कन्या पूजन का महत्व

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देवी के दर्शन करने और नौ दिन तक व्रत करने और हवन करने के बाद कन्या पूजन का बहुत महत्व है। दो वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या पूजन का विधान है।

दो वर्ष की कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पाँच वर्ष की रोहिणी, छः वर्ष की बालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है।

सभी शुभ कार्यों का फल प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन किया जाता है। कुमारी पूजन से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज प्राप्त होता है। इससे विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश भी होता है। होम, जप और दान से देवी इतनी प्रसन्न नहीं होतीं जितनी कन्या पूजन से।
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