* भोजन के बाद निकले जूठे बर्तन एवं किचन की सफाई उसी वक्त करें। सुबह की सफाई शाम पर न छोड़ें।
* बाथरूम को प्रतिदिन धोकर साफ करना चाहिए। कभी-कभी एसिड आदि का उपयोग अवश्य करें।
* शरीर से पसीना निकलना स्वाभाविक प्रक्रिया है। भोजन बनाते वक्त खिड़की-दरवाजे खुले रखना चाहिए ताकि पर्याप्त हवा आए। पसीना पोंछते-पोंछते उन्हीं हाथों से किचन का कार्य करना ठीक नहीं। यदि पसीने की बदबू आती है तो सायंकाल स्नान करना भी उचित है।
उक्त बिंदुओं से मिलती-जुलती और भी अनेक छोटी-मोटी असावधानियाँ हो जाया करती हैं, जिस ओर ध्यान देकर हम अपने और दूसरों के चित्त एवं शरीर का बखूबी ध्यान रख सकते हैं।
* जूते-चप्पलों को एक ओर कतारबद्ध या स्टैंड पर व्यवस्थित जमाकर रखें। घर के वाहनों- साइकल, स्कूटर आदि को आड़े तिरछे खड़ेकर रास्ता जाम न करें।
* खाना परोसने, खाने के पहले हाथ धोएँ। नाखून बड़े न करें।
* हमारे घर से निकला गंदा पानी सड़क पर या पड़ोसी के घर तक न फैले, इसकी उचित व्यवस्था की ओर ध्यान देना चाहिए।
इस प्रकार उक्त बिंदुओं से मिलती-जुलती और भी अनेक छोटी-मोटी असावधानियाँ हो जाया करती हैं, जिस ओर ध्यान देकर हम अपने और दूसरों के चित्त एवं शरीर का बखूबी ध्यान रख सकते हैं।