नई दिल्ली। आज कोरोनावायरस महामारी से देश में डरावना माहौल बना हुआ है। वायरस से जंग में सरकार के तमाम दावे नाकाम दिखाई दे रहे हैं। देश के हालात बेकाबू हो गए हैं। लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू जैसे कदम उठाए जा रहे हैं। देश में कहीं ऑक्सीजन की कमी तो कहीं इंजेक्शन की। अस्पतालों के बाहर कोरोना मरीजों की मौत की विचलित करने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं। आखिर एक साल बाद भी हम कोरोना पर काबू क्यों नहीं पा सके। आखिर भारत में कोरोना के मामलों की बढ़ोतरी के पीछे क्या कारण हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि 'कोविड के मामलों में बढ़ोतरी के कई कारण हैं। लेकिन 2 मुख्य कारण हैं- जब जनवरी/फरवरी में टीकाकरण शुरू हुआ और मामलों में कमी आई तो लोगों ने कोविड को लेकर उचित व्यवहार का पालन करना बंद कर दिया और इस समय वायरस म्यूटेट हो गया और यह अधिक तेजी से फैल गया।
गुलेरिया ने कहा कि 'हम हेल्थकेयर सिस्टम में भारी गिरावट देख रहे हैं। हमें मामलों की बढ़ती संख्या के लिए अस्पतालों में बेड्स/संसाधनों को बढ़ाना होगा। हमें तत्काल कोविड 19 मामलों की संख्या को कम करना होगा। यह एक ऐसा समय है जब हमारे देश में बहुत सारी धार्मिक गतिविधियां होती हैं और चुनाव भी चल रहे हैं। हमें समझना चाहिए कि जीवन भी महत्वपूर्ण है।
हम इसे प्रतिबंधित तरीके से कर सकते हैं ताकि धार्मिक भावना आहत न हो और कोविड के उचित व्यवहार का पालन किया जा सके। गुलेरिया ने कहा कि हमें याद रखना होगा कि कोई भी टीका 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं है। आपको संक्रमण हो सकता है लेकिन हमारे शरीर में एंटीबॉडी वायरस को बढ़ने नहीं देंगे और आपको गंभीर बीमारी नहीं होगी।
लांसेंट जर्नल की चेतावनी : लांसेंट जर्नल (Lancet Report) में भारत की दूसरी कोरोना लहर के प्रबंधन के लिए जरूरी कदम शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जल्द ही देश में हर दिन औसतन 1750 मरीजों की मौत हो सकती है।
रोजाना मौतों की यह संख्या बहुत तेजी से बढ़ते हुए जून के पहले सप्ताह में 2320 तक पहुंच सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक इस बार कोरोना से देश के टीयर-2 व टीयर-3 श्रेणी वाले शहर सबसे ज्यादा संक्रमित हैं। यानी 10 लाख तक की आबादी वाले शहरों में इस बार हाल ज्यादा खराब हैं। साथ ही कहा गया है कि भौगोलिक स्थिति के हिसाब से देखें तो पहली लहर और दूसरी लहर में संक्रमणग्रस्त क्षेत्र लगभग वही हैं।