सुख-समृद्धि के लिए दशहरे पर करें मां अपराजिता का पूजन, पढ़ें प्राचीन प्रामाणिक विधि

Webdunia
अपराजिता पूजा को विजयादशमी का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। यह पूजा अपराह्न काल में की जाती है।
 
आइए, जानते हैं इस पूजा की प्राचीन और शास्त्रोक्त प्रामाणिक विधि-
 
इस पूजा के लिए घर से पूर्वोत्तर की दिशा में कोई पवित्र और शुभ स्थान को चिन्हित करें। यह स्थान किसी मंदिर, गार्डन आदि के आसपास भी हो सकता है। पूजन स्थान को स्वच्छ करें और चंदन के लेप के साथ अष्टदल चक्र (8 कमल की पंखुड़ियां) बनाएं।
 
पुष्प और अक्षत के साथ देवी अपराजिता की पूजा के लिए संकल्प लें।
 
अष्टदल चक्र के मध्य में 'अपराजिताय नम:' मंत्र के साथ मां देवी अपराजिता का आह्वान करें और मां जया को दाईं ओर क्रियाशक्त्यै नम: मंत्र के साथ आह्वान करें तथा बाईं ओर मां विजया का 'उमायै नम:' मंत्र के साथ आह्वान करें।
 
इसके उपरांत 'अपराजिताय नम':, 'जयायै नम:' और 'विजयायै नम:' मंत्रों के साथ शोडषोपचार पूजा करें।
 
अब प्रार्थना करें-
 
निम्न मंत्र के साथ पूजा का विसर्जन करें।
 
'हारेण तु विचित्रेण भास्वत्कनकमेखला। अपराजिता भद्ररता करोतु विजयं मम।'
ALSO READ: आज दशहरा पर्व, कैसे करें शस्त्र पूजन, जानिए शुभ मुहूर्त और सावधानियां

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

दुनिया में कितने मुस्लिम इस्लाम धर्म छोड़ रहे हैं?

ज्येष्ठ माह के 4 खास उपाय और उनके फायदे

नास्त्रेदमस ने हिंदू धर्म के बारे में क्या भविष्यवाणी की थी?

भारत ने 7 जून तक नहीं किया पाकिस्तान का पूरा इलाज तो बढ़ सकती है मुश्‍किलें

क्या जून में भारत पर हमला करेगा पाकिस्तान, क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र

सभी देखें

धर्म संसार

गंगा दशहरा पर मां गंगा की पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

Nirjala Ekadashi 2025 : निर्जला एकादशी पर बन रहा है सबसे बड़ा राजयोग, इस नियम का करें पालन

नीम में शक्ति है शनि और मंगल को काबू में करने की, 10 फायदे

Ganga dussehra 2025: गंगा दशहरा पर जानिए गंगा नदी के 10 रोचक तथ्‍य

जगन्नाथ मंदिर जाने का बना रहे हैं प्लान तो वहां जाकर जरूर करें ये 5 कार्य

अगला लेख