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Chhath Puja: छठ पूजा: छठी मैया किसकी पत्नी हैं?

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WD Feature Desk

, शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 (11:32 IST)
Chhathi maiya ke pati kaun hai: छठी मैया, जिन्हें षष्ठी देवी या देवसेना के नाम से जाना जाता है, छठ पूजा की मुख्य पूजनीय देवी हैं। यह पवित्र पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश में सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की आराधना के रूप में मनाया जाता है। लोककथा और लोक मान्यताओं के कारण ही छठ पर्व में छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि इनकी आराधना से आरोग्यता, वैभव और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
 
सूर्यदेव की बहन और कार्तिकेय की पत्नी? (विभिन्न मान्यताएं)
छठी मैया के संबंध में कई मान्यताएं और लोककथाएं प्रचलित हैं। यह एक लोकमान्यता है। दिलचस्प बात यह है कि यह उन कुछ सौर पर्वों में से एक है जो सूर्योदय के बजाय सूर्यास्त से शुरू होता है।
 
सूर्य की पत्नी या सहचरी (ऊषा/प्रत्यूषा):
  1. एक प्रमुख लोकमान्यता के अनुसार, छठी मैया को सूर्यदेव की बहन भी माना गया है। चूँकि छठ पूजा सूर्य की उपासना का पर्व है, इसलिए छठी मैया की पूजा साथ में की जाती है। 
  2. एक अन्य मान्यता अनुसार देवी छठी मैया/ऊषा को सूर्य की सहचरी कहा जाता है, जो श्रद्धा और पूजा का एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
  3. छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्य की उपासना का पर्व है। इस त्योहार में डूबते (प्रत्यूषा) और उगते (ऊषा) सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
  4. कुछ लोककथाओं और स्थानीय मान्यताओं में छठी मैया को सूर्य की बहन या सूर्य की पत्नी/शक्ति के रूप में पूजनीय माना जाता है, इसलिए सूर्य पूजा के साथ ही उनकी पूजा होती है।
 
2. भगवान कार्तिकेय की पत्नी (देवसेना/षष्ठी देवी):
1. पुराणों में, विशेष रूप से ब्रह्मवैवर्त पुराण में, 'षष्ठी देवी' (जिनके नाम पर यह पर्व 'सूर्य षष्ठी' या 'छठ' कहलाता है) को भगवान कार्तिकेय की पत्नी 'देवसेना' के रूप में वर्णित किया गया है। षष्ठी देवी को संतान की रक्षक देवी माना जाता है, और छठ पूजा का एक मुख्य उद्देश्य संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य भी है।
 
3. एक अन्य मान्यता के अनुसार, उन्हें इंद्र की पुत्री भी कहा जाता है, और इंद्र ने ही उनका विवाह कार्तिकेय से कराया था, जब कार्तिकेय देवताओं के सेनापति बने थे। महाभारत में देवसेना को प्रजापति दक्ष की पुत्री बताया गया है, जबकि कुछ संस्कृत ग्रंथ उन्हें देवों के राजा इंद्र और उनकी पत्नी शची की पुत्री मानते हैं। स्कंद पुराण के तमिल संस्करण में, उन्हें भगवान विष्णु की पुत्री के रूप में चित्रित किया गया है, जिन्हें बाद में इंद्र ने गोद लिया था और बाद में इंद्र ने उनकी सगाई कार्तिक से कर दी थी।
 
कंफ्यूजन:
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, जब भगवान ने दुनिया बनाई, तो उन्होंने पुरुष और प्रकृति की द्वैतता भी बनाई। फिर प्रकृति को कई तत्वों में विभाजित किया गया, जिनमें से छठा भाग छठी/षष्ठी है... उन्हें 'देवसेना कहा जाता है।" हालांकि जबकि छठी मैया को अक्सर सूर्य की सहचरी कहा जाता है, ब्रह्मवैवर्त पुराण में देवसेना का उल्लेख कार्तिक की पत्नी के रूप में भी मिलता है। 
 
रॉबर्ट एल. ब्राउन, अपनी पुस्तक 'गणेश: स्टडीज ऑफ एन एशियन गॉड' में, गणेश खंड से उद्धृत करते हैं कि कामदेव ने कार्तिक को 'यौन विज्ञान का ज्ञान' दिया; इसके बाद "ब्रह्मा ने वेदों का पाठ किया और सुंदर, मनमोहक, अच्छे स्वभाव वाली देसेना (जिसे विद्वान षष्ठी कहते थे) का कार्तिक से विवाह किया।"
 
ध्यान दें: 
  • उपर्युक्त मान्यताएं लोककथाओं और कुछ क्षेत्रीय ग्रंथों पर आधारित हैं। 
  • स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण, ब्रह्मांड पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण जैसे ग्रंथों में इसका उल्लेख बहुत संक्षिप्त में मिलता है। 
  • वहीं, उत्तर भारत में, भगवान कार्तिकेय को आमतौर पर ब्रह्मचारी और अविवाहित माना जाता है।
  • पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, छठी मैया, जिन्हें षष्ठी देवी या देवसेना कहा जाता है, भगवान कार्तिकेय की पत्नी हैं।
  • लोक आस्था और पर्व की परंपरा में, वह सूर्य की उपासना से जुड़ी हुई हैं, जहाँ उन्हें सूर्य की बहन या उनकी शक्ति के रूप में भी सम्मान दिया जाता है।
  • दोनों ही मान्यताएँ इस पर्व का हिस्सा हैं, इसलिए ये कन्फ्यूजन होना स्वाभाविक है।
  • आप छठी मैया को संतान की रक्षक देवी (कार्तिकेय की पत्नी) और सूर्य देव से जुड़ी शक्ति (पर्व का आधार) के रूप में याद रख सकते हैं।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
 

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