विश्व अस्थमा दिवस : पढ़ें कारण और घरेलू उपचार

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* मौसम बदलते ही होता है अस्थमा अटैक
 
प्रतिवर्ष मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्‍व में विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) मनाया जाता है। वर्ष 2018 में यह दिवस 1 मई, मंगलवार को मनाया जा रहा है। विश्‍व अस्‍थमा दिवस मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्‍व में घो‍षित किया गया है।

बढ़ते प्रदूषण और बिगड़ी लाइफ स्टाइल ने आज दुनिया भर में अस्थमा के मरीजों की संख्या में काफी बढ़ा दी है, जब तक लोग इस रोग को समझ पाते हैं, तब तक ये विकराल रूप धारण कर चुका होता है, इसी बात के मद्देनजर 'विश्व अस्थमा दिवस' मनाने की शुरुआत हुई, ताकि लोगों का इस रोग के प्रति ध्यान आकर्षित किया जा सकें और सही समय पर इसकी रोकथाम की जा सकें। 
 
बच्चों में एलर्जी और अस्थमा के लक्षण उस समय प्रकट होते हैं, जब मौसम में कोई बदलाव होता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि मध्यम आयु वर्ग के कुल लोगों में 5 से 10 फीसदी लोगों को एलर्जी और अस्थमा है तो किशोरों और युवाओं में इसका अनुपात 8 से 15 प्रतिशत तक है। 
 
बदलती जीवन शैली हमारे युवाओं के लिए खतरा बन गई है। शहरों में खत्म होते खेल मैदान से बढ़ा इंडोर गेम्स का चलन युवाओं को अस्थमा का मरीज बना रहा है। हालात इतने खतरनाक हैं कि अस्थमा के कुल मरीजों में अब युवाओं और बच्चों की संख्या बड़ों से दोगुनी हो गई है।

 
विशेषज्ञों की मानें तो खेल मैदान की कमी के चलते युवा इंडोर गेम्स को प्राथमिकता दे रहे हैं। इंडोर गेम्स के दौरान घर के पर्दे, गलीचे व कारपेट में लगी धूल उनके लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है। इससे उनमें एलर्जी और अस्थमा की समस्या हो रही है। 
 
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक हम युवाओं के लिए संतुलित जीवन शैली का चुनाव नहीं करेंगे, यह समस्या ब़ढ़ती ही जाएगी। इतना ही नहीं घर की चहारदीवारी में बंद रहने वाले युवा जब कॉलेज जाने के लिए घर से बाहर निकलते हैं तो वातावरण के धूल व धुएं के कण से भी उन्हें एलर्जी होने की संभावना बढ़ जाती है।

 
अस्थमा के प्रमुख कारण :-
 
* हवा में मौजूद परागकण
* स्मोकिंग 
* लाइफ स्टाइल में बदलाव
* इंडोर गेम्स को प्रोत्साहन
* वातावरण के प्रति प्रतिकूलता
* आनुवांशिकी
* प्रदूषण 
 
वायरल इंफेक्शन : वायरल इंफेक्शन से ही अस्थमा की शुरुआत होती है। युवा यदि बार-बार सर्दी, बुखार से परेशान हों तो यह एलर्जी का संकेत है। सही समय पर इलाज करवा कर और संतुलित जीवन शैली से बच्चों को एलर्जी से बचाया जा सकता है। समय पर इलाज नहीं मिला, तो धीरे-धीरे वे अस्थमा के मरीज बन जाते हैं। 
 
अस्थमा के लिए आजमाएं ये घरेलू इलाज :-
 
* अदरक का एक चम्मच ताजा रस, एक कप मैथी के काढ़े और स्वादानुसार शहद इस मिश्रण में मिलाएं। दमे के मरीजों के लिए यह मिश्रण लाजवाब साबित होता है। 
 
* मैथी का काढ़ा तैयार करने के लिए एक चम्मच मैथीदाना और एक कप पानी उबालें। हर रोज सबेरे-शाम इस मिश्रण का सेवन करने से निश्चित लाभ मिलता है।
 
*  लहसुन भी दमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की 5 कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। 
 
* अदरक की गरम चाय में लहसुन की 2 पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। सबेरे और शाम इस चाय का सेवन करने से मरीज को फायदा होता है।
 
* 4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएं और गरम-गरम पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता है। 
 
* 180 मिमी पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकीभर नमक, कालीमिर्च और नींबू रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है।
 
* दमा रोगी पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबालें और पानी से उठती भाप लें, यह घरेलू उपाय काफी फायदेमंद होता है। 

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