नई दिल्ली। रेलवे ने शुक्रवार को कहा कि उसने एक मई से श्रमिक विशेष ट्रेनों में 52 लाख प्रवासी श्रमिकों को भोजन के 85 लाख पैकेट और पानी की सवा करोड़ बोतलें मुहैया कराईं।
लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासियों के इन ट्रेनों से घर लौटने के दौरान लंबी यात्रा में भोजन-पानी के अभाव के चलते कुछ यात्रियों की मौत होने को लेकर रेलवे के प्रति लोगों के बढ़ते आक्रोश के बीच रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने कहा कि विशेष शिकायतों की जांच की गई और किसी ट्रेन में भोजन की कमी नहीं पाई गई।
यादव ने कहा कि रेलवे बीमार प्रवासी श्रमिकों के घर लौटने की व्याकुलता को समझता है लेकिन यदि वे गंभीर रूप से बीमार हैं तो उन्हें यात्रा करने से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा, यदि एक ट्रेन में 1500 यात्री सफर कर रहे हैं और उनमें से एक की मौत किसी कारण से हो जाती है, तो इस मौत को भूख या भोजन के अभाव के चलते हुई मौत नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा, कोरोना वायरस के चलते ठेकेदार भोजन बांटने के लिए ट्रेनों में नहीं जाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, हमने शुरुआत में उनके (श्रमिकों के) लिए भोजन के पैकेट दिए थे। लेकिन अब हमारे कर्मचारी ट्रेनों में घुसने और भोजन बांटने के लिए मास्क और दस्ताने का उपयोग कर रहे हैं।यादव ने कहा, 3,840 ट्रेनों में ये घटनाएं महज एक या दो प्रतिशत ट्रेनों में हुई होंगी। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रियों की मौत पर दुख प्रकट करते हुए यादव ने लोगों के बीमार या उम्रदराज होने की स्थिति में यात्रा से बचने की अपील की।
उन्होंने कहा, भारतीय रेल में एक नियंत्रण प्रणाली है, यदि कोई व्यक्ति बीमार पाया जाता है तब ट्रेन को फौरन रोका जाता है और चिकित्सक उनकी जान बचाने की कोशिश करते हैं। रेलवे के चिकित्सकों ने कई यात्रियों का इलाज किया, 31 सफल प्रसव कराए गए। कई मामलों में उन्हें नजदीकी अस्पताल बेस भेजा गया।
उन्होंने कहा, मैं समझ सकता हूं कि वे लोग मुश्किल वक्त में यात्रा कर रहे हैं। हर मौत की जांच की जाएगी। हम राज्य सरकारों से मौत के आंकड़ों और मौत के कारणों पर आंकड़े संकलित कर रहे हैं। हम आगे चलकर इसे सार्वजनिक करेंगे और मैं बगैर संख्या का पता चले इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता।
उन्होंने यह भी कहा कि अब तक चलाई गई 3,840 ट्रेनों में सिर्फ चार ट्रेनें 72 घंटे से अधिक समय में अपने-अपने गंतव्य तक पहुंचीं। उन्होंने कहा, आईआरसीटीसी और विभिन्न रेल डिवीजनों ने ट्रेनों में प्रवासियों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की। भोजन के 85 लाख पैकेट और पानी की सवा करोड़ बोतलें मुफ्त में मुहैया की गईं।(भाषा)