मेघाराम की हैट्रिक को कड़ी चुनौती

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सक्ती विधानसभा सीट पर रमन मंत्रिमंडल के केबिनेट मंत्री मेघाराम साहू की जीत की हैट्रिक को कड़ी चुनौती मिल रही है। कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार के रूप में राठौर समाज की श्रीमती सरोजा मनहरण राठौर को मैदान में उतारकर उनकी राह में रोड़ा अटकाने का प्रयास किया है। यहाँ विकास व भ्रष्टाचार मुख्य चुनावी मुद्दा है।

जाँजगीर-चाँपा जिले की सक्ती सीट पर किसी एक राजनीतिक दल का कब्जा नहीं रहा। पिछले सात चुनावों में कांग्रेस व भाजपा ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की है, जबकि 1985 के चुनाव में एक बार निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुए थे। भाजपा प्रत्याशी साहू ने पिछले चुनाव में कांग्रेस के मनहरण राठौर को बहुत कम वोटों से पराजित किया था।

क्षेत्र के मतदाता साहू के सरल व सहज व्यक्तित्व से परिचित हैं और वे अपने कार्यकाल में विकास के काफी काम करवाए हैं। भाजपा से कोई बागी प्रत्याशी मैदान में नहीं है। इसके बावजूद उनकी हैट्रिक की राह पर कई रोड़े नजर आ रहे हैं। मंत्री होने के नाते उनके खिलाफ भ्रष्टाचार सहित कई मुद्दे हैं, जिन्हें भुनाने के लिए कांग्रेस प्रयासरत है। सड़कों की खस्ता हाली को भी कांग्रेसी मुद्दा बना रहे हैं।

कांग्रेस ने पूर्व प्रत्याशी मनहरण राठौर की पत्नी सरोजा राठौर को टिकट देकर राठौर वोट को प्रभावित करने की कोशिश की है। यह राठौर बहुल क्षेत्र है। सक्ती विधानसभा क्षेत्र का नंदौर गाँव मायका होने के कारण वे क्षेत्र की बेटी होने का हवाला देते हुए वोट माँगने जनता के बीच जा रही हैं। उनके समर्थक कहते हैं कि क्षेत्र की जनता इस बार परिवर्तन चाह रही है, जिसका लाभ कांग्रेस को मिलने की संभावना है।

कांग्रेस से टिकट के दावेदार रहे जिला पंचायत सदस्य ए. संजय रामचंद्र बागी होकर चुनाव मैदान में हैं। इसका नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। प्रचार में कांग्रेस व भाजपा दोनों ही प्रत्याशी जुटे हैं। क्षेत्र में भाजपा की तरफ से भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज व सांसद नवजोत सिद्घू की सभा हुई है, जबकि कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व अजीत जोगी चुनाव प्रचार में पहुँचे।

इनके अलावा बसपा के सहसराम कर्ष भाग्य आजमा रहे हैं। बसपा ने पिछले चुनाव में करीब आठ हजार वोट बटोरे थे। इस चुनाव में भी पार्टी के कार्यकर्ता बसपा का वोट प्रतिशत बढ़ने का दावा कर रहे हैं।

परिसीमन में करतला क्षेत्र के 38 पोलिंग बूथ सक्ती विधानसभा से अलग होकर रामपुर विधानसभा में जुड़ गए हैं, जहाँ भाजपा की अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसी प्रकार चाँपा विधानसभा के 51 व अकलतरा विधानसभा के 23 गाँव सक्ती विधानसभा में शामिल हो गए हैं। इन गाँवों में कांग्रेस व भाजपा का जनाधार लगभग बराबर बताया जाता है। जातिगत समीकरण देखें तो सक्ती विधानसभा राठौर बहुल क्षेत्र है। यहाँ हरदिहा पटेल व साहू जाति की भी अच्छी आबादी है।

राजपरिवार की सक्रियता कम : क्षेत्र की राजनीति में अब सक्ती राजपरिवार की सक्रियता कम होती नजर आ रही है। राजपरिवार से जुड़े पूर्व विधायक राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने इस बार कांग्रेस के प्रचार से अपने को अलग कर लिया है। वे कांग्रेस से टिकट के दावेदार थे। दूसरी तरफ भाजपा विधायक रहे पुष्पेंद्र बहादुर की पत्नी श्रीमती रंजना देवी सिंह भी चुनाव समर में कूद पड़ी हैं। (नईदुनिया)

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