Dhanteras 2020 : धन्वंतरि के बारे में ये 3 बातें आपको नहीं पता होंगी

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
1. धन्वंतरि को हिन्दू धर्म में देवताओं का वैद्य (चिकित्सक) माना जाता है। ये एक महान चिकित्सक थे जिन्हें देव पद प्राप्त हुआ। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार समझे जाते हैं। इनका पृथ्वीलोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरि, चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती लक्ष्मीजी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था इसीलिए दीपावली के 2 दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरि का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन इन्होंने आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया था।
 
2. इन्हें भगवान विष्णु का रूप कहते हैं जिनकी 4 भुजाएं हैं। ऊपर की दोनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किए हुए हैं जबकि 2 अन्य भुजाओं में से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे में वे अमृत कलश लिए हुए हैं। इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है इसीलिए धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा भी है।
 
3. इन्हें आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं। इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी। इनके वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने शल्य चिकित्सा का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाए गए थे। उन्होंने ही 'सुश्रुत संहिता' लिखी थी। 'सुश्रुत' विश्व के पहले सर्जन थे। दीपावली के अवसर पर कार्तिक त्रयोदशी-धनतेरस को भगवान धन्वंतरि की पूजा करने का विधान है।
ALSO READ: धनतेरस 2020 : भगवान धन्वंतरि की पूजा कौन से शुभ मुहूर्त में करें
ALSO READ: Dhanteras 2020 Date: कब है धनतेरस और जानिए क्या है पू्जा के मुहूर्त
ALSO READ: धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं पीतल के बर्तन
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

Ramayan : रामायण काल में कितने जनपद थे, भारत की सीमा कहां से कहां तक थी?

Pradosh vrat : धन समृद्धि के लिए प्रदोष व्रत के दिन इस स्तोत्र का पाठ

Pradosh vrat : प्रदोष व्रत पर करें 3 उपाय बदल जाएगी किस्मत

Islam : इस्लाम के लिए इन ब्राह्मणों ने अपनी जान दे दी थी?

Mahavir swami: महावीर स्वामी को कैवल्य ज्ञान कब प्राप्त हुआ था?

अगला लेख