देश में कोविड-19 के नए मामलों में 68 प्रतिशत मामले केवल केरल से समाने आ रहे है। कोरोना की पहली लहर से मुकाबला करने में जिस केरल मॉडल की तारीफ हुई थी वहां कोरोना की दूसरी लहर में पॉजिटिव मरीजों की संख्या अब डरा रही है। केरल में कोरोना के मरीजों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ती जा रही है कि हालात के बेकाबू होने का खतरा मंडराने लगा है। केरल में पिछले 6 दिन में 1 लाख 30 हजार नए कोरोना केस सामने आने के बाद हड़कंप के हालात बन गए है।
केरल में लगातार बढ़ते कोरोना के आंकड़ों से कई सवाल उठ रहे है। पहला कि क्या कोरोना के खिलाफ लड़ाई में केरल मॉडल फेल हो गया है? वहीं आखिरी क्यों देखते ही देखते केरल कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया,जबकि देश के अन्य राज्यों में कोरोना काबू में है।
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कोरोनावायरस के खिलाफ एंटीबॉडी कम होना?- कोरोना की पहली लहर का केरल में बहुत कम असर दिखाई देने को मिला था और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में केरल मॉडल की देश ही नहीं दुनिया में चर्चा हुई थी। पहली लहर में सख्त लॉकडाउन और कम्युनिटी मोबलाइजेशन के चलते कोरोना बहुत सीमित आबादी को प्रभावित कर पाया था। केरल में जून में ICMR ने जो सीरो सर्वे किया था उसमें केवल 44 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी पाई गई। कोरोना वायरस के खिलाफ लोगों में मिलने वाली यहीं कम एंटीबॉडी को अब विशेषज्ञ कोरोना संक्रमण के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह बता रहे है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्था (ICMR) के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के पूर्व प्रमुख रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि केरल में कोरोना संक्रमण फैलने और बड़ी संख्या में पॉजिटिव मरीजों की संख्या आने का बड़ा कारण लोगों का पहली लहर में बहुत कम प्रभावित होना था। ऐसे में देश के अन्य राज्यों की तुलना में केरल की एक बड़ी आबादी में अब भी कोरोनावायरस के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं पाई गई है,जिसके चलते अब लोगों तेजी से कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे है।
'वेबदुनिया' से बातचीत में देश की शीर्षस्थ महामारी विशेषज्ञ कहते हैं कि अब उन इलाको में ज्यादा संक्रमण दिखाई देगा जहां या तो पहले लोगों को बहुत का इफेंक्शन हुआ है या वहां एक बड़ी आबादी में बहुत कम वैक्सीनेशन हुआ है और केरल में मौजूदा हालात में यह दोनों कारण मौजूद है।
होम क्वारेंटाइन योजना फेल होना?- केरल में कोरोना विस्फोट के लिए बड़ा कारण पॉजिटिव मरीजों की बड़ी संख्या में गलत तरीके से होम आइसोलेशन में रहना है। केरल में करीब 5 लाख कोरोना के एक्टिव केसों में सिर्फ तीस हजार के करीब मरीज हॉस्पिटल में इलाज करा रहे है।
केरल में कोरोना के बढ़ते केस पर केंद्र की ओर से भेजे गए दल ने होम क्वारेंटाइन योजना को फेल बताते हुए कहा कि राज्य में कोरोना की स्थिति अब बेकाबू हो रही है। जांच दल की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना विस्फोट के लिए बड़ा कारण मरीजों की बड़ी संख्या में होम आइसोलेशन में होना बताया है जो दूसरे अन्य स्वस्थ्य लोगों को भी प्रभावित कर रहा है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के मुताबिक भी राज्य में घरों में रह रहे लोगों में कोरोना की रफ्तार बढ़ गई है जिसके चलते कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे है। स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 35 फीसदी मरीज घरों के भीतर ही संक्रमित हो रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि लोगों का बड़ी संख्या में होम क्वारंटीन होना है। स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों से अपील की है कि होम क्वारंटीन तब ही हों, जब घर सभी सुविधाएं मौजूद हों।
त्यौहारों के चलते कोरोना विस्फोट-ओणम के बाद केरल में कोरोना के केसों में बड़े पैमाने पर उछाल देखने को मिला है। राज्य में कोरोना पॉजिटिविटी रेट 19 फीसदी के उपर पहुंच गया है। केरल में ओणम उत्सव के बाद से संक्रमतों की संख्या बढ़ी है, यहां 14 जिलों में से सात (एर्नाकुलम, त्रिशूर, कोझीकोड, पलक्कड़, कोल्लम और कोट्टायम) में 2000 से अधिक मामले सामने आए हैं. कोरोना संक्रमितों की सबसे ज्यादा संख्या एर्नाकुलम में हैं, जहां 4000 से अधिक मामले आ रहे हैं. 3000 से अधिक मामले वाले जिलें हैं- त्रिशूर, कोझीकोड और मलप्पुरम।
वहीं केरल में बड़ी संख्या में केस आने के बावजूद सरकार की ओर से टेस्टिंग कम कर दी गई है। केरल में गुरुवार को 31 हजार से अधिक कोरोना के केस सामने आए है जो देश में आए कुल कोरोना के मरीजों में करीब 68 फीसदी है।
महामारी विशेषज्ञ रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि देश में कोरोना संक्रमण अब एंडेमिक स्टेज पर पहुंचता दिखाई दे रहा है, जब या तो बहुत सारे लोगों को इंफेक्शन हो चुका होगा या उनको वैक्सीन लग चुकी होगी। देश में अब कोरोना संक्रमण अब एक निश्चित एरिया और कुछ पॉकेट में दिखाई देगा जैसा कि अभी केरल में दिखाई दे रहा है।