दि‍वाली पर कविता : मन से मन का दीप जलाओ

डॉ मधु त्रिवेदी
मन से मन का दीप जलाओ
जगमग-जगमग दि‍वाली मनाओ
 
धनियों के घर बंदनवार सजती
निर्धन के घर लक्ष्मी न ठहरती
मन से मन का दीप जलाओ 
घृणा-द्वेष को मिल दूर भगाओ
 
घर-घर जगमग दीप जलते 
नफरत के तम फिर भी न छंटते 
जगमग-जगमग मनती दिवाली
गरीबों की दिखती है चौखट खाली
 
खूब धूम धड़काके पटाखे चटखते
आकाश में जा ऊपर राकेट फूटते
काहे की कैसी मन पाए दिवाली
अंटी हो जिसकी पैसे से खाली
गरीब की कैसे मनेगी दीवाली
खाने को जब हो कवल रोटी खाली
दीप अपनी बोली खुद लगाते 
गरीबी से हमेशा दूर भाग जाते
 
अमीरों की दहलीज सजाते 
फिर कैसे मना पाए गरीब दि‍वाली
दीपक भी जा बैठे हैं बहुमंजिलों पर 
वहीं झिलमिलाती हैं रोशनियां
 
पटाखे पहचानने लगे हैं धनवानों को
वही फूटा करती आतिशबाजियां 
यदि एक निर्धन का भर दे जो पेट 
सबसे अच्छी मनती उसकी दि‍वाली
 
हजारों दीप जगमगा जाएंगे जग में 
भूखे नंगों को यदि रोटी वस्त्र मिलेंगे
दुआओं से सारे जहां को महकाएंगे 
आत्मा को नव आलोक से भर देगें
 
फुटपाथों पर पड़े रोज ही सड़ते हैं 
सजाते जिंदगी की वलियां रोज है
कौन-सा दीप हो जाए गुम न पता 
दिन होने पर सोच विवश हो जाते
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

5 जुलाई को लेकर क्यों जापान के लोगों में दहशत, क्या नए बाबा वेंगा की भविष्यवाणी से डर गई है जापानी सरकार

मंगल के सिंह राशि में गोचर से 3 राशि के लोगों को रहना होगा संभलकर

अद्भुत... अलौकिक...अविस्मरणीय! कैसा है श्रीराम दरबार, जानिए इसकी अनोखी विशेषताएं

नीम में शक्ति है शनि और मंगल को काबू में करने की, 10 फायदे

जगन्नाथ मंदिर जाने का बना रहे हैं प्लान तो वहां जाकर जरूर करें ये 5 कार्य

सभी देखें

धर्म संसार

आषाढ़ माह में अक्षय पुण्य प्राप्ति के लिए करें इन खास चीज़ों का दान

Aaj Ka Rashifal: 10 जून का भविष्यफल, आज इन 4 राशियों को मिलेगा व्यापार और नौकरी में अधिक लाभ

10 जून 2025 : आपका जन्मदिन

वट पूर्णिमा पर सुहागिन महिलाएं करें इन नियमों का पालन, अखंड सौभाग्य का मिलेगा आशीर्वाद

10 जून 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख