रूपचौदस : इस दिन जलाएं एक दीप पितरों का

पं. हेमन्त रिछारिया
दीपावली से एक दिन पूर्व रूप चौदस का पर्व मनाया जाता है। इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन भगवान कृष्ण ने भौमासुर राक्षस का वध करके उसकी कैद से 16100 कन्याओं को मुक्ति प्रदान की थी। भौमासुर की नारकीय यातनाओं से मुक्ति होने के कारण इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।
 
आज के दिन क्या करें-
 
रूप चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व तेल व उबटन लगा कर स्नान करें। ऐसी मान्यता है कि रूप चतुर्दशी के दिन तेल में लक्ष्मी एवं जल में गंगा का वास होता है। जो भी रूप चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है वह यमलोक नहीं जाता।
 
अपामार्ग का प्रोक्षण करें-
 
सूर्योदय से पूर्व स्नान के उपरान्त अपामार्ग या लौकी के टुकड़े को अपने सिर के ऊपर से सात बार घुमाकर दक्षिण दिशा की ओर फेंक दें। मान्यता है कि ऐसा करने से नारकीय यातनाओं से मुक्ति प्राप्त होती है।
 
यम तर्पण-
 
अपामार्ग के प्रोक्षण के पश्चात् यमराज के निमित्त यमतर्पण करें।
 
दीपदान-
 
सायं काल यमराज के निमित्त चौमुखा दीप प्रज्जवलित कर दीपदान करें।
 
मशाल दर्शन-
 
दीपदान के पश्चात् खुले आसमान के नीचे मशाल या तेल का दीपक लेकर अपने पूर्वजों के निमित्त दीपदान कर प्रार्थना करें कि हमारे पूर्वज हमारे द्वारा किए गए इस दीपदान से प्रसन्न होकर इस दीप के प्रकाश से अपने-अपने लोकों में पहुंच जाएं।
 
दीपमाला प्रज्जवलन-
 
पूर्वजों के निमित्त दीपदान के पश्चात् अपने घर के सामने दीपमाला का प्रज्जवलन करें।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com

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