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इंदौर के वैज्ञानिक को मिले कोरोना के 5 हजार से ज्‍यादा वेरिएंट्स

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, गुरुवार, 25 मार्च 2021 (13:27 IST)
नई दिल्ली, वर्ष 2019 के आरंभ से विश्व कोरोना महामारी की गिरफ्त में है। महामारी पर अंकुश के लिए भले ही दुनियाभर में तमाम वैक्सीन तैयार कर ली गई हों, लेकिन इसके वायरस का निरंतर बदलता रूप इसकी रोकथाम की हर कोशिश के लिए कठिन चुनौती साबित हो रहा है।

इस वायरस के विभिन्न प्रतिरूपों का पता लगाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर के शोधकर्ताओं ने ने एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में उन्हें वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस के पांच हजार से भी अधिक रूपांतरित प्रतिरूपों (म्युटेंट वेरिएंट्स) का पता चला है।

किसी वायरस में मौजूद प्रोटीन के प्रकार में बदलाव से उस वायरस का मूल रूप बदल जाता है। इस वजह से, वायरस का प्रभाव भी परिवर्तित हो जाता है। ऐसे वायरस को म्युटेंट वेरिएंट कहा जाता है। वेरिएंट, वायरस का उत्परिवर्तित या बदला हुआ प्रकार होता है, जिसको प्रतिरूप भी कहते हैं।

कोरोना के लिए जिम्मेदार वायरस सार्स-कोव-2 में एनवेलोप (ई), मेम्ब्रेन (एम) और स्पाइक (एस) नामक तीन प्रमुख प्रोटीन होते हैं। इन प्रोटीन में से किसी एक या एक से ज्यादा का स्वरूप समय के साथ बदल जाता है।
म्युटेंट के प्रोटीन में बदलाव होता है, तो उसकी रक्त-कोशिकाओं से बाइंडिंग यानी जुड़ने की क्षमता भी बदल जाती है। इसीलिए, हर वेरिएंट का वायरस अलग तरह से असर करता है। वायरस का प्रोटीन ही मानव शरीर में उपस्थित एसीई-2 रिसेप्टर से जुड़कर उसे संक्रमित करता है।

आईआईटी इंदौर के बायोसाइंस और बायोमेडिकल साइंस विभाग के प्रोफेसर हेमचंद्र झा और उनकी टीम ने मिलकर यह शोध किया है। उन्होंने बताया कि “इस शोध में, पिछले वर्ष जनवरी से जुलाई के मध्य कोरोना वायरस के नये रूपों के डेटा को ऑनलाइन माध्यम से एकत्र किया गया।

इस दौरान विश्व की प्रयोगशालाओं में मिले 22 हजार अलग-अलग प्रोटीन आइसोलेट यानी नमूनों का अध्ययन किया गया है।” प्रोफेसर हेमचंद्र ने बताया कि सार्स-कोव-2 के ‘एस’ प्रोटीन में सबसे ज्यादा बदलाव देखे गए हैं। मूल स्वरूप में बदलाव के बाद जहां ई प्रोटीन के 42 म्युटेंट और एम प्रोटीन के 156 म्युटेंट पाए गए, तो वहीं एस प्रोटीन के 5449 म्युटेंट मिले हैं, जो सबसे अधिक थे। वायरस के बाहरी आवरण पर कांटों की तरह दिखने वाले प्रोटीन को ही स्पाइक प्रोटीन या एस प्रोटीन कहा जाता है।

शोध के दौरान नमूनों के अध्ययन में कोरोना वायरस के कुल 5,647 म्युटेंट वेरिएंट सामने आए हैं। इस शोध को अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल 'हेलियान' में प्रकाशित करने के लिए स्वीकृत किया गया है। इस शोध में हेमचंद्र झा के साथ आईआईटी इंदौर के शोधार्थी श्वेता जखमोला, ओमकार इंदारी, धर्मेंद्र कश्यप, निधि वार्ष्णेय, अयान दास और मनीवनन इलंगोवन शामिल हैं।(इंडिया साइंस वायर)

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