भारी पड़ेगा मैदान

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रायपुर। टिकटों के फैसले में हो रही लेटलतीफी प्रत्याशियों पर भारी पड़ेगी। करीब डेढ़ से दो लाख मतदाताओं से संपर्क स्थापित करने के लिए उन्हें बमुश्किल 15-20 दिन मिल पाएँगे। इसी दौरान रूठों को मनाने और अपनों को काम पर लगाने की रणनीति को भी अंजाम देना होगा।

प्रत्याशियों के चयन के मामले में अव्वल रहती आई भाजपा इस बार गच्चा खा गई। अब तक नामांकन दाखिले से काफी पहले भाजपा के प्रत्याशी घोषित हो जाते थे। इस बार नामांकन दाखिला शुरू होने के बावजूद सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशी तय नहीं हो पाए हैं। बची 12 सीटों के प्रत्याशी तय करने में पूरा हफ्ता गुजर जाने के आसार नजर आ रहे हैं।

पार्टी ने अब तक 18 विधायकों की जगह नए उम्मीदवार तय कर दिए हैं। कुछ सीटों पर पुराने उम्मीदवारों को भी टिकट से वंचित कर दिया गया है। ऐसे में नए प्रत्याशियों के समक्ष प्रचार सामग्री जुटाने, उसे शहर में लगवाने और मतदाताओं के घर-घर पहुँचने की समस्या खड़ी हो गई है। इसके बावजूद पार्टी के नेता प्रचार में हर बार की तरह अव्वल रहने के प्रति आश्वस्त हैं। रायपुर पश्चिम से पार्टी के प्रत्याशी बनाए गए राजेश मूणत कहते हैं कि भाजपा चाक-चौबंद है। दो-तीन दिन में मैदानी स्तर पर पार्टी का प्रचार नजर आने लगेगा। कार्यकर्ताओं की पार्टी होने के कारण भाजपा ने मतदान केन्द्र स्तर तक तैयारी कर रखी है।

दूसरी ओर, कांग्रेस अब तक टिकटों में उलझी है। नामांकन दाखिले का तीसरा दिन बीतने के बाद भी पार्टी के प्रत्याशी तय नहीं हो पाए हैं। दिल्ली से आ रही खबरों के बावजूद कार्यकर्ताओं को यह नहीं मालूम कि टिकटों का फैसला किस फार्मूले के तहत हो रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी भले ही कोटा सिस्टम खत्म करने की बात कर रही हैं, मगर ऐसा संभव नहीं हो पाया है।

हर नेता अपनी-अपनी सूची को मंजूर करवाने में जुटा है। प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने का इंतजार किया जा रहा है। ताजा हालात के चलते कांग्रेस प्रत्याशियों को को भाजपा के मुकाबले पखवाड़े भर का वक्त ही मिलेगा। उसमें भी नाराज लोगों को मनाने में आधा वक्त गुजर जाएगा। कांग्रेस के टिकटों को लेकर आखिरी दिन तक संशय कायम रहता है। लिहाजा, किसी भी दावेदार ने अब तक प्रचार सामग्रियों की खरीदारी नहीं की है। वही बड़े नेता सामग्रियाँ तैयार करवा रहे हैं, जिनके टिकट तय हैं। (नईदुनिया)

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