दिवाली पर जब श्रीराम अयोध्या आए तो हुआ इस तरह स्वागत

अनिरुद्ध जोशी
श्रीराम अयोध्या कब लौटे? इस पर इतिहासकारों में मतभेद हैं, लेकिन परंपरा से दीपावली पर उनका आगमन हुआ था। दीपावली का पर्व श्रीराम के पहले से ही मनाया जाता रहा है। जब प्रभु श्रीराम अयोध्या लौटे तो सभी शहरवासी उनके आगमन के लिए उमड़ पड़े।
 
 
कहते हैं कि कार्तिक अमावस्या को भगवान श्रीराम अपना चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। अयोध्या वासियों ने श्रीराम  के लौटने की खुशी में दीप जलाकर खुशियां मनायी थीं। संपूर्ण शहर का रंग-रोगन कर उसको दीपकों से सजाया गया था। सभी पुरुष, बच्चे और महिलाएं नए वस्त्रों में सजे-धजे थे। मिठाइयां बाटी जा रही थीं और उत्सव मनाया गया। उस दौर में पटाखे नहीं होते थे तो पटाखे नहीं छोड़े गए।
 
 
श्रीराम के अयोध्या आगमन का संपूर्ण अद्भुत विवरण पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें...
श्रीरामचंद्र जी के अयोध्या आगमन का अद्भुत विवरण
 

चौपाई :
सुमन बृष्टि नभ संकुल भवन चले सुखकंद।
चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नगर नारि नर बृंद ॥8 ख॥
 
भावार्थ:- आनन्दकन्द श्री रामजी अपने महल को चले, आकाश फूलों की वृष्टि से छा गया। नगर के स्त्री-पुरुषों के समूह अटारियों पर चढ़कर उनके दर्शन कर रहे हैं ॥8 (ख)॥
 
कंचन कलस बिचित्र संवारे।सबहिं धरे सजि निज निजद्वारे॥
बंदनवार पताका केतू। सबन्हि बनाए मंगल हेतू॥1॥
भावार्थ:- सोने के कलशों को विचित्र रीति से ( स्वण माणिक्य से)अलंकृत कर और सजाकर सब लोगों ने अपने-अपने दरवाजों पर रख लिया।सब लोगों नेमंगल के लिए बंदनवार, ध्वजा और पताकाएं लगाईं॥1॥
 
 
बीथीं सकल सुगंध सिंचाई।गजमनि रचि बहु चौक पुराईं।
नाना भांतिसुमंगल साजे।हरषि नगर निसान बहु बाजे॥2॥
भावार्थ:- सारी गलियां सुगंधित द्रवों से सिंचाई गईं।गजमुक्ताओं से रचकर बहुत सी चौकें पुराई गईं।अनेकों प्रकार के सुंदर मंगल साज सजाए गए और हर्षपूर्वक नगर में बहुत से डंके बजने लगे॥2॥
 
जहं तहंनारि निछावरि करहीं।देहिं असीस हरष उर भरहीं॥
कंचन थार आरतीं नाना।जुबतीं सजें करहिं सुभ गाना॥3॥ `
भावार्थ:- स्त्रियां जहां-तहां निछावर कर रही हैं और हृदय में हर्षित होकर आशीर्वाद देती हैं।बहुत सी युवती (सौभाग्यवती) स्त्रियां सोने के थालों में अनेकों प्रकार की आरती सजाकर मंगलगान कर रही हैं॥3॥
 
 
करहिं आरती आरतिहर कें।रघुकुल कमल बिपिन दिनकर कें॥
पुर सोभा संपति कल्याना। निगम सेष सारदा बखाना॥4॥
भावार्थ:- वे आर्तिहर (दुःखों को हरने वाले) और सूर्यकुल रूपी कमलवन को प्रफुल्लित करने वाले सूर्य श्री रामजी की आरती कर रही हैं।नगर की शोभा, संपत्ति और कल्याण का वेद, शेषजी और सरस्वती जी वर्णन करते हैं-॥4॥
 
तेउ यह चरित देखिठगि रहहीं।उमा तासु गुन नर किमि कहहीं ॥5॥
भावार्थ:- परंतु वे भी यह चरित्र देखकर ठगे से रह जाते हैं (स्तम्भित हो रहते हैं)। (शिवजी कहते हैं-) हे उमा! तब भला मनुष्य उनके गुणों को कैसे कह सकते हैं॥5॥
 
 
दोहा :
नारि कुमुदिनीं अवध सर रघुपति बिरह दिनेस।
अस्त भएंबिगसत भईं निरखि राम राकेस ॥9 क॥
भावार्थ:- स्त्रियां कुमुदनी हैं, अयोध्या सरोवर है और श्री रघुनाथजी का विरह सूर्य है (इस विरह सूर्य के ताप से वे मुरझा गई थीं)। अब उस विरह रूपी सूर्य के अस्त होने पर श्री राम रूपी पूर्णचन्द्र को निरखकर वे खिल उठीं ॥9 (क)॥
 
 
होहिं सगुन सुभबिबिधि बिधि बाजहिं गगन निसान।
पुर नर नारि सनाथ करि भवन चले भगवान। 9 ख॥
भावार्थ:- अनेक प्रकार के शुभ शकुन हो रहे हैं, आकाश में नगाड़े बज रहे हैं। नगर के पुरुषों और स्त्रियों को सनाथ (दर्शन द्वारा कृतार्थ) करके भगवान् श्र रामचंद्रजी महल को चले ॥9 (ख)
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Chhath Puja katha: छठ पूजा की 4 पौराणिक कथाएं

शुक्र के धनु में गोचर से 4 राशियों को मिलेगा धनलाभ

कौन हैं छठी मैया? जानिए भगवान कार्तिकेय से क्या है संबंध?

छठी मैया के पूजन में मूली से लेकर कद्दू तक, जरूर शामिल की जाती हैं ये सब्जियां

महाभारत में कर्ण और कुंती ने की थी छठ पूजा, जानिए छठ पूजा का इतिहास और महत्व

सभी देखें

धर्म संसार

November Horoscope: क्या आपका बर्थ डे नवंबर में है, जानें अपना व्यक्तित्व

November 2024 Monthly Horoscope: नवंबर में इन 4 राशि वालों की चमकेगी किस्मत, जानें मंथली होरोस्कोप

Aaj Ka Rashifal: आज किन राशियों का चमकेगा भाग्य, पढ़ें 04 नवंबर 2024 का दैनिक राशिफल

November Weekly Rashifal 2024: 12 राशियों का साप्ताहिक राशिफल, जानें कैसा बीतेगा नया सप्ताह

04 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख