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ये हैं ‘पोस्‍ट कोरोना’ ‘लॉन्‍ग टाइम’ लक्षण, अगर आपको भी है तो है चिंता के विषय

हमें फॉलो करें ये हैं ‘पोस्‍ट कोरोना’ ‘लॉन्‍ग टाइम’ लक्षण, अगर आपको भी है तो है चिंता के विषय
, रविवार, 12 सितम्बर 2021 (17:44 IST)
कोरोना से ठीक तो हो गए, लेकिन इसके बाद होने वाले साइड इफैक्‍ट ने लोगों को अब परेशान कर रखा है। एक र‍िसर्च में सामने आया है कि ठीक हो चुके मरीजों के बीच थकान सबसे आम लक्षण था। उन्होंने कोविड के 50 से ज्यादा लंबे समय तक रहने वाले प्रभावों का खुलासा किया।

ये लक्षण ठीक होने के हफ्तों या महीनों तक रह सकते हैं। Houston Methodist के रिसर्च में लंबे समय तक रहने वाले इन लक्षणों में सबसे आम थकान 58 फीसद, उसके बाद सिर दर्द 44 फीसद, ध्यान विकार 27 फीसद, बालों का नुकसान 25 फीसद, सांस की कमी 24 फीसद, स्वाद का नुकसान 23 फीसद और सूंघने की हानि 21 फीसद था।

शोधकर्ताओं का कहना है कि दूसरे लक्षण लंग की बीमारियां जैसे खांसी, सीने में बेचैनी, स्लीप एपनिया और पल्मोनरी फाइब्रोसिस, कार्डियोवैस्कुलर रोग जैसे मायोकार्डिटिस, टिन्निटस, रात में पसीना से जुड़े थे। शोधकर्ता न्यूरोलॉजिकल लक्षण जैसे डिमेंशिया, डिप्रेशन की मौजूदगी को पाकर भी हैरान रह गए।

रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने 18,251 प्रकाशनों की जांच की, जिसमें से 15 रिसर्च को अंतिम विश्लेषण के लिए चुना गया। साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने ब्रिटेन, अमेरिका, यूरोप, चीन, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और मेक्सिको में किए गए रिसर्च से 47,910 मरीजों का विश्लेषण किया।

रिसर्च में सीटी स्कैन, ब्लड क्लॉट का जोखिम, सूजन की उपस्थिति, एनीमिया और संभावित हार्ट फेल्योर के संकेतक, बैक्टीरियल इंफेक्शन और लंग क्षति समेत कई पैमानों का मूल्यांकन किया गया। उन्होंने पाया कि 80 ठीक हो चुके वयस्‍कों में कम से कम लंबे समय तक एक लक्षण था जो हल्का, मध्यम या गंभीर कोविड-19 संक्रमण के बाद हफ्तों से लेकर महीनों तक रहा। कुल मिलाकर, टीम ने 55 निरंतर रहने वाले लक्षणों, संकेतों और लैब पैरामीटर की पहचान की। शोधकर्ताओं ने माना कि हो सकता है दूसरे प्रभावों की अभी तक पहचान न की गई हो।

उन्होंने कहा कि हर लक्षण को अलग से और दूसरे लक्षणों के साथ जोड़कर समझने के लिए और रिसर्च की जरूरत है। इसकी वजह साफ नहीं है कि क्यों कुछ मरीजों को कोवड-19 के बाद लंबे समय तक लक्षणों का सामना होता है। उनके रिसर्च के अगले चरण में इस बात का पता लगाया जाएगा कि आखिर कुछ लोगों को लॉन्ग कोविड के लिए ज्यादा संवेदनशील क्या बनाती है।

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