यम द्वितीया 2021 : भाई दूज की 7 रोचक बातें

Webdunia
शुक्रवार, 5 नवंबर 2021 (10:57 IST)
गोवर्धन पूजा के अगले दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। दीपावली के 5 दिनी उत्सव में भाई दूज एक ऐसा त्योहार है जो संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। भाईदूज का त्योहार 6 नंबर 2021 शनिवार को मनाया जाएगा। आओ जानते हैं भाई बहन के पवित्र पर्व भाई दूज की 7 रोचक बातें।
 
1. भाई दूज के कितने नाम : भाई दूज को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से मनाया जाता है। भाई दूज को संस्कृत में भागिनी हस्ता भोजना कहते हैं। कर्नाटक में इसे सौदरा बिदिगे के नाम से जानते हैं तो वहीं बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा के नाम से जाना जाता है। गुजरात में भौ या भै-बीज, महाराष्ट्र में भाऊ बीज कहते हैं तो अधिकतर प्रांतों में भाई दूज। भारत के बाहर नेपाल में इसे भाई टीका कहते हैं। मिथिला में इसे यम द्वितीया के नाम से ही मनाया जाता है।
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2. भाई दूज पर भाई को तिलक लगाना है महत्वपूर्ण : भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को अपने घर बुलाकर उसे तिलक लगाकर उसकी आरती उतारकर उसे भोजन खिलाती है। भाई दूज पर भाई को भोजन के बाद भाई को पान खिलाने का ज्यादा महत्व माना जाता है। मान्यता है कि पान भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है।
 
3. यम और यमुना : भाई दूज का त्योहार यमराज के कारण हुआ था, इसीलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाईदूज पर यम और यमुना की कथा सुनने का प्रचलन है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन यमुना अपने भाई भगवान यमराज को अपने घर आमंत्रित करके उन्हें तिलक लगाकर अपने हाथ से स्वादिष्ट भोजन कराती है। जिससे यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुना ने अपने भाई यम से कहा कि आज के दिन जो बहनें अपने भाई को निमंत्रित कर अपने घर बुलाकर उन्हें भोजन कराएंगी और उनके माथे पर तिलक लगाएंगी तो उन्हें यम का भय ना हो। यमरान ने ऐसा सुनकर कहा, तथास्तु। तभी से कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया को बहनों द्वारा अपने भाई को भोजन कराकर तिलक लगाया जाता है। यम के निमित्त धन तेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज पांचों दिन दीपक लगाना चाहिए। कहते हैं कि यमराज के निमित्त जहां दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है।
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4. श्रीकृष्‍ण और सुभद्रा : कहा जाता है कि नरकासुर का वध करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने इसी दिन उनके घर पहुंचे थे। सुभद्रा ने उनका स्वागत करके अपने हाथों से उन्हें भोजन कराकर तिलक लगाया था।
 
5. चित्रगुप्त की पूजा : इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा का भी प्रचलन है। कहते हैं कि इसी दिन से चित्रगुप्त लिखते हैं लोगों के जीवन का बहीखाता। चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा भी की जाती है।

 
6. यमुना में स्नान : कहते हैं कि इस दिन जो भाई-बहन इस रस्म को निभाकर यमुनाजी में स्नान करते हैं, उनको यमराजजी यमलोक की यातना नहीं देते हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है।
 
7. नवीन वर्ष : वणिक वर्ग के लिए यह नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कहलाता है। इस दिन नवीन बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है।

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