अक्षय कुमार: सावधानी से रखना होगा कदम

अवार्ड दिला सकती है 2010 की फिल्में

भारती पंडित
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अक्षय कुमार की फिल्में भले ही वो हिट रही हो या फ्लॉप लेकिन वे हमेशा चर्चा में रहते है। हालाँकि अक्षय के चाहने वालों के लिए उसकी हर फिल्म अच्छी ही होती है मगर फिल्म 'चाँदनी चौक टू चाइना' ने निराश ही किया। अपने दम पर फिल्म को खींच लेने वाले अक्षय इस बार कहाँ चूक गए?

अक्षय का जन्म 9 सितंबर 1967 को हुआ। सूर्य कुंडली के अनुसार सिंह लग्न व तुला राशि में जन्मे अक्षय को लग्न में सूर्य व शुक्र के प्रभाव ने आकर्षक व्यक्तित्व का बनाया। लग्न में स्वराशि का सूर्य अति साहसी भी बनाता है। स्वराशिस्थ मंगल भी साहस में वृद्धि करता है। इसी के चलते अक्षय जूडो कराटे के चैंपियन रहे और अपने खतरनाक स्टंट भी स्वयं करने में रूचि दिखाते हैं।

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बुध वाणी भाव में स्वराशिस्थ है। इसी से अक्षय वाकपटु हैं। विशेषत: सहज बुद्धि व कॉमेडी के सही टाइमिंग ने इन्हें भरपूर लोकप्रियता दी है।

तुला राशि का चंद्रमा होने से उम्र का असर इन पर दिखाई नहीं देगा और बढ़ती उम्र के साथ इनके व्यक्तित्व में निखार आता जाएगा। चंद्रमा के साथ केतु का योग है जो इन्हें 'हाईली प्रोफेशनल' बनाता है व तनिक स्वार्थी वृत्ति भी देता है। राहु का भाग्य भाव में होना अचानक व उम्मीदों से परे सफलता-असफलता के योग बनाता है।

धार्मिक व आध्यात्मिक रूचि भी देता है। पंचमेश गुरु व्यय में उच्च का है जो शिक्षा के अवसर कम होने पर भी बुद्धि बल से कठिन परिस्थिति में पार लगाने का साहस देता है। साथ ही सप्तमेश शनि पर इसकी दृष्टि विवाह संबंधों की प्रबलता व विश्वास देती है।

वर्तमान में अक्षय बुध की महादशा में राहु के अंतर से गुजर रहे हैं। बुध महादशा 97 से प्रारंभ है जो धनेश व आवेश बनकर स्वगृही है अत: यह महादशा धनलाभ तो देगी ही (98 के बाद ही अक्षय के कैरियर का ग्राफ आगे बढ़ा है) मगर राहु का अंतर आकस्मिकता व संदेह को जन्म देता है और व्यक्ति अतिविश्वास में मारा जाता है। साथ ही गोचर में भी गुरु-शनि-राहु की स्थिति अच्छी नहीं है। अक्षय की नई फिल्म की असफलता के यही कारण हो सकते हैं।

2009 वर्ष अक्षय के लिए विशेष शुभ नहीं है। उन्हें सोच-समझकर फिल्में करनी चाहिए अन्यथा आलोचना व हानि का सामना करना पड़ सकता है। 2010 के बाद गोचर के ग्रह भी बदलेंगे और बुध में पंचमेश गुरु का अंतर प्रारंभ होगा जो अक्षय के लिए शुभ समाचार लाएगा। यदि दूरदर्शी सोच रखी जाए तो 2010 में की गई फिल्में अक्षय को अवार्ड भी दिला सकती है।

बस जरूरत है जल्दबाजी से बचने की, सोच विचार की व अनर्गल बयानबाजी पर काबू रखने की। प्रयोगवादी फिल्में करना इन्हें प्रसिद्धि दिला सकता है। इस दौरान गुरु की सेवा, बड़ों का आदर करना व विद्यार्थियों के अध्ययन में सहयोग करना इन्हें लाभ देगा।
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