बेंगलुरु। मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता के बाद अब बेंगलुरु कोरोना का नया हॉटस्पॉट बनता नजर आ रहा है। बेंगलुरु में अभी तक 29,621 मामले सामने आए हैं जिनमें से 6,540 लोगों को अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है और 631 लोगों की मौत हो चुकी है।
कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में पिछले कुछ दिनों में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य आने जाने वालों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि महाराष्ट्र जैसे इस संक्रामक रोग से सबसे अधिक प्रभावित यानी हॉटस्पॉट वाले राज्यों से आने वाले लोग संक्रमण लाए होंगे।
राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री के सुधाकर ने बताया कि महामारी का सामुदायिक स्तर पर प्रसार नहीं हुआ। अगर ऐसा होता तो संक्रमण के मामले ‘लाखों’ में होते।
कर्नाटक के कोविड-19 प्रबंधन के प्रभारी सुधाकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कोरोना वायरस के मामले तो बढ़ने ही थे लेकिन सरकार के सतर्क रवैये से इस शहर में दो महीनों तक विषाणु का प्रसार धीमी गति से हुआ।
सुधाकर ने बताया कि जब लॉकडाउन में ढील दी गई तो देश के विभिन्न हिस्सों से लोग कर्नाटक आने लगे। इनमें संक्रमण से अधिक प्रभावित राज्यों महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोग भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि जैसा कि आप जानते हैं बेंगलुरु बड़ा शहर है इसलिए हर जगह के लोग यहां आते हैं। जब वे आते हैं तो उन्हें यह ध्यान नहीं रहता कि उन्हें क्या करना है और वे संक्रमण फैलाते हैं।‘ कोरोना वायरस के मामले हर शहर और राज्य में बढ़ने ही थे।
सरकार द्वारा उठाए कदमों के बारे में मंत्री ने कहा कि 8,134 स्थानीय मतदान बूथ स्तर पर कार्यबल समितियां गठित की गई जो विभिन्न एजेंसियों के अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। सरकार ने कोरोना वायर संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 22 जुलाई तक लॉकडाउन लगाया है और इसके साथ ही घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने जैसे विभिन्न अहम कदम उठाए जाएंगे।
एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कोरोना वायरस के इलाज से जुड़ी जीवन रक्षक दवाओं की कमी से इनकार किया। उन्होंने कहा कि हमारे पास पर्याप्त दवाएं हैं। हमने और दवाएं मंगवाई हैं। दवाओं की बिल्कुल भी कमी नहीं है। (भाषा)