भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में स्थापित होगा कोविड-19 परीक्षण केंद्र

Webdunia
रविवार, 3 मई 2020 (14:09 IST)
उमाशंकर मिश्र

नई दिल्ली, कोरोना वायरस की भारत में दस्तक के साथ ही वैज्ञानिक तथा औद्योगिक संस्थान (सीएसआईआर) की दो प्रयोगशालाओं में कोविड-19 के परीक्षण केंद्र शुरू किए गए थे, जिनके द्वारा दिए गए प्रशिक्षण के बाद सीएसआईआर की कई प्रयोगशालाओं में कोविड-19 परीक्षण किया जा रहा है।

इस सूची में देहरादून स्थित सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) भी शामिल हो गया है। सीएसआईआर-आईआईपी में भी अब आरटी-पीसीआर आधारित कोविड-19 परीक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा है।

सीएसआईआर-आईआईपी के निदेशक डॉ अंजन रे ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “कोविड-19 के नमूनों का परीक्षण एक ऐसा अवसर है, जहां हम भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के प्रोटोकॉल और मानक प्रक्रियाओं के अनुरूप पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
यह नई कोविड-19 परीक्षण सुविधा प्रशिक्षित टीम से लैस होगी, जहां समुचित जैव सुरक्षा सावधानियों के साथ प्रतिदिन कम से कम 30 रोगी नमूनों का परीक्षण किया जा सकेगा।"

कोविड-19 के परीक्षण की मुहिम को तेज करने के लिए सीएसआईआर-आईआईपी की जैव रसायन तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग की टीमों को जीव-विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत सीएसआईआर की दूसरी प्रयोगशालाओं का सहयोग मिल रहा है।

जिन संस्थानों का सहयोग सीएसआईआर-आईआईपी को मिल रहा है, उनमें इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) दिल्ली,  इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी (इम्टेक) चंडीगढ़ और सेंटर फॉर सेलुलर ऐंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) हैदराबाद शामिल हैं।

मई के पहले पखवाड़े में इस परीक्षण केंद्र को शुरू करने के लिए सीएसआईआर-आईआईपी उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्रालय और सभी सरकारी अस्पतालों के निरंतर संपर्क में है। यह अत्याधुनिक परीक्षण सुविधा वायरल परीक्षण के लिए राज्य संसाधन केंद्र के रूप में दीर्घकालीन रूप से उपलब्ध होगी, साथ ही यह सीएसआईआर-आईआईपी की योजना में शामिल पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

डॉ अंजन रे ने कहा है कि “यह प्रयास पूरे उत्तराखंड में सीमित सार्वजनिक परीक्षण सुविधाओं की क्षमता को बढ़ा सकता है। इससे देहरादून के मरीजों के नमूनों के परीक्षण के बोझ को साझा करने में मदद मिल सकती है, फिलहाल यह भार एम्स (ऋषिकेश) और दून अस्पताल के परीक्षण केंद्रों पर है। सीएसआईआर-आईआईपी भी सीएसआईआर-आईजीआईबी की तकनीकी देखरेख में नमूनों की जांच के लिए एक तेज माइक्रो आरटी-पीसीआर आधारित विश्लेषण पद्धति को अपनाने की योजना बना रहा है।"

रियल टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पीसीआर (आरटी-पीसीआर) तकनीक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) से मान्यता प्राप्त निदान के तरीकों में से एक है। शोधकर्ता व्यक्तियों से एकत्र नमूनों से न्यूक्लिक एसिड निकालते हैं और आरटी-पीसीआर के माध्यम से वायरल जीनोम अंशों को बढ़ाया जाता है। स्वैब नमूने आमतौर पर नाक, गले या लार से प्राप्त किए जाते हैं। यदि नमूने में वायरल आरएनए हो तो परीक्षण को पॉजिटिव और वायरल आरएनए न हो परीक्षण नेगेटिव माना जाता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक परीक्षण से कोविड-19 के प्रकोप की निगरानी में मदद मिल सकती है। कोविड-19 का प्रकोप शुरू होने के साथ ही सीएसआईआर की रणनीति सामुदायिक परीक्षण की रही है, ताकि बीमारी के नए प्रकोपों निगरानी सुनिश्चित की जा सके और इस प्रकार उसे फैलने से रोका जा सके। (इंडिया साइंस वायर)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Operation Sindoor के दौरान POK पर कब्जा क्यों नहीं किया, प्रधानमंत्री मोदी से किसने किया यह सवाल

कर्नाटक में 18 भाजपा विधायकों का निलंबन हुआ रद्द, विधानसभा अध्यक्ष खादर ने दी यह नसीहत

हिंदू मजबूत होंगे तभी दुनिया में... RSS प्रमुख मोहन भागवत ने क्यों कहा ऐसा

भारत बना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, जापान को पछाड़ा, प्रति व्यक्ति आय में हुई बढ़ोतरी

पहलगाम हमले पर भाजपा सांसद जांगड़ा के बयान पर बवाल, क्या है कांग्रेस की मोदी से मांग

सभी देखें

नवीनतम

नीति आयोग की बैठक में नहीं शामिल हुए CM नीतीश, तेजस्वी यादव ने किया ऐसा कटाक्ष

इसराइल ने गाजा पर फिर किए हमले, बच्चों समेत 38 लोगों की मौत

UP : कंटेनर से टकराई बेकाबू कार, 4 लोगों की मौत

अमृतसर में अकाली दल के पार्षद की गोली मारकर हत्या, मिल रहे थे धमकीभरे कॉल, 3 हमलावर पहचाने गए

Operation Sindoor के दौरान POK पर कब्जा क्यों नहीं किया, प्रधानमंत्री मोदी से किसने किया यह सवाल

अगला लेख