आप भी छोटी-छोटी चीजें भूल रहे हैं तो ये कोविड का ‘ब्रेन फॉग’ है, लक्षण दिखे तो क्‍या करना चाहिए?

Webdunia
शनिवार, 17 दिसंबर 2022 (06:00 IST)
क्‍या आप इन दिनों बहुत मामुली सी चीजें भूल रहे हैं। जैसे आपने मोबाइल उठाया, लेकिन भूल गए कि आप किसे कॉल करने वाले थे। घर से निकले किसी काम से लेकिन काम ही भूल गए। या किसी को समय देकर कहीं ओर निकल गए।

दरअसल, ऐसा इन दिनों कई लोगों के साथ हो रहा है। यह सब कोविड के बाद हो रहा है। यह तो सभी को पता है कि कोविड की वजह से फेफड़ों में और सांस लेने में दिक्कत होती हैं, लेकिन रिसर्च में सामने आया है कि कोरोना वायरस मानसिक गतिविधयों को भी प्रभावित कर सकता है। इनमें छोटी छोटी चीजों को भूल जाना शामिल है। जिसे मेडिकल टर्म में ब्रेन फॉग कहा जा रहा है। कोविड संक्रमण का शिकार हो चुके कई लोगों में ‘ब्रेन फॉग’ की समस्या देखी जा रही है। जिसमें याद रखने, फोकस करने और रोजाना के कामों में भूलने की समस्याएं सामने आ रही हैं।

लंबे समय तक होता है कोविड का असर
दरअसल, ब्रेन फॉग कोविड का एक ऐसा लक्षण है, जो लंबे समय तक चल सकता है। इसमें लोग संक्रमण के बाद महीनों, या कुछ सालों तक लगातार कोविड लक्षणों से पीड़ित रहते हैं। यह एक रिसर्च में सामने आया है। जिसमें कहा गया है कि कोविड काम करने के लिए जरूरी याददाश्‍त पर नकारात्मक असर डाल रहा है। खास बात है कि लेकिन ये लक्षण सिर्फ 25 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में में देखा गया है।

समय के होगा सुधार
रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि कोविड संक्रमण के बाद लॉस हुई मेमरी प्रोसेस कुछ समय के बाद हालांकि ठीक हो सकती है, लेकिन जिन लोगों को कोविड के लक्षण बने हुए हैं, उनके साथ रोज़मर्रा के काम करने के लिए जरूरी मेमरी यानी वर्किंग मेमोरी को लेकर कठिनाई बनी रह सकती है।

क्‍या होती है वर्किंग मेमोरी?
दरअसल, वर्किंग मेमोरी, शॉर्ट-टर्म मेमोरी का एक रूप है, जो हमें समस्याओं को हल करने, पढ़ने या बातचीत करने जैसे कार्यों को करते समय जानकारी को स्टोर करने का काम करती हैं। यानी इसका रोजाना इस्‍तेमाल होता है और यह बेहद जरूरी भी है। इसी मेमोरी की वजह से आदमी रोजमर्रा के काम कर पाता है। अगर यह ठीक से काम नहीं करे तो रोज के काम प्रभावित हो सकते हैं।

कैसे और किन पर हुआ संक्रमण?
इसके बारे में ठीक से पता लगाने के लिए कई तरह के लंबे सर्वे किए गए। उन लोगों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो कोरोना की लहर में कोविड संक्रमण से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे। इसके लिए एक गुमनाम ऑनलाइन सर्वेक्षण और मेमोरी क्विज़ तैयार किए गए। सर्वे में प्रतिभागियों की कोविड की स्थिति को लेकर कई तरह के सवाल किए गए। मरीजों को उन सवालों के जवाब देने के लिए कहा गया। उन्हें किसी भी कॉगनिटिव समस्या का मूल्यांकन करने के लिए भी कहा गया था। उदाहरण के लिए चीजों को याद रखने या कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने की उनकी क्षमता के बारे में उनसे पूछा गया और उसे रिकॉर्ड किया गया। इसमें प्रतिभागियों को फलों, जानवरों, संख्याओं या वस्तुओं के चित्रों को याद रखना था।

क्‍या रहा परिणाम?
पूरी रिसर्च और सर्वे के बाद जो परिणाम सामने आए उनके सबसे कम उम्र के वर्ग, 18 से 24 वर्ष के लोगों को छोड़कर हर आयु वर्ग में गैर-कोविड समूह की तुलना में कोविड समूह के लिए मेमोरी स्कोर काफी कम था। जिन लोगों को कोविड हो चुका था, उन्हें यह बीमारी हुए कितना समय हुआ था, इसका भी मेमोरी स्कोर पर असर हुआ। कोविड (एक से कम 17 तक) होने के बाद के महीनों की संख्या और मेमोरी स्कोर के बीच एक सकारात्मक संबंध हैं। इससे पता चलता है कि कोविड संक्रमण के बाद होने वाली मेमोरी कम होने की समस्या समय के साथ ठीक हो सकती है।

आप क्‍या करें?
अगर आपको भी अपनी दिनचर्या में ब्रेन फॉग से संबंधित किसी तरह की दिक्‍कत आ रही है या चीजों को भूल जाने वाले कोई लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्‍टर को दिखाकर उसकी पुष्‍टि की जा सकती है। अगर ब्रेन फॉग का कोई लक्षण है तो वो धीमे धीमे ठीक हो सकता है इसके लिए अपने डॉक्‍टर की सलाह ली जा सकती है।
Edited: By Navin Rangiyal

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