कानपुर। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बीच ऑक्सीजन की किल्लत व कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल के बाद आईटी कानपुर ने ऑक्सीजन मॉनीटरिंग एप तैयार कर लिया है। आईआईटी के इस एप पोर्टल ने काम करना शुरू कर दिया है और राज्य के 60 अस्पतालों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
एप पोर्टल के माध्यम से अब सरकार प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति‚ खपत व स्टॉक पर नजर रख सकेगी और अब अस्पताल वाले स्टॉक होते हुए ऑक्सीजन को लेकर आनाकानी नहीं कर सकेंगे। इसके चलते सांसों के लिए संघर्ष कर रहे मरीजों को राहत मिलेगी।
ऑक्सीजन की कालाबाजारी व बर्बादी पर लग सकेगी रोक- प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि संस्थान में ऑक्सीजन मॉनिटरिंग ऐप को मैनेजमेंट विभाग के प्रोफेसर दीपू फिलिप तथा पीएचड़ी छात्र सुरेंद्र प्रबल के सहयोग से 24 घंटे के अंदर विकसित किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऑक्सीजन उपलब्धता को लेकर कोई खास दिक्कत नहीं है। समस्या इसके परिवहन को लेकर है। इसके लिए क्रायोजेनिक टैंकर की जरूरत पड़ती है जिसकी कमी है। अब इस ऐप व पोर्टल की मदद से बड़ी सहायता मिलेगी। इसकी मदद से ऑक्सीजन की आपूर्ति‚ खपत व जरूरत को लेकर पारदर्शिता आएगी। ऑक्सीजन के मिस यूज‚ कालाबाजारी व बर्बादी को रोका जा सकेगा।
कितनी है ऑक्सीजन रहेगा हिसाब किताब - वरिष्ठ वैज्ञानिक व गणितज्ञ प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने बताया कि एप सबसे कम समय में तेजी के साथ तैयार किया गया है और इसने बुधवार से काम करना शुरू कर दिया है। अस्पताल प्रशासन रोज इस ऐप पोर्टल पर उपलब्ध ऑक्सीजन के स्टॉक‚ वेंटीलेटर व गैर वेंटीलेटर वाले मरीजों की संख्या व ऑक्सीजन की आवश्यकता को लेकर जानकारी को अपडेट करेगा।
जिसके आधार पर कैलकुलेशन कर आने वाले दिनों में ऑक्सीजन की आवश्यकता का आंकलन किया जा सकेगा और यह पता करना आसान होगा किस अस्पताल को ऑक्सीजन की तुरंत आवश्यकता है और किस अस्पताल को किस दिन जरूरत पड़ेगी। इसके आधार पर अस्पतालों को जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करना संभव हो सकेगा।
गौरतलब है कि पूरे प्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत को खत्म करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने आईआईटी कानपुर से सहयोग मांगा था।जिसके चलते आईआईटी कानपुर में ऑक्सीजन की कालाबाजारी और बर्बादी को रोकने के लिए सबसे कम समय में एप तैयार करके सरकार को सौंप दिया है। अब एप के माध्यम से ही पूरे प्रदेश में बने अस्पतालों को कब किसको कितनी ऑक्सीजन देनी है यह सुनिश्चित किया जाएगा।