निजी प्रयोगशालाओं की दलील, Kovid-19 की जांच मुफ्त करने के लिए हमारे पास ‘साधन’ नहीं

Webdunia
शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020 (18:16 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय द्वारा निजी प्रयोगशालाओं को कोरोना वायरस की जांच मुफ्त में करने का निर्देश दिए जाने के बाद कई प्रयोगशालाओं ने उम्मीद जताई है कि सरकार 'तौर-तरीके बताएगी', जिससे वे देश में बढ़ती मांग के बीच जांच का काम जारी रख सकें। कुछ निजी प्रयोगशालाओं के मालिकों ने यह भी कहा है कि उनके पास मुफ्त में यह महंगी जांच करने के लिए साधन नहीं हैं।

डॉ. डैंग्स लैब नई दिल्ली के सीईओ डॉक्टर अर्जुन डैंग ने कहा, हम उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकार करते हैं, जिसका उद्देश्य कोविड-19 जांच की पहुंच बढ़ाने और इस आम आदमी के लिए वहनीय बनाना है। उन्होंने दलील दी हालांकि निजी प्रयोगशालाओं के लिए कई चीजों की लागत तय है जिनमें अभिकर्मकों (रीएजेंट्स), उपभोग की वस्तुओं, कुशल कामगारों और उपकरणों के रखरखाव शामिल है।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की जांच में भी संक्रमण नियंत्रण के कई उपाय करने पड़ते हैं जैसे- व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, संक्रामक परिवहन तंत्र और साफ-सफाई की जरूरत। साथ ही हर वक्त कर्मचारियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण कदम हैं।

डैंग ने कहा, सरकार द्वारा तय 4500 रुपए की दर में निजी प्रयोगशालाएं बमुश्किल लागत निकाल पाती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए हमें उम्मीद है कि सरकार कुछ तौर-तरीके लेकर आएगी, जिससे निजी प्रयोगशालाओं में जांच का काम चलता रहे।

डैंग ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले का पालन करते हुए हम अभी जांच मुफ्त कर रहे हैं और इस बारे में सरकार की तरफ से चीजों को और स्पष्ट किए जाने का इंतजार है।

डैंग की बातों से सहमति व्यक्त करते हुए थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉक्टर वेलुमनी ने कहा, निजी प्रयोगशालाओं के पास यह मंहगी जांच मुफ्त करने का साधन नहीं है।
 
उन्होंने कहा, यह सरकार का कर्तव्य है कि वह लागत का भुगतान करे, हम बिना लाभ के काम करेंगे। वेलुमनी ने कहा कि अदालत ने अपने आदेश में संकेत दिया था, सरकार को कोई रास्ता तलाशना चाहिए और हम निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, सरकार अगर मदद नहीं करती है तो यह कोविड-19 से निपटने की दिशा में बड़ा झटका होगा।
 
सनद रहे कि गरीबों को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपने फैसले में निजी प्रयोगशालाओं को निर्देश दिया था कि उन्हें मुफ्त में कोरोना वायरस की जांच करनी चाहिए और मुश्किल की इस घड़ी में परोपकारी रुख अपनाना चाहिए। सरकार ने कोरोना वायरस की जांच और पुष्टि परीक्षण के लिए 4500 रुपए कीमत तय की थी। शीर्ष अदालत ने सरकार से तुरंत इस दिशा में निर्देश जारी करने को भी कहा था।
 
अदालत ने केंद्र की इस दलील को भी ध्यान में रखा था कि सरकारी प्रयोगशालाओं में यह जांच मुफ्त की जा रही है। फैसले के एक दिन बाद बायोकॉन लिमिटेड की अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ ने गुरुवार को कहा था कि उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करना 'अव्यवहारिक' है और चिंता व्यक्त की थी कि इससे जांच बंद हो जाएगी क्योंकि निजी प्रयोगशालाएं उधार पर अपना कारोबार नहीं कर सकतीं।

अदालत ने केंद्र की इस दलील को भी ध्यान में रखा था कि सरकारी प्रयोगशालाओं में यह जांच मुफ्त की जा रही है। फैसले के एक दिन बाद बायोकॉन लिमिटेड की अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ ने गुरुवार को कहा था कि उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करना 'अव्यवहारिक' है और चिंता व्यक्त की थी कि इससे जांच बंद हो जाएगी क्योंकि निजी प्रयोगशालाएं उधार पर अपना कारोबार नहीं कर सकतीं।

मजूमदार शॉ ने हालांकि अपने बाद के ट्वीट में उच्चतम न्यायालय के आदेश को लेकर विरोधाभासी रुख व्यक्त किया था। उन्होंने ट्वीट किया, उद्देश्य मानवीय लेकिन लागू करने में अव्यवहारिक-मुझे डर है कि जांच कम हो जाएगी।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख