दीपावली के बाद कार्तिक द्वितीया को भाई दूज के दिन किए जाने वाले 3 प्रमुख कार्य

अनिरुद्ध जोशी
दीपावली के 5 दिनी उत्सव में सबसे पहले धनतेरस, फिर नरक चतुर्दशी, फिर दीपावली, फिर गोवर्धन पूजा और इसके बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज का त्योहार होता है। भाई दूज को संस्कृत में भागिनी हस्ता भोजना कहते हैं। यह त्योहार लगभग पूरे देश में मनाया जाता है। आओ जानते हैं कि इस दिन कौन से प्रमुख 3 कार्य किए जाते हैं।
 
ALSO READ: दीपावली के दूसरे दिन क्यों और कैसे करते हैं गोवर्धन पूजा?
1. भाई को तिलक लगाना : भाई दूज का त्योहार यमराज के कारण हुआ था, इसीलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को अपने घर बुलाकर उसे तिलक लगाकर उसकी आरती उतारकर उसे भोजन खिलाती है। भाई दूज पर भाई को भोजन के बाद पान खिलाने का प्रचलन है। मान्यता है कि पान भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है। भाई दूज पर जो भाई-बहन यमुनाजी में स्नान करते हैं, उनको यमराजजी यमलोक की यातना नहीं देते हैं। 
ALSO READ: नरक चतुर्दशी पर कर लेंगे ये 8 उपाय तो मिलेगा सुंदर रूप और होगी मनोकामना पूर्ण
2. यम पूजन : भाईदूज पर यम और यमुना की कथा सुनने का प्रचलन है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है। यम के निमित्त धन तेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज पांचों दिन दीपक लगाना चाहिए। कहते हैं कि यमराज के निमित्त जहां दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है।
ALSO READ: धनतेरस के 5 उपाय, संकटों से निजात पाएं और मालामाल हो जाएं
3. चित्रगुप्त की पूजा : इस दिन यम के मुंशी भगवान चित्रगुप्त की पूजा का भी प्रचलन है। कहते हैं कि इसी दिन से चित्रगुप्त लिखते हैं लोगों के जीवन का बहीखाता। इसीलिए वणिक वर्ग के लिए यह नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कहलाता है। इस दिन नवीन बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है। चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा की जाती है।
Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व

अगला लेख