कैसे होंगे गणतंत्र दिवस के सितारे देश के लिए

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
भारतीय संविधान को पारित हुए 65 वर्ष बीत रहे हैं वहीं 66वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। 66वें गणतंत्र का प्रवेश अमृत के चौघड़िया से शुरू होगा, जो भारत के लिए शुभ फलदायी रहेगा।


 


 

इस बार विशेष यह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा आ रहे हैं। द्वादश भाव विदेश का माना जाता है वहीं तृतीय भाव पराक्रम का। इन दोनों भावों का स्वामी गुरु उच्च का होकर सप्तम भाव में होने से भारत के प्रधानमंत्री व अमेरिका के राष्ट्रपति में व्यावसायिक संबंधों की बातचीत हो सकती है। 
 
महत्वपूर्ण मसलों पर भी चर्चा हो सकती है, जो सकारात्मक होगी। गुरु उच्च का होकर सप्तम भाव से एकादश यानी आय भाव पर पंचम दृष्टि वृश्चिक पर डाल रहा है अत: आर्थिक मामलों में सफलता मिल सकती है।
शेष भाग अगले पृष्ठ पर... 


 


 


सूर्य गुरु का लग्न व सप्तम से समसप्तक योग भी प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला होगा। गुरु की नवम दृष्टि तृतीय भाव पर पड़ने से साझेदारी व मित्रता के मामलों में संचार सेवाओं संबंधित कोई महत्वपूर्ण चर्चा हो सकती है। 
 
पंचमेश व दशमेश का द्वितीय भाव में शनि की स्थिर राशि कुंभ में होने से आर्थिक समस्याओं पर भी चर्चा होकर लाभजनक स्थिति रह सकती है। 

गुरु चन्द्र का राशि परिवर्तन व विपरीत राजयोग गुरु व चन्द्र से होना भी भारत के लिए महत्वपूर्ण होगा। शनि व मंगल का राशि परिवर्तन भी भारत के लिए कोई विशेष सफलता का वर्ष रहेगा। 


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