दीपावली पर रंगोली क्यों बनाते हैं, जानिए इतिहास

अनिरुद्ध जोशी
चौंसठ कलाओं में से एक चित्रकला का एक अंग है अल्पना। इसे ही मांडना भी कहते हैं और इसी का एक रूप है रंगोली। प्राचीन भारत में पहले दिवाली पर मांडना बनाए जाने का ही प्रचलन था परंतु अब रंगोली का प्रचलन ज्यादा है फिर भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी मांडना का प्रचलन है।
 
 
क्यों बनाते हैं रंगोली या मांडना : भारत में मांडना या रंगोली विशेषतौर पर होली, दीपावली, नवदुर्गा उत्सव, महाशिवरात्रि और संजा पर्व पर बनाया जाता है। मांडना या रंगोली को श्री और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह माना जाता है कि जिसके घर में इसका सुंदर अंकन होता रहता है, वहां लक्ष्मी निवास करती है। सभी देवी और देवता मांडना या रंगोली देखकर प्रसन्न होते हैं। यह घर की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। पूजा घर और मुख्‍य द्वार पर शुभ चिन्हों से रंगोली बनाने से दैवीय शक्तियां आ‍कर्षित होती हैं। इससे घर में खुशियां और आनंद का वातावरण विकसित होता है। मान्यता अनुसार रंगोली की आकृतियां घर से बुरी आत्माओं एवं दोषों को दूर रखती है। 
 
रंगोली का इतिहास : अल्पना या मांडना अति प्राचीन लोककला है। आर्य सभ्यता मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में भी अल्पना के चिह्न मिलते हैं। बहुत से व्रत या पूजा, जिनमें कि अल्पना दी जाती है, आर्यों के युग से पूर्व की है। अल्पना वात्स्यायन के काम-सूत्र में वर्णित चौसठ कलाओं में से एक है। भारत के प्रत्येक प्रांत में भिन्न भिन्न तरीके से मांडना या रंगोली बनाई जाती हैं और प्रत्येक प्रांत में इसका नाम अलग अलग है। इसे उत्तर प्रदेश में चौक पूरना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व मालवा में मांडना, बिहार में अरिपन, बंगाल में अल्पना, महाराष्ट्र में रंगोली, कर्नाटक में रंगवल्ली, तमिलनाडु में कोल्लम, उत्तरांचल में ऐपण, आंध्रप्रदेश में मुग्गु या मुग्गुलु, हिमाचल प्रदेश में अदूपना, कुमाऊ में लिखथाप या थापा और केरल में कोलम कहा जाता है।
 
भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु को लेकर ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र की पूजनीय देवी 'मां थिरुमाल' का विवाह 'मर्गाजी' महीने में हुआ था। इसीलिए इस पूरे माह के दौरान इस क्षेत्र के हर घर में कन्याएं सुबह उठकर नहा धोकर रंगोली बनाती हैं, जिसे कोलम कहा जाता है।
 
कहते हैं कि सबसे पहले रंगोली ब्रह्माजी ने बनाई थी। उन्होंने एक आम के पेड़ का रस निकालकर उसी से धरती पर एक स्त्री की आकृति बनाई जो बहुत ही सुंदर थी। बाद में वहीं उर्वशी बनी। इस तरह एक अन्य कथा के अनुसार एक बार राजा चित्रलक्षण के दरबार के पुरोहित के पुत्र का अचानक देहांत हो गया। पुरोहित के इस दुख को कम करने के लिए राजा ने भगवान ब्रह्मा से प्रार्थना की। ब्रह्माजी प्रकट हुए और राजा से दीवार पर उस पुत्र का चित्र बनाने के लिए कहा, जिसकी मृत्यु हुई थी। ब्रह्माजी की बात सुनकर शीघ्र ही राजा चित्रलक्षण द्वारा दीवार पर एक चित्र बनाया गया और देखते ही देखते उस चित्र से ही राजदरबार के पुरोहित के मृत पुत्र का पुन: जन्म हुआ।...
 
इसी तरह रामायण में सीता के विवाह मंडप के दौरान भी रंगोली बनाए जाने का उल्लेख मिलता है। महाभारत में इंद्रप्रस्थ और द्वारिका के निर्माण के समय भी चित्रकारी किए जाने का उल्लेख मिलता है। रावण का वध करने के बाद जब श्रीराम अपनी पत्नी सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास व्यतीत करके अयोध्या वापस लौट रहे थे, तब उनके आने की खुशी में पूरे आयोध्या वासियों ने अपने घर-आंगन और प्रवेश द्वार को रंगोली से सजाया था।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन

अगला लेख