शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन अर्थात दशमी को हम विजया दशमी यानी दशहरा मनाते हैं। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने अन्याय पर न्याय की, अधर्म पर धर्म की एवं अहंकार पर स्वाभिमान की विजय हासिल की थी और अभिमानी लंकापति रावण का वध किया था।
हम दशहरे के दिन अपने शस्त्रों का भी पूजन करते हैं व रावण के पुतले का दहन कर अपने आंतरिक अहंकाररूपी रावण को जलाकर मन में बसे स्वाभिमानी राम के विजय की जय-जयकार करते हैं।