Chhath Puja 2025: लोक आस्था और पवित्रता के महापर्व छठ पूजा में प्रसाद की टोकरी (सूप) में कुछ विशेष भोग और फलों को शामिल करना अत्यंत शुभ और अनिवार्य माना जाता है। ये भोग और फल न केवल छठी मैया को प्रिय हैं, बल्कि इनकी प्राकृतिक पवित्रता ही इस व्रत का मूल है। छठ मैया और सूर्य देव को जो भोग लगाया जाता है, वह अत्यंत शुद्ध, सात्विक और पारंपरिक होता है।
1. डाभ नींबू: सामान्य नींबू से बड़ा, अंदर से लाल और खट्टा-मीठा। इसकी मोटी बाहरी परत के कारण यह पशु-पक्षियों द्वारा जूठा नहीं हो पाता, जिससे इसकी पवित्रता बनी रहती है। इसे पूजा में लाना बेहद शुभ है।
2. गन्ना (ईख): यह छठ पूजा के लिए सबसे जरूरी सामग्री है। कई स्थानों पर गन्ने का घर (कोसी) बनाकर पूजा की जाती है। इसकी कठोरता के कारण यह जूठा नहीं होता और घर में सुख-शांति लाता है।
3. ईख (गन्ना): पांच या सात गन्ने का बंडल प्रसाद के साथ रखा जाता है। यह समृद्धि और संतान की लंबी आयु का प्रतीक है।
4. केला: यह छठी मैया का प्रिय फल माना जाता है, जिसमें भगवान विष्णु का वास माना जाता है। इसे कच्चा तोड़कर घर पर ही पकाया जाता है ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे। केले के पत्ते पर ही सारा प्रसाद सजाया जाता है। ताजे फल, विशेष रूप से केला, छठी मैया को अर्पित किए जाते हैं।
5. नारियल: इसे देवी लक्ष्मी का स्वरूप और परम पवित्र फल माना जाता है। पूजा में नारियल चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और यह अनिवार्य सामग्री है।
6. सिंघाड़ा: यह फल जल में होता है और माता लक्ष्मी को प्रिय है। इसका सख्त छिलका इसकी पवित्रता बनाए रखता है, इसलिए इसे छठ मैया को अर्पित किया जाता है।
7. सुपारी: हिंदू धर्म में शुभ कार्यों में इसका प्रयोग किया जाता है। यह कठोर होती है और देवी लक्ष्मी का प्रभाव माना जाता है, इसलिए इसे पूजा संकल्प में शामिल किया जाता है।
8. सुथनी: यह मिट्टी से निकलने वाला फल है, जिसे अत्यंत पवित्र और शुद्ध माना जाता है। आयुर्वेद में भी लाभकारी होने के कारण इसे छठ पूजा की सामग्री में शामिल किया जाता है।
9. अदरक का पौधा: अदरक का पौधा (जिसमें फल लगा हो) भी छठ पूजा की विशेष सामग्री है। यह देवी को समर्पित होता है और इसे सात्विक पूजा का प्रतीक माना जाता है।
10. ठेकुआ: यह छठ पूजा का सबसे मुख्य और अनिवार्य प्रसाद है। यह आटा, मैदा और गुड़/चीनी से शुद्ध घी में बनाया जाता है।
11. कसार: यह भुने हुए चावल को गुड़ या चीनी के साथ पीसकर बनाया जाता है।
12. गुड़ की खीर (रसिया): इसे साठी के चावल, दूध और गुड़ से बनाया जाता है। यह प्रसाद खरना के दिन खाया जाता है।
13. कद्दू-भात (लौकी भात): कद्दू (लौकी) की सब्जी, चने की दाल और अरवा चावल। यह प्रसाद व्रत शुरू करने से पहले खाया जाता है।
14. पूरी या रोटी: यह प्रसाद खीर के साथ खाया जाता है।
मूल महत्व: इन सभी फलों और सामग्रियों को टोकरी में रखने का मुख्य कारण इनकी प्राकृतिक पवित्रता (जिस पर पशु-पक्षी का जूठन न हो) और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना है। इनके बिना प्रसाद की टोकरी अधूरी मानी जाती है।