दीपावली कब मनाएं 31 अक्टूबर या 01 नवंबर?

पं. हेमन्त रिछारिया
गुरुवार, 3 अक्टूबर 2024 (16:45 IST)
Highlights 
ALSO READ: दीपावली 2024: जानें कब है दिवाली, 1 नवंबर या 31 अक्टूबर को? लाला रामस्वरूप के पंडित जी ने बताई तिथि, मुहूर्त और ज्योतिषीय जानकारी
 
Diwali 2024 : दीपावली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्व त्योहार है। जो हर सनातनी हिन्दू परिवारों में बड़ी हर्षोल्लास से मनाया जाता है। दीपावली के दिन मां लक्ष्मी, कुबेर एवं गणेश जी की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि दीपावली के दिन लक्ष्मी जी पूजा करने से वर्षभर माता लक्ष्मी की कृपा साधक पर बनी रहती है। दीपावली का त्योहार प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन प्रदोष काल में गणेश जी व कुबेर सहित माता लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा की जाती है। 
 
इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर जनमानस में संशय बना हुआ है, क्योंकि इस वर्ष अमावस तिथि को लेकर विद्वानों, ज्योतिषाचार्यों एवं पंचांगों में मतभेद है। कुछ पंचांग एवं ज्योतिषीगण दीपावली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाए जाने के पक्ष में हैं, वहीं कुछ पंचांग में दीपावली व लक्ष्मी पूजा 01 नवंबर को मनाए जाने का उल्लेख है। हम शास्त्रोक्त प्रमाणों के आधार पर आपका यह संशय दूर करने का प्रयास करेंगे।
 
ALSO READ: दीपावली 2024: जानें कब है दिवाली, 1 नवंबर या 31 अक्टूबर को? तिथि, मुहूर्त और ज्योतिषीय जानकारी
 
दीपावली 2024 पर अमावस्या तिथि का प्रारंभ एवं समाप्ति-
 
31 अक्टूबर 2024 को अमावस्या तिथि का प्रारंभ मध्याह्न 03 बजकर 55 मिनट से होगा एवं समाप्ति दिनांक 01 नवंबर 2024 को सायंकाल 06 बजकर 18 मिनट पर होगी। 
 
01 नवंबर को कब होगा सूर्यास्त-
 
01 नवंबर को सूर्यास्त सायंकाल 05 बजकर 41 मिनट पर होगा।
 
प्रदोष काल-
 
शास्त्रानुसार प्रदोष काल की अवधि सूर्यास्त से दो घड़ी अर्थात् 48 मिनट की होती है। अत: 01 नवंबर को प्रदोष काल की अवधि सायंकाल 5 बजकर 41 मिनट से 6 बजकर 29 मिनट तक रहेगी।
 
संगवकाल-
 
01 नवंबर को संगवकाल क्रमश: (चारमठ, सावित्र, वैराज) प्रात: 08 बजकर 39 मिनट से अपराह्न 10 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
 
शास्त्रोक्त दीपावली तिथि निर्धारण जानें- 
 
शास्त्रानुसार यदि अमावस्या दो दिन प्रदोषव्यापिनी हो तो दूसरे दिन वाली अमावस्या ग्राह्य व श्रेष्ठ होती है। अमावस्या तिथि यदि प्रतिपदा से विद्ध हो तो उत्तम मानी जाती है वहीं यदि चतुर्दशी से विद्ध हो तो मान्य नहीं होती। 
 
शास्त्रानुसार यदि अमावस्या तिथि दो दिन प्रदोषव्यापिनी हो और दूसरे दिन प्रदोष काल में एक घड़ी से तनिक भी अधिक रहे तो अतिउत्तम मानी जाती है। 01 नवंबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल में एक घड़ी से अधिक होने से श्रेष्ठ एवं ग्राह्य है। इसी दिन देवकार्य के साथ ही पितृकार्य अमावस्या भी है। शास्त्रानुसार यदि सूर्योदय से सूर्यास्त तक अमावस्या तिथि हो और वह प्रदोष काल से एक घड़ी अधिक हो तो श्रेष्ठ होती है यह नियम भी 01 नवंबर को पूर्ण हो रहा है। 
 
स्कंदपुराण के वैष्णवखंड में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि संगवकाल से पूर्व ही समाप्त हो जाय तो पूर्वतिथि ग्राह्य होती है, किंतु 01 नवंबर को अमावस्या तिथि संगवकाल से पूर्व समाप्त नहीं होने से पूर्वतिथि अर्थात् 31 अक्टूबर ग्राह्य नहीं है। उपर्युक्त कालगणना एवं शास्त्रोक्त सिद्धांत के आलोक में यह स्पष्ट होता है कि वर्ष 2024 में दीपावली का त्योहार दिनांक 01 नवंबर, दिन शुक्रवार को ही मनाया जाना शास्त्रसम्मत व श्रेयस्कर रहेगा।
 
ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
 
ALSO READ: दिवाली का त्योहार कब रहेगा, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Navratri 2024 : क्यों है नवरात्रि में गरबा और डांडिया का इतना महत्व

October Rashifal 2024 : अक्टूबर का महीना 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा, पढ़ें मासिक राशिफल

दीपावली 2024: जानें कब है दिवाली, 1 नवंबर या 31 अक्टूबर को? तिथि, मुहूर्त और ज्योतिषीय जानकारी

karwa chauth vrat 2024 date and time: करवा चौथ की कथा के अनुसार, कौन सा व्रत रखने से पति की उम्र बढ़ती है?

Shardiya navratri 2024 date: इस बार की शारदीय नवरात्रि लेकर आ रही है महामारी और मुसीबत, जानिए क्यों?

सभी देखें

धर्म संसार

शारदीय नवरात्रि: नवरात्रि का पावन त्योहार शुरू, जाने किन राशियों पर बरसेगी मां दुर्गा की विशेष कृपा

दीपावली कब मनाएं 31 अक्टूबर या 01 नवंबर ?

शारदीय नवरात्रि 2024 : दुर्गा माता को 9 दिन के 9 भोग लगाएंगे तो बरसेगी मां दुर्गा की विशेष कृपा

शारदीय नवरात्रि 2024 : इस पर्व पर क्या करें और क्या नहीं तो होगा बहुत ही शुभ

शारदीय नवरात्रि: मां शैलपुत्री को ज्योति के नाम से भी जाना जाता है, आखिर क्यों?

अगला लेख