कोरोना वायरस के नए वैरिएंट पिरोला और JN 1 से यूरोप में क्‍या हैं हालात?

राम यादव
Corona Virus New Variants : यूरोप में इस समय कड़ाके की सर्दी है। जर्मनी की 10 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या कई महीनों से बीमार है। हालत यह है कि पूरे देश में हर दिन अनगिनत ट्रेनें, ट्रामें, बसें इसलिए नहीं चल पा रही हैं, रद्द हो जाती हैं, क्योंकि उनके ड्राइवर बीमार हैं। उनकी बीमारी के लक्षण मोटे तौर पर फ्लू जैसे हैं-- खांसी, नाक बहना और बुखार।

एक नए खोजे गए कोरोना वैरिएंट की इस समय चल रहे संक्रमण में प्रमुख भूमिका दिखी है। संक्रामक बीमारियों पर नज़र रखने वाले जर्मनी के रोबेर्ट कोख़ संस्थान के अनुसार जेएन.1 (JN.1) कहलाने वाला एक नया वैरियंट वर्तमान कोरोना मामलों के आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार है। विशेषज्ञों को संदेह है कि यह वैरिएंट न केवल विशेष रूप से संक्रामक है, बल्कि पूरी तरह से अप्रत्याशित और सर्वथा नाटकीय लक्षण भी पैदा कर सकता है।

स्पाइक प्रोटीन में एकल परिवर्तनः वैज्ञानिक इस वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में एकल परिवर्तन पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह अतिरिक्त उत्परिवर्तन, वैरिएंट को अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में हमारी रोगप्रतिरक्षा प्रणाली से और भी अधिक प्रभावी ढंग से बच निकलने की क्षमता प्रदान करता है। वह न केवल जर्मनी में बल्कि अमेरिका में भी सबसे तेज़ी से फैल रहा है।

ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स-ONS) की रिपोर्ट के अनुसार JN.1 कई नए कोरोना लक्षणों से भी जुड़ा हो सकता है। इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में हाल ही में कोरोना से संक्रमित लोगों के एक सर्वेक्षण में क्रमशः 10.8 प्रतिशत और 10.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं में नींद को लेकर महत्वपूर्ण समस्याएं और चिंताएं पाई गईं। इन असामान्य लक्षणों की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी।

चिंता, अनिद्र, आंतों में संक्रमणः विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि JN.1 से आंतों में संक्रमण बढ़ सकता है। JN.1 छोटी आंत में कुछ रिसेप्टरों को पसंद करता है, जबकि डेल्टा वेरिएंट और SARS1 के वायरस मुख्य रूप से फेफड़ों में पाए जाते हैं। इससे कोरोना के कारण आंतों में संक्रमण बढ़ सकता है, ऐसा वायरसविदों का कहना है।
पिछले पिरोला संस्करण के साथ कुछ असामान्य कोरोना लक्षण पहले से ही देखे गए थे, जिनमें त्वचा पर चकत्ते, लाल हो गई और दर्द करती हाथों और पैरों की उंगलियां, खुजली, लाल आंखें और साथ ही दस्त, अल्सर और मुंह तथा जीभ में सूजन शामिल थी। हालांकि ये असामान्य लक्षण वर्तमान ज्ञान के अनुसार न तो पिरोला और न ही JN.1 जुड़े माने जाते हैं। गले में ख़राश, सिरदर्द, शरीर में दर्द, नाक बहना, थकान, छींक आना, बुखार, आवाज बैठ जाना और गंध महसूस करने में कमी कोरोना के अब भी सामान्य लक्षण हैं।

कोरोना का एक नया दौरः स्थिति यह है कि इस समय कोरोना वायरस के उत्परिवर्ति रूपों वाले संक्रमणों का एक नया दौर चल रहा है। यूरोप और अमेरिका में बड़ी संख्या में लोग उससे बीमार हो रहे हैं। पिरोला और JN.1 कहलाने दो उत्परिवर्त इस दौर के लिए जि़म्मेदार बताए जा रहे हैं। दोनों को कोरोनावायरस के ओमीक्रोन स्वरूप की ही एक उत्पत्ति माना जाता है। प्रश्न है, वे कितने ख़तरनाक हैं?

विशेष रूप से जर्मनी में JN.1 इस समय सबसे अधिक फैला हुआ उत्परिवर्त (वैरियंट) है। वह पिरोला या BA.2.86 की ही एक शाखा के समान है, जबकि पिरोला, ओमिक्रोन का ही काफ़ी बदला हुआ उत्परिवर्त है। विषाणु वैज्ञानिक (वायरॉलॉजिस्ट) अभी यह स्पष्ट रूप से बताने की स्थिति में नहीं है कि पिरोला और JN.1 के लक्षण क्या अलग-अलग हैं।

नये लक्षण भी हो सकते हैं : ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी (स्टैटिस्टिक्स) कार्यालय द्वारा करवाये गए सर्वे से यह संकेत मिलता है कि पिरोला और JN.1 के प्रसंग में कोरोना के जाने-माने लक्षणों के अलावा कुछ दूसरे लक्षण भी देखने में आ सकते हैं। उदाहरण के लिए पिरोला के प्रसंग में त्वचा पर चकत्ते, लाल दिखती जलती आंखें, जीभ या मुंह की श्लेष्मल झिल्ली में बदलाव तथा हाथों और पैरों की उगलियों वाली त्वचा में जलन जैसी शिकायतें हो सकती हैं।

JN.1 के प्रसंग में नींद में विघ्न, भय या घबराहट और प्रायः पतले दस्त होने की शिकायतें देखने में आती हैं। यह अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि इन शिकायतों का संबंध नए उत्परिवर्तों से ही है या किसी और चीज़ से।
हर हाल में, JN.1 का संक्रमण बहुत तेज़ी से फैलता है। वैश्विक स्तर पर उसका संक्रमण कुछ ही सप्ताहों में से 3.3 प्रतिशत से बढ़कर 21.1 प्रतिशत हो गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने इसी कारण JN.1 को गत दिसंबर में एक ऐसा उत्परिवर्त घोषित कर दिया, जिस पर लगातार नज़र रखी जा रही है।

पिरोला और JN.1 की भिन्नताः समसामयिक आंकड़ों के आधार पर JN.1 को WHO कोरोना के पिछले स्वरूपों से अधिक ख़तरनाक नहीं मानता। तब भी, दोनों को बहुत अधिक उत्परिवर्तित आंकता है। पिरोला का स्पाइक प्रोटीन 30 से अधिक बार उत्परिवर्तित हो चुका है। इसी के द्वारा वह हमारे शरीर की कोशिकाओं से चिपकता और उनमें घुसता है। JN.1 के स्पाइक प्रोटीन पर एक और उत्परिवर्तन मिला है, जिसके द्वारा वह हमारी रोगप्रतिरोध प्रणाली को संभवतः कहीं बेहतर चकमा दे जाता है।

पिरोला के स्पाइक प्रोटीन वाले उत्परिवर्तनों की बड़ी संख्या के कारण यह माना जा रहा है कि उसने SARS-CoV-2 के कायाकल्प को एक लंबी छलांग प्रदान की है। जर्मनी के जीव वैज्ञानिकों की एक टीम ने पिरोला की जैविक विशेषताओं का पता लगाया। यह टीम इस नतीजे पर पहुंची की कोरोनावायरस का पिरोला संस्करण हमारे फेफड़ों की कोशिकाओं में, अपने से पहले वाले ओमीक्रोन स्वरूपों की अपेक्षा, कहीं अधिक कुशलता के साथ घुस जाता है।
यह अब भी शोध का विषय है कि उसकी यह कुशलता बीमारी को और अधिक गंभीर भी बना देती है या नहीं। दूसरी ओर, ऐसा भी प्रतीत होता है कि पिरोला हमारे शरीर की कोशिकाओं में पहुंच कर अपनी संख्या उतनी अधिक बढ़ा नहीं पाता, जितनी उससे पहले के उत्परिवर्त कर पाते थे।

कोरोना का टीका अब कितना प्रभावकारी है? विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO फिलहाल यह मानकर चल रहा है कि ओमिक्रोन की रोकथाम के लिए बना नया टीका JN.1 के लिए भी प्रभावकारी है। इसी प्रकार जर्मनी के जीव वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि ओमीक्रोन के उत्परिवर्त XBB.1.5 से निपटने के लिए बना टीका पिरोला के विरुद्ध भी अच्छी सुरक्षा प्रदान कर सकता है। यह टीम अब यह पता लगायेगी कि यही टीका क्या JN.1 से भी निपटने के समर्थ है।

वायरस अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए उत्परिवर्तन करते रहते हैं। वे ऐसा न करें, तो उनका सफ़ाया हो जायेगा। शुरू-शुरू का कोरोनावायरस, Sars-CoV-2 भी, हमारी रोगप्ररोध प्रणाली को चकमा देने के लिए इसी प्रकार हमेशा बदलता रहा।

वायरस के हर बदले हुए स्वरूप के लिए एक नए नाम की भी ज़रूरत पड़ती है। ये नाम कुछ ख़ास नियमों के अनुसार गढ़े जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने तय कर रखा है कि सभी नाम ग्रीक भाषा की वर्णमाल के अक्षरों के आधार पर बनेंगे, ताकि किसी व्यक्ति, देश, शहर या स्थान को यह शिकायत न हो कि उसका नाम और किसी वायरस का नाम एक जैसा है।
Edited By : Navin Rangiyal

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