदा अधिकार कानून आधुनिक अवधारणा नहीं है बल्कि इनकी जड़ें 15वीं सदी में तलाशी जा सकती हैं। उस समय प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार से साहित्यिक कार्यों की नकल करने का काम अभूतपूर्व ढंग से संभव हुआ। इस गैर कानूनी नकल को देखते हुए व्यक्तिगत रचनाओं और आविष्कारों के संरक्षण के लिए कानून बनाए गए।

यह बौद्धिक संपदा अधिकार कानूनों की शुरुआत थी, आज हम विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) और ट्रिप्स यानी व्यापार संबंधी बौद्धिक संपदा अधिकार समझौते के रूप में देखते हैं। जिससे प्रकार गोचर संपत्तियों की रक्षा के अनेक तौर-तरीके हैं, उसी प्रकार अगोचर संपत्तियों यानी किसी पुस्तक, किसी कविता, किसी वैज्ञानिक या प्रौद्योगिकी संबंधी आविष्कार, औद्योगिक अथवा कृषि संबंधी आविष्कार, किसी प्रसारण, फिल्म अथवा कोई अन्य वस्तु जिसकी रचना मौलिक रूप से मानव संसाधनों द्वारा की गई हो, के संरक्षण के अनेक उपाय हैं।

मौलिकता और नवीनता के संरक्षण के लिए इन साधनों का प्रयोग करते हैं-

ट्रेड मार्क- ट्रेड मार्क किसी लोगो, प्रतीक, शब्द, मुहावरे, जिंगल, चित्र, ध्वनि और यहाँ तक कि खुशबू अथवा इन सभी वस्तुओं का मिला-जुला रूप हो सकता है, जिसका इस्तेमाल किसी रचना/सेवा को अन्य रचना/सेवा से अलग दर्शाने के लिए किया जाता है। ट्रेड मार्क किसी विशेष वस्तु/सेवा को खास पहचान प्रदान करता है और इस तरह वह उसे नकल किए जाने से बचाता है।

पेटेंट- पेटेंट किसी व्यक्ति अथवा कंपनी/संगठन के रूप में व्यक्तियों के समूह को प्रदत्त किया जाने वाला वह अधिकार है जो उन्हें किसी खास आविष्कार या बेजोड़ विनिर्माण प्रक्रिया से लाभ उठाने का हक प्रदान करता है। पेटेंट किसी भी आवेदक के देश की सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है और इससे आविष्कारकर्ता को एक सीमित अवधि तक यह अधिकार मिल जाता है कि उसकी अनुमति के बिना कोई अन्य व्यक्तिउसके आविष्कार का किसी भी रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकता है।

कॉपीराइट - यह मौलिक साहित्यिक कार्य जैसे पुस्तकों, उपन्यासों, गीतों, गानों, कंप्यूटर प्रोग्रामों आदि के संरक्षण का साधन है। ये रचनाएँ अस्तित्व में आते ही रचनाकर्ता की संपत्ति बन जाती है।

डिजाइन- डिजाइन किसी उत्पाद का संपूर्ण या आंशिक प्रस्तुतीकरण होता है जो उसके रंग, रूप, आकार अथवा किसी उत्पाद की सामग्री या उसकी पैकेजिंग की विशेषताओं की परिणति होता है।

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