दुनिया का सबसे बड़ा एतिकाफ़

Webdunia
- मुशाहिद

पाकिस्तान इन दिनों
ND
दुनिया के तारीख़ी शहरों में से एक शहर हमारा लाहौर आजकल एतिकाफ़ करने वालों का सबसे बड़ा मरकज़ बना हुआ है। एक अंदाज़े के मुताबिक़ इस व़क्त वहाँ तक़रीबन 50 हज़ार लोग एक साथ एतिकाफ़ में बैठे हैं। ये तमाम लोग मुल्क के मुख़्तलिफ़ शहरों से आए हैं और इनके वहाँ रहने, ठहरने, इबादत करने के साथ इफ़्तार व सहरी के खुसूसी इंतज़ामात किए गए हैं। इन एतिकाफ़ करने वालों में ख़्वातीन यानी महिलाएँ भी शामिल हैं।

वैसे तो यह इज्तिमाई (सामूहिक) एतिकाफ़ पिछले 17 सालों से होता आ रहा है। इस साल 18वाँ इज्तिमाई एतिकाफ़ है। इसके लिए बड़े पैमाने पर इंतज़ामात किए गए हैं। इज्तिमाई एतिकाफ़ का असर न सिर्फ लाहौर पर बल्कि आसपास के इलाक़ों में भी नज़र आ रहा है और शहर के साथ ही आसपास के इलाक़ों का भी माहौल पर अजब तरह की रूहानियत का असर दिखाई पड़ता है।

मज़हब से अवाम का बड़ा जुड़ाव होता है। कहीं भी किसी तरह की मज़हबी हलचल हो, लोग उसमें शामिल होने, उसमें हिस्सा लेने के लिए बेक़रार रहते हैं। वे तन-मन-धन से दीन-धरम के काम में जुड़ जाते हैं। इसका ग़लत फ़ायदा उठाने वाले लोगों को बहकाकर अपना उल्लूसीधा कर रहे हैं और मज़हब के ज़रिए लोगों को जोड़ने वाले अपने तरीक़े से इंसानियत की ख़िदमत अंजाम दे रहे हैं।

लाहौर में ही इस व़क्त अजीब-सा मंज़र नज़र आ रहा है, जहाँ 50 हज़ार लोगों की एक बड़ी तादाद रब से लौ लगाए बैठी है। इनमें मर्द भी हैं और औरतें भी। बूढ़े भी हैं और जवान भी। हर साल इस एतिकाफ़ का इंतज़ाम करने वाली तंज़ीम मिन्हाजुल-क़ुरआन इंटरनेशनल काकहना है कि इस साल यहाँ आने वालों की तादाद में 40 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है। इन आने वालों के लिए बाक़ायदा मिन्हाजुल-क़ुरआन एतिकाफ़ सिटा बनाई गई है।

जामिआ अलमिन्हाज और उससे लगे खेल के मैदान को मरकज़ी एतिकाफ़गाह बनाया गया है। यहाँ एतिकाफ़ करने वालों की सबसे बड़ी तादाद ठहरी है, इसीलिए इसे एतिकाफ़ सिटी कहा जा रहा है। वैसे इसे हम तंबुओं का शहर भी कह सकते हैं। इस एतिकाफ़ सिटी में चारों तरफ़ टेंट लगे हुए हैं। इन तंबुओं को अलग-अलग हिस्सों में बाँंटकर उनके नाम रखे गए हैं। इसी एतिकाफ़ सिटी में हज़ारों लोग एक साथ यादे-इलाही में मसरूफ़ हैं। शामियानों का यह शहर कितना बड़ा होगा इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें दाख़िले के लिए दस दरवाज़े बनाए हैं।

हर दरवाज़े से एतिकाफ़ करने वाले दाख़िल हो सकते हैं। एतिकाफ़ में बैठने वाला एतिकाफ़गाह से बाहर नहीं जा सकता इसलिए वहाँ आने वालों का ही ताँता लगा था। आज दहशतगर्द हर जगह फैल चुके हैं और ख़ौफ़-व-दहशत हर दिल में घर कर चुके हैं। सो, अल्लाह से लौलगाने के लिए आने वाले इन लोगों की हिफ़ाज़त के भी सख़्त बंदोबस्त किए गए हैं। दरवाज़ों पर मेटल डिटेक्टर लगाए गए हैं और हर आने वाले को पूरी चेकिंग के बाद ही अंदर दाख़िल होने दिया गया।

अलबत्ता अंदर दाख़िल होते ही उनके इस्तक़बाल के पूरे इंतज़ामात किए गए थे। हर मेहमान को हार पहनाए गए और तंज़ीम (संस्था) से जुड़े हुए बुज़ुर्गों ने गर्मजोशी से सबको ख़ुश आमदीद (स्वागतम्‌) कहा। इस मरकज़ी एतिकाफ़गाह के अलावा शहर की तक़रीबन सारी बड़ी मस्जिदों में लोग एतिकाफ़ कर रहे हैं।

लाहौर को मस्जिदों का शहर भी कहा जा सकता है। यहीं कई तारीख़ी और बड़ी मस्जिदें हैं। इनमें बादशाही मस्जिद, मस्जिद वज़ीर ख़ान, मस्जिद औक़ाफ़ मॉडल टाउन, जामिआ मस्जिद शाह जमाल, जामिआ मस्जिद दरबार हज़रत मियाँ मीर वग़ैरा में एतिकाफ़ करने वालों की बड़ी तादाद मौजूद है। इन्हीं में मस्जिद दाता दरबार भी है, जहाँ 2000 लोग एतिकाफ़ में बैठे हैं।

यह मस्जिद उसी अहाते में है, जहाँ मशहूर बुज़ुर्ग हज़रत दाता गंज बख़्श अली हजवेरी रह. आराम फ़र्मा रहे हैं। इनके अलावा एतिकाफ़ करने वाली ख़्वातीन यानी औरतों के लिए अलग से इंतज़ामात किए गए हैं। मिन्हाजुल-क़ुरआन कॉलेज फॉर वुमेन और मिन्हाज यूनिवर्सिटी में ख़्वातीन के लिए ख़ुसूसी इंतज़ामात किए गए हैं। यहाँ के तमाम इंतज़ामात भी ख़्वातीन के ही ज़िम्मे हैं। इसी तरह जामिआ मस्जिद अल क़ुदसियामें भी 2600 लोग एतिकाफ़ कर रहे हैं जिनमें 600 ख़्वातीन हैं।

एतिकाफ़ दरअसल ऐसी इबादत है जिसमें बंदा मस्जिद या किसी तयशुदा मुक़ाम पर रहकर इबादतों में रम जाता है। रमज़ान के आख़िरी दस दिनों तक एतिकाफ़ करने का बड़ा सवाब आया है। मर्द अमूमन मस्जिदों में और औरतें घर के किसी कोने में एतिकाफ़ करती हैं। एतिकाफ़ करने वाले इस दौरान कहीं आते-जाते नहीं और न किसी से ज़्यादा मिलते हैं। वे दिन-रात अल्लाह से लौ लगाए रहते हैं।

एतिकाफ़ सिटी में भी इबादतों के ख़ुसूसी इंतज़ामात किए गए हैं। यहाँ रोज़ाना रात को 11 बजे से सुबह 2 बजे तक क़ुरआन पर बयान किया जाएगा। इसी तरह रमज़ान की 27 से 29 तारीख़ तक रोज़ाना मेहफ़िले-शबीना होगी। इसमें रात को ख़ुसूसी नमाज़ों में हाफ़िज़साहिबान क़ुरआन सुनाएँगे। रमज़ान और क़ुरआन का नजदीकी संबंध है कि इसी माह में क़ुरआन नाज़िल (अवतरित) हुआ। वैसे भी रमज़ान क्या आते हैं, हमारे यहाँ अलग ही समाँ दिखाई पड़ने लगता है।

खासतौर से रमजान के आखिरी दिन तो जैसे पूरा मुल्क एक अलग तरह केरंग में रंग जाता है। ये ऐसा रंग है जिसमें कई रंग घुले होते हैं। इबादतों का रंग, देने-लेने यानी सदक़ा-ज़कात का रंग, ईद की तैयारियों और ख़रीदारी का रंग। सो मुल्क का कोना-कोना इन रंगों से सराबोर रहता है।

अब इन दिनों जहाँ गाँव-देहात से लगाकर बड़े-बड़े शहरों तक की मस्जिदों में नमाज़ियों की भीड़ उमड़ी पड़ती है। हर नमाज़ में वहाँ रेलमपेल का आलम होता है। इसी तरह खाते-पीते घर वाले ग़रीबों की मदद करते हैं और ग़रीब उन्हें दुआओं से मालामाल करते रहते हैं। इफ़्तार में रिश्तेदारों, मुलाक़ातियों को बुलाते हैं। ख़ुदा से डरने वाले ग़रीबों को भी बुलाते हैं। उन्हें खिलाते-पिलाते हैं, उन्हें पहनने-ओढ़ने को देते हैं और इस तरह उनकी ईद भी ख़ुशनुमा बनाते हैं।

ईद को ख़ुशनुमा बनाने के लिए ही हमारी सरकार ने भी कई काम किए हैं। पिछले दिनों बहुत-से क़ैदियों को ईद की ख़ुशी में रिहा किया गया और बहुत-सी स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं कि ख़ुशियाँ तलाश करने गाँव से शहर आने वाले वे ख़ुशियाँ अपने घरों तक ब-हिफ़ाज़त ले जा सकें।
Show comments

करवा चौथ 2024 : आपके शहर में कब निकलेगा चांद, जानिए सही टाइम

दशहरे के दिन यदि यह घटना घटे तो समझो होने वाला है शुभ

विजयादशमी 2024: इन 5 कारणों से मनाया जाता है दशहरा का पर्व

दशहरे पर धन, लक्ष्मी और समृद्धि के लिए आजमाएं ये 5 चमत्कारी वास्तु उपाय

Dussehra 2024: क्यों शुभ मना जाता है रावण दहन की लकड़ी का टोटका

14 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

14 अक्टूबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

16 या 17 अक्टूबर 2024 कब है शरद पूर्णिमा, जानें खीर खाने का महत्व

Karva Chauth 2024: करवा चौथ पर इन चीज़ों की खरीद मानी जाती है शुभ

Mangal chandra yuti: मंगल चंद्र की युति से बना महालक्ष्मी योग, बरसाएगा 3 राशियों पर धन