शरीर, मस्तिष्क और आत्मा से है ध्यान का संबंध, जानिए कैसे करें ध्यान, 8 खास बातें

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ध्यान शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए बिलकुल निःशुल्क हानिरहित उपचार पद्धति है। इस सत्य को प्रायः हर उम्र तथा हर वय के व्यक्ति ने स्वीकारा है।
 
ध्यान के माध्यम से कुप्रवृत्तियों पर अंकुश एवं सद्वृत्तियों का विकास सहजता से किया जा सकता है। जब भी एकाग्र मन से किसी भी विषय में सोचा जाए, मनन किया जाए तो वह शीघ्र फलित होने लगता है, खासतौर पर स्वयं के स्वभाव व आदतों को बदलने की दिशा में।
 
ध्यान एक ऐसी क्रिया है, जिसका संबंध शरीर, मस्तिष्क तथा आत्मा तीनों से होता है अर्थात तीनों के सामंजस्य से यह क्रिया संपन्न होती है। तीनों पर इस क्रिया (ध्यान) का प्रभाव भी पड़ता है। न करने से पूर्व इस बात का विशेष खयाल रखें कि इस दौरान किसी भी प्रकार के अनिष्टकारी, अहितकारी एवं अस्वस्थ विचार मन में न आएं। अन्यथा परिस्थितियां विपरीत भी हो सकती हैं। 
 
ध्यान करने से पूर्व इन 8 बिंदुओं पर अवश्य ध्यान दीजिए -
 
* ध्यान के समय ढीले वस्त्रों का प्रयोग करें।
 
* हमेशा शांतिमय स्वच्छ वातावरण व स्थान का चयन करें। 
 
* यदि घर पर ही ध्यान करते हों तो ऐसे वक्त कीजिए जब घर में सदस्यों की उपस्थिति कम से कम हो, ताकि ध्यान में किसी प्रकार का विघ्न न पड़े।

 
* किसी के बुलाने (मध्य में ध्यान के) या फोन इत्यादि की घंटी बजने पर एकदम से उठकर न जाएं, इससे सिर दर्द हो सकता है या हल्के चक्कर भी आ सकते हैं।
 
* कोशिश कीजिए कि ध्यान करते वक्त सकारात्मक विचारों की ही पुनरावृत्ति हो।
 
* ध्यान करने के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य है, अधिक तनाव में कभी ध्यान न करें। यह सच है कि ध्यान करने से तनाव कम होता है, लेकिन यह भी सच है कि अत्यधिक तनाव में ध्यान करने से तनाव बढ़ता है।

 
* अधिक व्यस्तता के मध्य ध्यान न करें। अनेक बार त्योहारों में मेहमानों के आने से या अन्य किसी कारणवश यदि कार्य का बोझ शादी-विवाह इत्यादि अवसरों पर बढ़ जाए तो जबरदस्ती ध्यान न करें, क्योंकि ध्यान में भी बार-बार आपको समयावधि में कार्य पूर्ण करने की चिंता सताएगी अतः ध्यान में व्यय किया गया समय निरुद्देश्य ही जाएगा।
 
* ध्यान समाप्ति के पश्चात कम से कम पंद्रह मिनट तक एकदम स्फूर्ति से कोई भी कार्य न करें।
 
 
यदि इन बातों को ध्यान में रखा जाए तो निश्चित ही इससे उत्तम फल प्राप्ति संभव है।
 
- मीरा जैन

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