ब्‍लॉग-चर्चा : कुछ नुक्‍ताचीनी हो जाए

ब्‍लॉग-चर्चा में आज देबाशीष की ब्‍लॉग 'नुक्‍ताचीनी'

jitendra
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ब्‍लॉग-चर्चा में आज हम बात करने वाले है ं, एक ऐसे शख्‍स क ी, जिनका नाम आलोक कुमार के बाद हिंदी के सबसे पुराने ब्‍लॉगरों में शुमार किया जाता है। वो न सिर्फ ब्‍लॉग लेखन की भाषा यानी हिंदी पढ़ सकते है ं, बल्कि ब्‍लॉग की टेकनीक और सॉफ्टवेयर की भाषा भी पढ़ सकते हैं। जी हा ँ, हम बात कर रहे हैं देबाशीष की। हर बात में नुक्‍ताचीनी करना उनकी आदत है या नही ं, पता नही ं, लेकिन उनके ब्‍लॉग का नाम तो नुक्‍ताचीनी ही है ।

फिलहाल पुणे में रह रहे देबाशीष आजीविका के लिए साफ्टवेयर बनाते हैं। उनके ब्‍लॉग नुक्‍ताचीनी की शुरुआत नवंब र, 2003 में हुई। यूनीकोड की तब शुरुआत हुई ही थी। दरअसल हिंदी में लेखन देबाशीष का क्षेत्र नहीं थ ा, जैसा कि वे खुद कहते हैं कि लिखने से ज्‍यादा उस तकनीक को जानने और विकसित करने में देबाशीष की रुचि ह ै, जिसने हिंदी में लेखन को इतना आसान और सर्वसुलभ बना दिया। लेकिन लिखने में भी वो कम नहीं हैं। नुक्‍ताचीनी के लेखों और टिप्‍पणियों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है ।
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अपने ब्‍लॉग और हिंदी ब्‍लॉगिंग के संसार के बारे में उन्‍होंने वेबदुनिया से लंबी बातचीत की। देबाशीष का मानना है कि यूनीकोड ने ही ब्‍लॉगिंग को इतना आसान और पॉपुलर बनाया। जिस समय हिंदी में सिर्फ 20-25 ब्‍लॉग थ े, तमिल में 800 से 1000 तक तक ब्‍लॉग थे। हिंदी में यह संसार धीरे-धीरे व्‍यापक हु आ, लेकिन उडि़य ा, असमिया और पंजाबी को छोड़कर अन्‍य भाषाओं की तुलना में यह आज भी बहुत कम है ।

नुक्‍ताचीनी के अलावा देबाशीष की और भी कई वेबसाइट्स हैं, जो अलग-अलग विषयों और तकनीक से जुड़ी हुई हैं।

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चिट्ठा विश्‍व - देबाशीष ने चिट्ठा विश्‍व के नाम से हिंदी का पहला ब्‍लॉग एग्रीगेटर बनाय ा, जहाँ हिंदी ब्‍लॉ ग, ब्‍लॉगरों के प्रोफाइल के बारे में सारी जानकारी प्राप्‍त की जा सकती है। ब्‍लॉगिंग की तकनी क, उसका इतिहास और क्रमश: विकास-क्रम में देबाशीष की अधिकाधिक रुचि थी और इसे उन्‍हें कार्यान्वित भी किया।

बांग्‍ला ब्‍लॉग प्राइमर - इसके अतिरिक्‍त बांग्‍ला ब्‍लॉग प्राइमर नाम की देबाशीष की वेबसाइट ह ै, जो अपना ब्‍लॉग बनाने और अपनी मातृभाषा में ब्‍लॉगिंग करने के बारे में कुछ बुनियादी जानकारी अँग्रेजी और बांग्‍ला भाषा में देती है।

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हिंदी ब्‍लॉग डायरेक्‍टरी - इसके अतिरिक्‍त देबाशीष ने रमण कौल की मदद से विश्‍व भर के हिंदी ब्‍लॉगों की एक डायरेक्‍टरी भी बनाई है।

बुनो कहानी - बुनो कहानी कई ब्‍लॉगों का एक समूह ह ै, जहाँ ढेर सारे लेखक मिलकर किसी कहानी की रचना करते हैं।

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निरंतर - निरंतर विश्‍व की पहली ब्‍लॉग मैगजीन ह ै, जिसका प्रस्‍थापना और प्रकाशन देबाशीष ने किया। इसमें विश्‍व भर के सामाजिक-आर्थिक मसलो ं, साहित्‍य और विज्ञान-तकनीक आदि के बारे में लेख होते हैं ।

सुर्खियाँ - यहाँ रोजमर्रा के समाचारों की सुर्खियाँ आपको मिल जाएँगी। हिंदी-अँग्रेजी के प्रमुख अखबारों की सुर्खियाँ यहाँ प्रकाशित की जाती हैं ।

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पॉडभारती - यह विश्‍व की पहली हिंदी पॉडजीन ह ै, जिसकी शुरुआत देबाशीष ने की। शशि सिंह इस काम में उनके सहयोगी रहे ।


देबाशीष के ब्‍लॉग पर तकनीक की दुनिया से जुड़ी नई खबरों को देखा जा सकता है। आसपास के मुद्दों पर भी वे सवाल खड़े करते हैं। यदि आप हिंदी ब्‍लॉग की दुनिया के बारे में अपडेट रहना चाहते हैं तो नुक्‍ताचीनी से बेहतर ठिकाना शायद दूसरा नहीं हो सकता है। ब्‍लॉग और तकनीक की दुनिया में वे नए-नए सवाल भी खड़े करते रहते हैं। समसामयिक विषयो ं, राजनीति इत्‍यादि के बारे में टिप्‍पणियाँ भी नुक्‍ताचीनी में देखी जा सकती हैं। देबाशीष कहते हैं कि साहित्‍य मेरा इलाका नहीं है। फिर भी उन्होंने हिंदी ब्‍लॉग के लेखन और जिन विषयों और सवालों को यहाँ प्रमुखता दी जा रही ह ै, उसके बारे में काफी बात की।

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देबाशीष कहते हैं कि हिंदी साहित्‍य की तरह ब्‍लॉग की दुनिया में भी एक किस्‍म का ध्रुवीकरण और दलवाद दिखने लगा है। सब अपने-अपने दल बनाकर उसके भीतर काम कर रहे हैं। किसी विमर्श की शुरुआत करते हुए वह स्‍वस्‍थ तरीके से नहीं चल पाती और व्‍यक्तिगत आलोचना और ‍िछछालेदर पर उतर आती है। बहसों का अंत हमेशा बहुत बुरा होता है।

हिंदी की यह स्थिति चाहे वह साहित्‍य में हो या ब्‍लॉग की दुनिया मे ं, वास्‍तव में काफी चिंताजनक है। अँग्रेजी या अन्‍य भाषाओं में ऐसा नहीं होता। हमें ब्‍लॉगिंग को इस तरह के विवादों से बचाने की जरूरत है और स्‍वस्‍थ विमर्शों के लिए नए प्‍लेटफॉर्म बनाने की जरूरत।

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लेकिन ब्‍लॉग के माध्‍यम से नए रूपों में हिंदी के विकास को लेकर देबाशीष भी कम आशान्वित नहीं हैं। हालाँकि कोरी भावुकता की जगह वे काफी तार्किक तरीके से मुद्दों पर विचार करते हैं और कहते हैं कि हिंदी का विकास तब होग ा, जब वास्‍तव में उसका अधिकाधिक इस्‍तेमाल ह ो, वह ज्‍यादा व्‍यापक पैमाने पर लोगों तक पहुँचे। हिंदी में उम्‍दा साहित्‍य रचा और पढ़ा जाए। जब लोग अपनी जबान में बात करें ।

देबाशीष कहते हैं कि विज्ञान और तकनीक के विकास ने बहुत से नए रास्‍ते खोले है ं, जिनका ठीक-ठीक रूप में इस्‍तेमाल करना हमारी जिम्‍मेदारी है। एक सार्थक प्रयोग ब्‍लॉग को बहुत महत्‍वपूर्ण और क्रांतिकारी माध्‍यम बना सकता है। विध ि, कानू न, स्‍वास्‍थ्‍ य, पर्यावर ण, विज्ञान और तकनीक के बारे में और लिखा जाए। हिंदी अपने सीमित संसार से ऊपर उठे और बड़े फलक पर देखना शुरू करे। फिलहाल आप देबाशीष के ब्‍लॉग पर जाएँ और अपनी तकनीकी और अन्‍य जानकारियाँ बढाएँ।

ब्‍लॉग - नुक्‍ताचीनी
URL - http://nuktachini.debashish.com /
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