जानिए कौन है धनतेरस के देवता भगवान धन्वंतरि? क्या कहते हैं पुराण

Webdunia
-अच्युत कुमार त्रिपाठी
समस्त भारत भूखंड के प्रत्येक कोने में दीपावली के दो दिन पूर्व हम समस्त भारतवासी धनतेरस पर्व को किसी न किसी रूप में मनाते हैं। यह महापर्व कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भारत में ही नहीं अपितु सारे विश्व में वैद्य समाज द्वारा भगवान धन्वंतरि की पूजा-अर्चना कर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट कर मनाया जाता है तथा उनसे यह प्रार्थना की जाती है कि वे समस्त विश्व को निरोग कर समग्र मानव समाज को रोग विहीन कर उन्हें दीर्घायुष्य प्रदान करें। 
 
वहीं दूसरी ओर समस्त नर-नारी उनकी स्मृति में धन त्रयोदशी को नए बर्तन, आभूषण आदि खरीद कर उन्हें शुभ एवं मांगलिक मानकर उनकी पूजा करते हैं। उनके मन में यह एक दृढ़ धारणा तथा विश्वास रहता है कि वह बर्तन तथा आभूषण हमें श्रीवृद्धि के साथ धन-धान्य से संपन्न रखेगा तथा कभी रिक्तता का आभास नहीं होगा। 
 
भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा चिकित्सा शास्त्र के देवता माने जाते हैं। इनकी चौबीस अवतारों के अंतर्गत गणना होने के कारण भक्तजन भगवान विष्णु का अवतार, श्रीराम तथा श्रीकृष्ण के समान पूजा करते हैं। आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति ब्रह्मा से ही मानते हैं। और आदि काल के ग्रंथों में रामायण-महाभारत तथा विविध पुराणों की रचना हुई है, जिसमें सभी ग्रंथों ने आयुर्वेदावतरण के प्रसंग में भगवान धन्वंतरि का उल्लेख किया है। 
 
महाभारत, विष्णु पुराण, अग्नि पुराण, श्रीमद भागवत महापुराणादि में यह उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि देव और असुर एक ही पिता कश्यप ऋषि के संतान थे। किंतु इनकी वंशवृद्ध अधिक हो गई थी अतः अधिकारों के लिए परस्पर लड़ा करते थे। वे तीनों ही लोकों पर राज्याधिकार चाहते थे। असुरों या राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य थे जो संजीवनी विद्या के बल से असुरों का जीवितकर लेते थे। इसके अतिरिक्त दैत्य दानव मांंसाहारी होने के कारण हृष्ट-पुष्ट स्वस्थ तथा दिव्य शस्त्रों के ज्ञाता थे। अतः युद्ध में देवताओं की मृत्यु अधिक होती थी। 
 
 
पुरादेवऽसुरायुद्धेहताश्चशतशोसुराः।
हेन्यामान्यास्ततो देवाः शतशोऽथसहस्त्रशः।
 
गरुड़ और मार्कंडेय पुराणों के अनुसार - यह कथानक मिलता है कि गालव ऋषि वन में भटकते हुए बहुत थक गए और प्यास से व्याकुल हो गए। उस समय जंगल में बाहर निकलने पर उन्हें एक कन्या दिखाई दी जो एक घड़े में जल लिए बाहर जा रही थी। उस कन्या ने उन्हें प्यास से तृप्त करने हेतु पूरा घड़ा दे दिया जिससे प्रसन्न होकर गालव ऋषि ने आशीर्वाद दिया कि तुम योग्य पुत्र की मां बनो, किंतु जब उसने सूचित किया कि वह कुमारी वीरभद्रा नामक वेश्या है तब उसे वह ऋषि आश्रम में ले गए वहां कुश की पुष्पाकृति आदि बनाकर उसके गोद में रख दी और अभिमंत्रित कर प्रतिष्ठित कर दी वही  धन्वंतरि कहलाए। वेद मंत्रों से अभिमंत्रित होने के कारण वे वैद्य कहलाए। 
 
विष्णु पुराण के अनुसार - धन्वंतरि दीर्घतथा के पुत्र बताए गए हैं। इसमें बताया गया है वह धन्वंतरि जरा विकारों से रहित देह और इंद्रियों वाला तथा सभी जन्मों में सर्वशास्त्र ज्ञाता है। भगवान नारायण ने उन्हें पूर्व जन्म में यह वरदान दिया था कि काशिराज के वंश में उत्पन्न होकर आयुर्वेद के आठ भाग करोगे और यज्ञ भाग के भोक्ता बनोगे।
 
ब्रह्म पुराण के अनुसार - यह कथा मिलती है कि काशी के राजवंश में धन्व नाम के राजा ने अज्ज देवता की उपासना की और उनको प्रसन्न किया और उनसे वरदान मांगा कि हे भगवन आप हमारे घर पुत्र रूप में अवतीर्ण हों उन्होंने उनकी उपासना से संतुष्ट होकर उनके मनोरथ को पूरा किया जो संभवतः यही देवोदास हुए और धन्व पुत्र तथा धन्वंतरि अवतार होने के कारण धन्वंतरि कहलाए। 
 
इस प्रकार धन्वंतरि की तीन रूपों में उल्लेख मिलता है।  
- समुद्र मन्थन से उत्पन्न धन्वंतरि प्रथम।
- धन्व के पुत्र धन्वंतरि द्वितीय। 
- काशीराज दिवोदास धन्वंतरि तृतीय। 
 
इस तरह भगवान धन्वंतरि प्रथम तथा द्वितीय का वर्णन पुराणों के अतिरिक्त आयुर्वेद ग्रंथों में भी छुट-पुट मिलता है। जिसमें आयुर्वेद के आदि ग्रंथों सुश्रुत्र संहिता चरक संहिता, काश्यप संहिता तथा अष्टांग हृदय में विभिन्न रूपों में उल्लेख मिलता है। इसके अतिरिक्त अन्य आयुर्वेदिक ग्रंथों भाव प्रकाश, शार्गधर तथा उनके ही समकालीन अन्य ग्रंथों में आयुर्वेदावतरण का प्रसंग उधृत है। इसमें भगवान धन्वंतरि के संबंध में भी प्रकाश डाला गया है। 
 
महाकवि व्यास द्वारा रचित श्रीमद भागवत पुराण के अनुसार धन्वंतरि को भगवान विष्णु के अंश माना है तथा अवतारों में अवतार कहा गया है। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Astrology: कब मिलेगा भवन और वाहन सुख, जानें 5 खास बातें और 12 उपाय

अब कब लगने वाले हैं चंद्र और सूर्य ग्रहण, जानिये डेट एवं टाइम

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

वर्ष 2025 में क्या होगा देश और दुनिया का भविष्य?

Jupiter Transit 2024 : वृषभ राशि में आएंगे देवगुरु बृहस्पति, जानें 12 राशियों पर क्या होगा प्रभाव

Hast rekha gyan: हस्तरेखा में हाथों की ये लकीर बताती है कि आप भाग्यशाली हैं या नहीं

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru Shukra ki yuti: 12 साल बाद मेष राशि में बना गजलक्ष्मी राजयोग योग, 4 राशियों को मिलेगा गजब का लाभ

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का समय और शुभ मुहूर्त जानिए

Aaj Ka Rashifal: आज कैसा गुजरेगा आपका दिन, जानें 29 अप्रैल 2024 का दैनिक राशिफल

अगला लेख