दुनिया में कहां और कितने देशों में हो रहा वैक्‍सीन पर काम?

नवीन रांगियाल
दुनिया को कोरोना की वैक्‍सीन का इंतजार है, हाल ही में खबर आई है कि जल्‍द ही वैक्‍सीन उपलब्‍ध हो सकेगी। ऐसे में यह जानना जरुरी है कि अब तक किन किन देशों में वैक्‍सीन पर कितने ट्रायल हो चुके हैं।
आइए जानते हैं वैक्‍सीन के क्‍लि‍निकल ट्रायल के बारे में।

वैक्सीन बनाने की दिशा में चल रहे प्रयासों की बात करें, तो दुनियाभर में अब तक कोरोना वायरस की 23 वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल हो चुके हैं।

दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ (एम्स) में भी ट्रायल हो चुका है।

भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड और जायडस कैडिला भी अपना परीक्षण कर चुका है। इसे को-वैक्सीन का नाम दिया गया था।

इसके अलावा तक़रीबन आधा दर्जन भारतीय कंपनियां कोविड-19 के वायरस के लिए वैक्सीन विकसित करने में अभी भी जुटी हुई हैं।

यूरोप में दुनिया का पहला ट्रायल ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्ड में शुरू हुआ था। ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन का पहला ह्यूमन ट्रायल क़ामयाब रहा था। नेशनल इंस्टिट्यूट्स ऑफ़ हेल्थ और मोडेरना इंक में डॉ. फाउची और उनकी टीम ने इस वैक्सीन को विकसित किया था।

इसके अलावा रूस के इंस्टिट्यूट फ़ॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के डायरेक्टर वादिम तरासोव ने दावा किया था कि रुस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है

ये भी कर रहे वैक्‍सीन पर काम

MRNA-1273 वैक्सीन
मॉडर्ना थेराप्युटिक्स एक अमरीकी बॉयोटेक्नॉलॉजी कंपनी है, जिसका मुख्यालय मैसाचुसेट्स में है। इस वैक्सीन के दो क्लीनिकल ट्रायल पूरे हो चुके हैं।

INO-4800 वैक्सीन
अमरीकी बॉयोटेक्नॉलॉजी कंपनी इनोवियो फ़ार्मास्युटिकल्स का मुख्यालय पेन्सिल्वेनिया में है। इनोवियो फ़ार्मास्युटिकल्स की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक़, पहले फ़ेज़ के नतीजे सकारात्मक रहे हैं।

AD5-nCoV वैक्सीन
चीनी बॉयोटेक कंपनी कैंसिनो बॉयोलॉजिक्स वैक्सीन पर काम कर रहा है। इस प्रोजेक्ट में कैंसिनो बॉयोलॉजिक्स के साथ इंस्टीट्यूट ऑफ़ बॉयोटेक्नॉलॉजी और चाइनीज़ एकेडमी ऑफ़ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज़ भी काम कर रहे हैं।

LV-SMENP-DC वैक्सीन
चीन के ही शेंज़ेन जीनोइम्यून मेडिकल इंस्टीट्यूट में एक और ह्यूमन वैक्सीन LV-SMENP-DC का परीक्षण भी चल रहा है। इन सभी वैक्‍सीन के अलग-अलग चरणों के ट्रायल्‍स जारी हैं।

मॉडर्ना और फाइजर-बायोटेक
फि‍लहाल अमेरिकी बायोटेक कंपनी मॉडर्ना और फाइजर-बायोटेक तीसरे चरण की सफलता दुनिया के लिए उम्‍मीद बनकर उभरी है।

फाइजर जर्मनी की उसकी पार्टनर कंपनी बायोएनटेक एसई के साथ मिलकर वैक्‍सीन पर काम कर रही है। यह वैक्सीन हर उम्र और नस्ल के लोगों के लिए प्रभावी है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है, जो एक संकेत है कि वैश्विक स्तर पर टीकाकरण किया जा सकता है। फाइजर के मुताबिक वैक्सीन 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में 94 फीसद तक प्रभावी असर दिखा रही है।

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