नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण (Corona Virus Infection) के बढ़ते मामलों पर एक बड़ा फैसला लिया है। मोदी सरकार ने ऐलान किया है कि 1 मई से 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों को कोरोनावायरस (COVID-19) वैक्सीन दी जाएगी।
1 मई अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस से देश में 18 साल से अधिक उम्र वालों को टीका लगाया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एक बैठक के बाद यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है। पीएम मोदी ने इस वर्चुअल बैठक के दौरान यह भी कहा कि पिछले एक साल से सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि देश में ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण हो जाए।
इससे पहले दो चरणों में- 60 से ऊपर और 45 साल से ऊपर की आयु के लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है। सरकार ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण में टीकों की खरीद और टीका लगवाने की पात्रता में ढील दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार की सुबह से ही कोरोना संकट को लेकर बैठकें कर रहे थे।
PM ने टीका ही कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 से लड़ाई में टीकाकरण को सबसे बड़ा हथियार बताते हुए सोमवार को देशभर के चिकित्सकों से अधिक से अधिक लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने चिकित्सकों से कोविड के उपचार और रोकथाम को लेकर उड़ रही अफवाहों के खिलाफ लोगों को शिक्षित करने की भी अपील की।
देश में तेजी से बढ़ते कोविड-19 संक्रमण के मामलों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के अग्रणी चिकित्सकों के साथ एक बैठक की और महामारी की मौजूदा स्थिति के साथ ही टीकाकरण अभियान की भी समीक्षा की।
उन्होंने महामारी के समय चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के सेवाभाव को अमूल्य बताते हुए उनकी सराहना की और कोविड प्रबंधन का अनुभव रखने वाले शहरों के चिकित्सकों से आग्रह किया कि वे सहयोग, प्रशिक्षण, ऑनलाइन परामर्श द्वारा उन क्षेत्रों में पहुंचें, जहां पर्याप्त सेवाएं नहीं हैं।
बैठक में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया, मेदांता अस्पताल समूह के अध्यक्ष नरेश त्रेहन, प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ के के तलवार सहित कई अन्य जाने-माने चिकित्सकों ने हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले साल इसी समय चिकित्सकों के कठिन परिश्रम और देश की रणनीति की वजह से कोरोना संक्रमण के लहर को नियंत्रित किया जा सका था।
उन्होंने कहा कि अब जबकि देश दूसरी लहर का सामना कर रहा है तो सभी चिकित्सक और अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मी महामारी से पूरी ताकत के साथ मुकाबला कर रहे हैं और लाखों लोगों का जीवन बचा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों केंद्र सरकार ने आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति, इंजेक्शन और ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं और इनके बारे में राज्य सरकारों को भी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री ने चिकित्सकों से आग्रह किया कि कोविड के उपचार और रोकथाम को लेकर उड़ रही अफवाहों के खिलाफ चिकित्सक लोगों को शिक्षित करें। इस कठिन समय में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि लोग दहशत का शिकार न बनें। इसके लिए उचित इलाज के साथ-साथ अस्पतालों में भर्ती मरीजों की काउंसलिंग पर भी जोर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने आपात स्थिति नहीं होने की स्थिति में डॉक्टरों को अन्य बीमारियों के इलाज के लिए टेली-मेडिसिन का इस्तेमाल करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में कोरोना महामारी तेजी से फैल रही है। इसके मद्देनजर उन्होंने ऐसे शहरों में संसाधनों के उन्नयन के प्रयासों को तेज करने को कहा।
उन्होंने चिकित्सकों से आग्रह किया कि वह इन शहरों में काम करने वाले अपने सहयोगियों के साथ जुड़कर उन्हें ऑनलाइन परामर्श दें ताकि सभी प्रोटोकॉल का सही तरीके से पालन सुनिश्चित हो सके। उन्होंने डॉक्टरों से आग्रह किया कि ऐसे शहरों में कार्यरत चिकित्सकों से वह संपर्क करें और डिजिटल माध्यम का उपयोग करते हुए उन्हें महामारी से लड़ने के उपायों के बारे में सलाह दें।
बैठक के दौरान चिकित्सकों ने कोविड महामारी से निपटने के अपने अनुभव साझा किए और यह भी बताया कि कैसे वह स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में वृद्धि कर रहे हैं। इस बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे, रसायन व उर्वरक मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा और राज्य मंत्री मनसुख मांडविया, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल, कैबिनेट सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, केंद्रीय औषधि सचिव, आईसीएमआर के महानिदेशक और अन्य मंत्रालयों व विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे।