स्विट्ज़रलैंड का बैंक गोपनीयता क़ानून : यह क़ानून 1934 से लागू है। उस समय जर्मनी सहित यूरोप के कई देशों में भयंकर मुद्रास्फीति (मंहगाई) और आर्थिकमंदी के कारण धनवान लोग अपने पैसे को तटस्थ देश स्विट्ज़रलैंड की मूल्यस्थिर मुद्रा में बदल कर वहाँ के बैंकों में जमा करने लगे थे।
1934 में यह कानून लागू होने के साथ ही स्विस बैंकों को मानना पड़ा कि वे देश के संघीय बैंक नियंत्रण आयोग द्वारा उसके पालन की निगरानी को स्वीकार करेंगे। 1 जनवरी 2009 से यह निगरानी "संघीय वित्तबाज़ार निगरानी आयोग FINMA" के हाथ में है। अपने अधिकारक्षेत्र के भीतर केवल यही आयोग बैंकों से जानकारियाँ माँग सकता है, पर उसे भी गोपनीयता बरतनी होगी।
उसका मुख्य काम यह देखना है कि बैंक अपने कामकाज में सरकारी नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं। विदेशी सरकारों की प्रामाणिक शिकायत मिलने पर FINMA ही उन्हें किसी ग्राहक के बारे में आधिकारिक जानकारी दे सकता है।
बैंक गोपनीयता क़ानून हर देश में होता है। स्विट्ज़रलैंड की विशेषता यह है कि जब तक किसी को ऐसे वित्तीय अपराध में लिप्त नहीं ठहराया जा सके, जो स्विट्ज़रलैंड में भी अपराध है, तब तक पुलिस से लेकर कर राजस्व विभाग, राष्ट्रीय बैंक और न्यायालय भी किसी बैंक से उसके किसी ग्राहक के खाते के बारे में जानकारी नहीं माँग सकते।
बैंक गोपनीयता क़ानून की धारा 47 के अनुसार स्विट्ज़रलैंड के हर बैंक का हर कर्मचारी, अधिकारी, बैंकिंग से जुडी संस्थाएँ, एजेंट, लेखा-परीक्षक (ऑडिटर) और स्वयं बैंक निगरानी आयोग के सदस्य व कर्मचारी भी गोपनीयता बरतने के लिए बाध्य हैं।
इस गोपनीयता का उल्लंघन एक ऐसा आधिकारिक (ऑफ़िसियल) अपराध है, जिस की विधिवत शिकायत (भारत में एफ़आईआर) नहीं होने पर भी पुलिस और न्यायिक अधिकारियों को तुरंत सक्रिय हो जाना पड़ेगा। गोपनीयता क़ानून के लापरवाही भरे उल्लंघन की अदालती सज़ा है ढाई लाख स्विस फ्रांक (लगभग ढाई लाख डॉलर) तक का अर्थदंड और जानबूझ कर उल्लंघन की सज़ा है तीन साल तक जेल या नुकसान के अनुसार अर्थदंड। सज़ा के अलावा बैंक को जो भी नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करने की वह अलग से माँग कर सकता है।
बैंक किसे जानकारी दे सकते हैं : खातेदार के जीवित न होने पर स्विस बैंक केवल उसकी संपत्ति के सच्चे वारिसों को ही खाते की स्थिति के बारे में जानकारी दे सकते हैं। वे ऐसे पति या पत्नी को भी जानकारी दे सकते हैं, जिसके पास अदालती डिग्री है कि उसे अपने जीवनसाथी के खाते की स्थिति जानने का अधिकार है।
खातेदार की संपत्ति कुर्क होने या उस का किसी बड़े भ्रष्टाचारी, आतंकवादी, धोखाधड़ी अथवा कालेधन की धुलाई वाले मामले से संबंध होने की स्थिति में अदालती आदेश पर ही किसी बैंक कर्मचारी को अदालत में गवाही देनी पड़ सकती है। ऐसे किसी मामले से जुड़े किसी विदेशी सरकार के अनुरोध को बैंक तभी स्वीकार करते हैं, जब यह अनुरोध स्विस सरकार के माध्यम से आया हो, हर संदिग्ध व्यक्ति के बारे में अलग से ठोस प्रमाण हों और स्विस सरकार ने या किसी स्विस न्यायालय ने जानकारी देने का अनुमोदन किया हो।
काले धन के मामले में 1998 से एक नया कानून है कि बड़ी मात्रा में पैसे की ऐसी हर आवा-जाही (ट्रांसऐक्शन) के बारे में, जिस पर काला धन होने का भरोसेमंद शक है, बैंक निगरानी आयोग को सूचित किया जाएगा।
जानि ए कैसे खोला जाता है स्विस अकाउं ट, अगले पन्ने पर...