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उस्ताद जाकिर हुसैन के बारे में 5 ऐसी बातें जो संगीत प्रेमियों को पता होनी चाहिए

जानिए तबले को वैश्विक मंच पर ले जाने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन के जीवन की कुछ प्रमुख बातें

WD Feature Desk
सोमवार, 16 दिसंबर 2024 (18:00 IST)
Zakir Hussain : मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया है। उस्ताद जाकिर हुसैन का नाम तबला और भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। जाकिर हुसैन का मानना था कि संगीत सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि यह ईश्वर से जुड़ने का माध्यम है। वह संगीत को ध्यान (मेडिटेशन) की तरह मानते थे और कहा करते थे कि तबला बजाते समय वह खुद को समय और दुनिया से परे महसूस करते हैं। 
 
भारत सरकार ने उन्हें, उनकी संगीत प्रतिभा के लिए 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया। विश्वस्तरीय तबला वादक और संगीत साधक जाकिर हुसैन ने अपनी कला से भारतीय संगीत को एक नई पहचान दी। हालांकि उनके बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा जा चुका है, लेकिन कुछ अनसुनी बातें भी हैं जो संगीत प्रेमियों के लिए जानना दिलचस्प होगा।
 
1. जन्म 
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उनका जन्म नाम जाकिर हुसैन अल्ला रक्खा खान रखा गया था। दिलचस्प बात यह है कि उनके पिता, उस्ताद अल्ला रक्खा, ने उन्हें एक विशेष आशीर्वाद मानते हुए कहा था कि उनका बेटा तबला वादन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
 
2. 4 साल की उम्र में तबला की शुरुआत
बहुत कम लोगों को पता है कि उस्ताद जाकिर हुसैन ने महज 4 साल की उम्र में तबला वादन सीखना शुरू कर दिया था। उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा ने उन्हें शास्त्रीय संगीत की गहरी समझ और लयबद्धता सिखाई। उनकी प्रतिभा इतनी असाधारण थी कि कम उम्र में ही उन्होंने कई मंचीय प्रस्तुतियां देनी शुरू कर दीं।
 
3. तबला के 'रॉकस्टार'
जाकिर हुसैन को "तबला का रॉकस्टार" कहा जाता था। 1970 के दशक में उन्होंने पश्चिमी संगीतकारों के साथ काम करके भारतीय संगीत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहुंचाया। उनके लंबे बाल, करिश्माई अंदाज और मंच पर ऊर्जा से भरे प्रदर्शन ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया।
 
4. ग्रैमी अवार्ड्स विजेता 
उस्ताद जाकिर हुसैन ने प्रसिद्ध गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन के साथ मिलकर "शक्ति" नामक एक फ्यूज़न म्यूज़िक बैंड बनाया। यह बैंड भारतीय शास्त्रीय संगीत और जैज़ संगीत का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करता था। उनके इस प्रयोग ने भारतीय संगीत को पश्चिमी श्रोताओं के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया।
 
बता दें, फ्यूजन बैंड शक्ति ने ,ग्रैमी अवार्ड्स 2024 में, ग्लोबल म्यूजिक एल्बम विनर का खिताब जीता। इस बैंड में जॉन मैकलॉघलिन, जाकिर हुसैन, शंकर महादेवन, वी सेल्वगणेश और गणेश राजगोपालन जैसे प्रसिद्ध कलाकार शामिल हैं। साल 2024 में, उन्होंने एक ही रात में तीन ट्रॉफियां जीतने वाले पहले भारतीय बनकर 66वें ग्रैमी अवार्ड्स में इतिहास रच दिया।
 
5. पहली कमाई से चौंका देने वाला अनुभव
जाकिर हुसैन ने अपनी पहली पेशेवर प्रस्तुति 6 साल की उम्र में दी थी। इसके बदले उन्हें जो पैसे मिले थे, वो बड़ी रकम थी। उन्होंने यह पैसा अपनी मां को दे दिया, जो उनकी सादगी और पारिवारिक मूल्यों को दर्शाता है। 
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