क्यों बढ़ रहे हैं हृदय रोग

विश्व हृदय दिवस पर विशेष : 27 सितंबर

Webdunia
डॉ. एके पंचोलिया
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बीते कुछ सालों में भारतीय समाज की जीवनशैली में तेजी से बदलाव आए हैं जिनके परिणामस्वरूप हृदयरोगों में भी इजाफा हुआ है। जीवनशैली में बदलाव आने के कई कारण हैं जिनमें आर्थिक संपन्नता और आधुनिकीकरण सबसे महत्वपूर्ण है।

आज की आबादी में युवाओं की संख्या अधिक है जिनके रहन-सहन और काम करने की शैली पहले से बदल गई है। आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा रोजगार की तलाश में गाँवों से शहरों की ओऱ आया है। आर्थिक विकास में वृद्धि होने के कारण वेतन में पहले से काफी अधिक मिलने लगा है।

अधिकांश आईटी उद्योगों में रात की पालियों में काम होता है जिससे नींद के स्वाभाविक पैटर्न में बदलाव आया है। इसी तरह फास्ट फूड और कारबोनेटे ड्रिंक्स खानपान का हिस्सा बन गए हैं। घरों में पकाए गए खाने का चलन धीमा होता जा रहा है, रेस्टोरेंट्स या स्ट्रीट फूड पर निर्भरता बढ़ रही है।

धन की अधिकता ने शराबखोरी और धूम्रपान को बढ़ावा दिया है। पार्टियाँ अब आए दिन का हिस्सा होबीते कुछ सालों में भारतीय समाज की जीवनशैली में तेजी से बदलाव आए हैं जिनके परिणामस्वरूप हृदयरोगों में भी इजाफा हुआ है। जीवनशैली में बदलाव आने के कई कारण हैं जिनमें आर्थिक संपन्नता और आधुनिकीकरण सबसे महत्वपूर्ण है।

आज की आबादी में युवाओं की संख्या अधिक है जिनके रहन-सहन और काम करने की शैली पहले से बदल गई है। आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा रोजगार की तलाश में गाँवों से शहरों की ओऱ आया है। आर्थिक विकास में वृद्धि होने के कारण वेतन में पहले से काफी अधिक मिलने लगा है।

अधिकांश आईटी उद्योगों में रात की पालियों में काम होता है जिससे नींद के स्वाभाविक पैटर्न में बदलाव आया है। इसी तरह फास्ट फूड और कारबोनेट ड्रिंक्स खानपान का हिस्सा बन गए हैं। घरों में पकाए गए खाने का चलन धीमा होता जा रहा है, रेस्टोरेंट्स या स्ट्रीट फूड पर निर्भरता बढ़ रही है। धन की अधिकता ने शराबखोरी और धूम्रपान को बढ़ावा दिया है। पार्टियाँ अब आए दिन का हिस्सा हो गई हैं। कसरत करने या जिम में वक्त बिताने के बजाए आबादी का बड़ा हिस्सा मॉल्स या बड़े स्टोर्स में नजर आता है। टीवी देखने का औसत समय खतरनाक ढंग से बढ़ गया है।

इसकी वजह से आ रही है वे बीमारियाँ जो दिल के दौरे का जोखिम बढ़ा रही हैं। मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारियाँ, चयापचय में विकृति जैसी बीमारियों में पिछले कुछ दशकों में काफी बदलाव आया है-

कारण क्या है ?
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आरामतलब जीवनशैली में कसरत का स्थान ही नहीं है। सालों पहले आबादी का एक बड़ा हिस्सा साइकल पर ही यातायात के लिए निर्भर था। अब उसका स्थान मोटरसाइकलों, स्कूटरों और कारों ने ले लिया है। घर के बने हुए भोजन को मजबूरी में खाया जाता है। अधिकतर लोग डिनर घर के बाहर ही करना चाहते हैं। शराबखोरी बहुत सामान्य बात हो गई है। यहाँ तक कि महिलाओं में भी इसका सेवन बढ़ गया है।

इस जीवनशैली का असर सीधे स्वास्थ्य पर होता दिखाई दे रहा है। अध्ययन बताते हैं कि यौन रोगों में तेजी से वृद्धि हुई है। यौन संतुष्टि अब दूर होती दिखाई देती है। नपुंसकता के केसेस बढ़े हैं वहीं संतानहीनता की समस्या पहले से कहीं अधिक हो गई है। घरों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की बढ़ोत्री ने भी समस्याएँ खड़ी की है। घरों में पहले चक्की से आटा पीसा जाता था। इससे पेट और कमर की खूब कसरत हो जाती थी। साफ-सफाई के लिए वैक्यूम क्लीनर नहीं थे। चटनी पीसने के लिए मिक्सी या ग्राइंडर नहीं थे। जाहिर है कि इन सब कामों में काफी कसरत हो जाती थी।

इन सब बीमारियों ने ह्रदय रोगों के जोखिम को कई गुना बढ़ा दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सितंबर 2007 में भारत के भविष्य के लिए एक चेतावनी जारी की थी। जिसमें कहा गया था कि वर्ष 2020 में 70 लाख भारतीयों की मौत जीवनशैली आधारित बीमारियों के कारण होगी।

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