Dussehra 2025 date: शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों बाद पूरे भारत में दशहरा का महापर्व मनाया जाता है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का पर्व है। विजयादशमी और दशहरा अक्सर एक ही त्योहार के दो नाम के रूप में जाने जाते हैं, जो कि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाए जाते हैं, लेकिन इनके महत्व और कथाओं में कुछ अंतर हैं। 2 अक्टूबर 2025 गुरुवार को यह त्योहार मनाया जाएगा।
विजयादशमी (अर्थ: विजय की दशमी तिथि):
1. मूल कारण: यह त्योहार देवी दुर्गा के महिषासुर नामक राक्षस पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
2. कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ दुर्गा ने महिषासुर से नौ रातों और दस दिनों तक युद्ध किया था और दसवें दिन, यानी दशमी तिथि को, उसका वध कर दिया था। यह बुराई पर अच्छाई की विजय है। इसलिए विजयादशमी का पर्व मनाते हैं।
3. मुख्य आयोजन: यह पर्व मुख्य रूप से दुर्गा विसर्जन और दुर्गा पूजा की समाप्ति के साथ जुड़ा है, खासकर पूर्वी भारत (जैसे पश्चिम बंगाल) में।
दशहरा (दश+हरा, अर्थ: दस सिरों की हार):
1. मूल कारण: यह त्योहार भगवान श्री राम द्वारा लंका के राजा रावण का वध करने की खुशी में मनाया जाता है।
2. कथा: भगवान राम ने नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा करने के बाद दशमी तिथि को रावण का वध किया था, जिससे बुराई (रावण) पर अच्छाई (राम) की जीत हुई।
3. मुख्य आयोजन: इस दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है, जिसे रावण दहन कहते हैं। यह उत्तर भारत और अन्य क्षेत्रों में प्रमुख रूप से मनाया जाता है।
विजयादशमी और दशहरा पर्व संक्षेप में-
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तिथि एक: दोनों ही पर्व आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाए जाते हैं।
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परंपरा: इस दिन दिन में अपराजिता की पूजा, शस्त्र पूजा और दुर्गा मूर्ति विसर्जन करते हैं तो रात में रावण दहन का आयोजन होता है।
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सार एक: दोनों ही त्योहार असत्य पर सत्य की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं।
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अंतर: विजयादशमी का संबंध मुख्य रूप से माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर वध से है, जबकि दशहरा का संबंध मुख्य रूप से भगवान राम द्वारा रावण वध से है।
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चूँकि दोनों ही शुभ विजय की घटनाएi एक ही तिथि पर हुई थीं, इसलिए ये दोनों नाम एक-दूसरे के पर्याय के रूप में उपयोग किए जाते हैं और एक साथ मनाए जाते हैं।