न हार का डर न केजरीवाल का, किरण बेदी की 5 खास बातें...

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नई दिल्ली। देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने भाजपा का दामन थामते ही आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। अब वे उन अरविन्द केजरीवाल का सामना करने को तैयार हैं, जिनके साथ अन्ना आंदोलन में उन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था।

एक टीवी चैनल से चर्चा करते हुए बेदी ने कहा कि मुझे न तो चुनाव में अपनी हार का डर है, न ही आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविन्द केजरीवाल का। पार्टी कहेगी तो मैं उनके खिलाफ भी लड़ जाऊंगी। नई दिल्ली अरविंद केजरीवाल की सीट है। पार्टी चाहेगी तो वहां से भी चुनाव लड़ूंगी। पार्टी तय करेगी कि कहां से चुनाव लड़ना है। पार्टी मुझसे बेहतर जानती है। मैं हर जिम्मेदारी निभाने को तैयार हूं। हार भी गई तो कोई मुझे कोई गम नहीं होगा, मैं फिर काम पर लग जाऊंगी।  राजनीति में शामिल नहीं होने के अपने रुख में बदलाव के लिए आप की आलोचनाओं को खारिज करते हुए किरण बेदी ने कहा कि वे अपनी पसंद तय करने के लिए स्वतंत्र हैं और मोदी के नेतृत्व के कारण उनकी ‘विरक्ति’ खत्म हो गई है।


बेदी ने कहा कि दिल्ली मेरी प्राथमिकता है और यहां मजबूत सरकार की जरूरत है। हालांकि सीएम पद को लेकर वे चुप्पी साध गईं। भाजपा और मोदी के खिलाफ गुजरात दंगों को लेकर पिछले ट्वीट्स के बारे में सवाल पूछने पर किरण बेदी ने कहा कि मेरे ट्वीट में धीरे-धीरे परिवर्तन आया। मैंने धीरे-धीरे भाजपा में आने का निर्णय लिया और भाजपा के नेताओं ने भी मुझे स्वीकार किया है। मेरे भाजपा में आने से कोई नाराज नहीं है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा था कि उन्हें काम करना भी आता है और काम करवाना भी। अघोषित तौर पर वे भाजपा की मुख्‍यमंत्री पद की उम्मीदवार भी बन गई हैं।

बेदी की इन खूबियों का भाजपा को फायदा मिल सकता है... पढ़ें अगले पेज पर....

कुशल प्रशासक : किरण बेदी भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रही हैं, साथ ही उन्हें एक कुशल प्रशासक के तौर पर भी जाना जाता है। महिलाओं में उनकी अलग ही छवि रही है। दिल्ली में महिला सुरक्षा बड़ा मुद्दा है, अत: महिलाओं का झुकाव उनकी तरफ हो सकता है। बेदी कई साल से महिलाओं के लिए कार्य भी कर रही हैं। इसके साथ ही पुलिस में सेवा में रहते हुए दिल्ली के यातायात को सुधारने के लिए भी उन्होंने काफी सख्ती से काम किया था। इसी के चलते उन्हें 'क्रेन बेदी' भी कहा जाने लगा था।

बेदाग छवि : किरण बेदी के पक्ष में सबसे बड़ी बात कोई जाती है तो उनकी बेदाग छवि। पुलिस सेवा के दौरान भी उन पर बड़े आरोप नहीं लगे। अत: भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अब केजरीवाल को दिल्ली की जनता के वोट हासिल करना आसान नहीं रह जाएगा। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा रहा था और कांग्रेस की भ्रष्ट छवि के कारण केजरीवाल की आम आदमी पार्टी रातोंरात सुर्खियों में आ गई थी। एक और बात, किरण बेदी भी केजरीवाल की तरह अन्ना आंदोलन के चलते ही फिर से सुर्खियों में आई थीं।

विकास की बात : किरण बेदी ने भाजपा में शामिल होते ही नरेन्द्र मोदी के विकास के एजेंडे को ही आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा भी था कि वे मोदी के नेतृत्व से प्रभावित होकर ही भाजपा में शामिल हो रही हैं। उनकी साफ-सुथरी छवि के कारण मोदी को भी उनके नाम से वोट मांगना आसान हो जाएगा।

और बेदी ने दिया मुकाबले को नया मोड़... पढ़ें अगले पेज पर....


अब किरण बेदी बनाम अरविन्द केजरीवाल : किरण बेदी के भाजपा में शामिल होने के बाद भगवा पार्टी को सबसे बड़ी राहत यह मिली है कि अब दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुकाबला मोदी बनाम अरविन्द केजरीवाल नहीं होगा। अब यह लड़ाई किरण बनाम केजरीवाल की हो जाएगी। हालांकि अब तक आम आदमी पार्टी चुनावी जंग को अरविन्द केजरीवाल बनाम जगदीश मुखी के रूप में पेश करती आ रही थी। हालांकि अधिकृत तौर पर किरण बेदी को मुख्‍यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है, लेकिन दिल्ली भाजपा नेताओं के बयान से लगने लगा है कि वे भाजपा की अघोषित मुख्‍यमंत्री पद की उम्मीदवार हैं और संभव है आने वाले दिनों में उनके नाम पर मुहर भी लग जाए। अब भाजपा का कांग्रेस और आप के इस आरोप से भी पीछा छूट जाएगा, जिसमें दोनों पार्टियां कहती आ रही हैं कि भाजपा के पास दिल्ली में मुख्‍यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं हैं।

संघ से दूरी का फायदा : किरण बेदी का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई लेना-देना नहीं है और इसका फायदा भाजपा को ही मिलेगा क्योंकि मोदी सरकार संघ के 'घर वापसी' कार्यक्रम को लेकर आलोचनाओं के घेरे में रही है। किरण बेदी की बेदाग तेजतर्राज छवि से भाजपा को फायदा मिलेगा।
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