दीपावली पर लक्ष्मी के साथ होती है एक देव, एक यक्ष और दो माता की पूजा

अनिरुद्ध जोशी
हिन्दू धर्म में धन और समृद्धि से संबंधित कुछ देवी और देवता हैं जिनकी दीपावली के दिन पूजा किए जाने का प्रचलन रहा है। वैसे तो दिवाली के शुभ दिन महालक्ष्मी की पूजा का विधान है लेकिन महालक्ष्मी पूजन के साथ ही अन्य देवी और देवताओं की पूजा किए जाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
 
 
लक्ष्मीजी
विष्णु की पत्नी लक्ष्मी को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। देवी लक्ष्मी कमलवन में निवास करती हैं, कमल पर बैठती हैं और हाथ में कमल ही धारण करती हैं। इनकी अकेली इस रूप की तस्वीर पूजाघर में रखें। हालांकि इनके साथ और भी कई देवी और देवताओं की पूजा का प्रचलन है।
 
 
गणेश
प्रथम पूज्य गणेश के नाम के साथ ही हर शुभ, लाभ व मंगल कार्य का शुभारंभ होता है। गणेशजी के दाएं ओर स्वस्तिक तथा बाएं ओर 'ॐ' का चिन्ह बनाया जाता है। यह वास्तु अनुसार सुख-शांति और समृद्धि देने वाला है। गणेशजी हमारी समृद्धि का प्रथम प्रतीक हैं। माता लक्ष्मी के साथ इनकी पूजा का भी प्रचलन है।
 
 
कुबेर
रावण के सौतेले भाई कुबेर को भगवान शंकर ने 'धनपाल' होने का वरदान दिया था। इन्हें यक्ष भी कहा गया है। देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर को पूजने से भी पैसों से जुड़ी तमाम समस्याएं दूर रहती हैं। लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती के साथ ही कुबेर का भी एक चित्र रखें। दीवावली के 3 दिन पूर्व धनतेरस का दिन कुबेर की पूजा का दिन है।
 
 
सरस्वती
मां सरस्वती विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं तथा शास्त्र ज्ञान को देने वाली हैं। ज्ञान के बल पर ही धन और बल की वृद्धि होती रहती है। बिना ज्ञान धन और समृद्धि का होना व्यर्थ ही माना जाता है इसीलिए धन की देवी लक्ष्मी के साथ सरस्वती की भी पूजा का महत्व है। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादिनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है।
 
 
काली
राक्षसों का वध करने के बाद भी जब महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ तब भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए। भगवान शिव के शरीर स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया। इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई जबकि इसी रात इनके रौद्र रूप काली की पूजा का विधान भी कुछ राज्यों में है। अत: दीपावली पर लक्ष्मी के साथ कालिका माता की पूजा भी होती है।
 
 
अत: कुबेरदेव एक यक्ष, गणेशजी एक देव और सरस्वती एवं कालिका दो माता। इसके अलावा धनतेरस पर धन्वंतरि, नरक चतुर्दशी पर कृष्ण, गोवर्धन पूजा के समय गाय, भाईदूज पर यमदेव की पूजा होती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Astrology: कब मिलेगा भवन और वाहन सुख, जानें 5 खास बातें और 12 उपाय

अब कब लगने वाले हैं चंद्र और सूर्य ग्रहण, जानिये डेट एवं टाइम

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

वर्ष 2025 में क्या होगा देश और दुनिया का भविष्य?

Jupiter Transit 2024 : वृषभ राशि में आएंगे देवगुरु बृहस्पति, जानें 12 राशियों पर क्या होगा प्रभाव

Hast rekha gyan: हस्तरेखा में हाथों की ये लकीर बताती है कि आप भाग्यशाली हैं या नहीं

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru Shukra ki yuti: 12 साल बाद मेष राशि में बना गजलक्ष्मी राजयोग योग, 4 राशियों को मिलेगा गजब का लाभ

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का समय और शुभ मुहूर्त जानिए

Aaj Ka Rashifal: आज कैसा गुजरेगा आपका दिन, जानें 29 अप्रैल 2024 का दैनिक राशिफल

अगला लेख